श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने को की देवाधिदेव की आराधना : व्यास पण्डित प्रदीप मिश्रा जी।

                                

                  


- रंगेश्वर महादेव की स्थापना का किया गोपेश्वरगोपी शिव महापुराण कथा में वर्णन।

हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो

(कोसीकलां मथुरा)।भगवान् श्रीकृष्ण ने महाराज कंस पर विजय प्राप्त करने के लिए की थी देवाधिदेव महादेव की स्थापना कर आराधना,रंगशाला में प्रकट होने के कारण कहलाये रंगेश्वर महादेव । बृज के प्रमुख महादेव में से एक हैं रंगेश्वर महादेव, सच्चे मनोभाव से पूजा करने पर देते हैं मनवांछित फल ।

 शिव भक्त परिवार के तत्वावधान में राजमार्ग के अजीजपुर सीमा क्षेत्र के श्री जी निकुंज परिसर में चल रही श्री गोपेश्वर गोपी शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन विश्व विख्यात वक्ता भागवत भूषण शिव कथा मर्मज्ञ परम श्रद्धेय पंडित प्रदीप मिश्रा ने बृज की महिमा का गुणगान करते हुए उपस्थित भक्त वत्सल श्रद्धालुओं को बताया कि बृज चौरासी में कुछ महादेव ऐसे भी विराजमान हैं जिनका दर्शन करना तो दूर उनकी चौखट तक जाकर भी सच्चे मनोभाव से कामना की जाये तो बाबा की कृपा से मनवांछित फल प्राप्त होता है इनमें से ही एक हैं । मथुरा में विराजित रंगेश्वर महादेव, जिनकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने की ।

 व्यासजी ने बताया कि जब दाऊजी कंस को मार रहे थे और वह बारबार जीवित होकर सामने खड़ा था तो बलरामजी ने श्रीकृष्ण से कहा कान्हा यह क्या मामला है। इसपर भगवान श्रीकृष्ण ने मनोयोग से जानकारी की कि यह छल से मरेगा, तो उन्होंने देवाधिदेव महादेव की स्थापना कर आराधना की और कंस की मृत्यु का उपाय सुझाने के लिए कहा । तब भोलेनाथ ने श्रीकृष्ण को कंस पर विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया, जिस स्थान पर भगवान भोलेनाथ विराजे वहां रंगशाला होने के चलते बाबा का नाम रंगेश्वर महादेव पड़ा। रंगेश्वर महादेव मंदिर में जिस भक्त को सभी जगह से निराशा मिल रही हो, सभी कार्यों में व्यवधान उत्पन्न हो रहे हों तथा कोर्ट कचहरी के चक्कर में घिर गया हो।वह सच्चे मनोभाव से जमुना जल का एक लोटा लेकर बाबा रंगेश्वर महादेव को अर्पित करे तो उसके सारे मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं ।

शिव भक्तों ने स्वयं संभाली रोटी बनाने, प्रसाद वितरण के साथ,बर्तनों की सफ़ाई व्यवस्था की कमान।

कोसीकलां (मथुरा) । राजमार्ग के श्री जी निकुंज परिसर में चल रही गोपेश्वर गोपी शिव महापुराण कथा में सुदूरवर्ती प्रांतों से आये श्रद्धालु शिव भक्तों ने आयोजक मंडल के सदस्यों के साथ ही स्वतः व्यवस्थाओं को संभालने में सहभागिता निभाना शुरु कर दिया है ।

  कथा श्रवण को विभिन्न प्रांतों से आये काफ़ी संख्या में महिला पुरुष व् युवक युवती कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते हुए दिखाई दिये, सभी का एक ही लक्ष्य और उद्देश्य की किसी भी तरीके की कोई भी कमी नहीं रह जाये । इस सेवा कार्य के बारे में जब कुछ सेवकों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह सभी कार्य प्रभु का है, इसलिए प्रभु के समर्पण भाव में कमी नहीं रह जाये । शिव भक्तों की इस मनोदशा की हर एक व्यक्ति तारीफ कर रहा है, साथ ही इन भक्त वत्सलों के सेवा भाव से सीख लेकर शिक्षा ग्रहण करने की भी बात हो रही है ।

   कथा के मुख्य यजमान सुभाष चंद बांसईया, रेनू बांसईया, सौरभ बांसईया व् सोनल बांसईया के साथ साथ कैलाश बांसईया, सतीश बांसईया, दिलीप बांसईया समाजसेवी कमल किशोर वार्ष्णेय, राहुल जैन, विनोद जैन, अखिल जैन, मुकेश जैन, जय शर्मा तथा जे पी मिश्रा सहित सैंकड़ों लोग सकुशल कार्य को संपन्न कराने को निरंतर जुटे हुए हैं ।

मुख्य यजमान सुभाष चंद बांसईया व् उनके परिवारीजनों की प्रत्येक आगन्तुकजन बढ़ाई करता दिखाई दे रहा है ।

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रिपोर्ट-बी.एस.शर्मा'उपन'।