विश्व हिन्दी दिवस पर हरिऔध स्मृति में,विश्व में हिन्दी विषय पर विमर्श व कवि समागम सम्पन्न


हिन्दुस्तान वार्ता।दिल्ली

भारत आस्ट्रेलिया साहित्य सेतु एवं थियेटर आन डिमांड के तत्वावधान में आस्ट्रेलियांचल के मीडिया संयोजन में, एक अंतरराष्ट्रीय कवि समागम व हिन्दी पर विमर्श का आयोजन ज़ूम पर किया गया,जिसमें अनेक देशों के कवि लेखकों,विचारकों व भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय के अधिकारियों ने विश्व में हिन्दी के प्रसार प्रचार के ऊपर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये एवं रचनाओं का पाठ किया। पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी की अध्यक्षता में यह आयोजन तीन घंटे तक अनवरत चलता रहा। कार्यक्रम का आरम्भ गहन चिंतक व लेखक प्राँजल धर ने रचना पाठ से किया। 

मुख्य अतिथि के रूप में विश्व रंग के प्रणेता संतोष चौबे ने अपने प्रभावी व्याख्यान में कहा कि हिंदी के प्रचार-प्रसार की थोड़ी-थोड़ी ज़िम्मेदारी हम सभी की व संस्थाओं की भी बनती हैं। हमें इसके लिये सरकार की मदद तो लेनी ही चाहिए लेकिन सिर्फ़ सरकार ही हिन्दी के प्रसार का कार्य कर सकती है, इस धारणा को बदल कर व्यक्तिगत रूप से भी प्रयास करना होगा, जिसे विश्व रंग पहले से ही कर रहा है।उन्होने कहा कि हिन्दी के प्रसार के लिए हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना होगा।हिंदी के मानकीकरण के लिये काम करना होगा।

विशिष्ट अतिथि डॉ० बीना शर्मा ने केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा हिन्दी के लिये किये जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी और हरिऔध जी की कविता “एक बूँद” पढ़ी। यू के से आशुतोष जी ने परदेस में रहकर जब हम,जड़ से कटने लगते हैं, पूरब और पश्चिम में जब, रस्ते  बँटने  लगते हैं... कविता पाठ किया।

मुंशी प्रेमचंद के पौत्र अनिल राय जी ने कहा कि उनको बचपन से ही हिंदी से बहुत स्नेह रहा है। वे अपने दादाजी से बहुत प्रभावित रहे। ईदगाह,दो बैलों की कथा,बड़े भाई साहब और ठाकुर का कुँआ कहानियों का उन्होंने ख़ास उल्लेख किया।

डॉ०शशि तिवारी जी ने “अपने हृदय को प्रेम की तुला में तोलिये,मन में कोई जो गाँठ हो तो उसको खोलिए,भारत में या की विश्व में कहीं भी जाएँ आप हिंदी में, हिंदी में, हिंदी में बोलिए” रचना पढ़ी। टोरंटो से डॉ० गोपाल बघेल जी ने मेरी पृथ्वी पर कितने कृत्य हुए,कृष्ण क्या हैं सभी के इष्ट हुए.. रचना पढ़ी।

भारत सरकार,सांस्कृतिक मंत्रालय के राज भाषा निदेशक आर० रमेश आर्य ने हिंदी के प्रचार प्रसार पर चर्चा की। उन्होंने यहाँ तक कहा कि जो तमिल और तेलगू आदि में साहित्य लिखा गया है उसे देवनागरी में अनुवाद करने का प्रयास किया जा रहा है। पत्रिका “ संस्कृति” के बारे में विस्तार से बताया।

ऑस्ट्रेलिया से विजय कुमार सिंह ने "मंद मधुर ये स्मित अधरों पर, मृदुल-मृदुल वाणी स्वर निःसृत। श्रवण सुनें ध्वनि शब्द मनोहर, श्रवा- श्र्वास में मधुमय अमृत” रचना का सुमधुर पाठ किया। चेन्नई से सुनील कश्यप ने “हिन्दी क्या एक भाषा है एक गहन रचना का प्रभावी पाठ किया। ऑस्ट्रेलियांचल पत्रिका की संपादक डॉ०भावना कुँअर ने अपनी ग़ज़ल,कितने ख़ंजर हमने खाए ये बता सकते नहीं,ज़ख़्म दिल के कितने गहरे,हम दिखा सकते नहीं”... का रुचिकर पाठ किया। बलराम गुमस्ता जी ने हिन्दी के प्रचार पर चर्चा करते हुए कहा कि “भारत ऑस्ट्रेलिया साहित्य सेतु”, “भारत ध्वनि” और “ऑस्ट्रेलियांचल पत्रिका” हिन्दी के प्रचार में तन्मयता से संलग्न हैं व्यक्तिगत रूप से जिस तरह ये हिन्दी को बढ़ावा दे रहे हैं, वह सराहनीय प्रयास है। उन्होंने विश्वरंग की हिंदी के लिये की जा रही गतिविधियों से अवगत कराया।हरिऔध जी की बाल कविताओं को बाल पुस्तक के खंडों में शामिल किया ये बताया और पटल पर उन पुस्तकें को प्रदर्शित कर सभी को दिखाया। कविता-चंदा मामा दौड़े आओ का पाठ भी किया 

कार्यक्रम अध्यक्ष पद्मश्री लीलाधार जगूड़ी जी ने देवनागरी लिपि को हिन्दी कहा और उसे आगे बढ़ाने की बात की। देवनागरी लिपि को संस्कृत और सभी शास्त्रों की लिपि बताया। उन्होंने कहा कि हिन्दी एक बहुआयामी भाषा हो गई है।”नए अनाज़ की ख़ुशबू का पुल पार करके मैं तुम्हारे पास आऊँगा” और “दिन नहीं व्यक्ति उदास होता है “ एवं अन्य कविताओं का पाठ किया।

प्रियंका अग्निहोत्री ने मुक्तक- सोच समझ और सपन की धारा बहता पानी हिन्दी है,अपनों संग अपनों के तो कथा कहानी हिंदी है,पढ़ा।

ऑस्ट्रेलिया से प्रगीत कुँअर ने अपनी ग़ज़ल- वो हाथों में सूरज लेकर बैठा है,अँधियारे में दीपक लेकर बैठा है।” का पाठ किया। प्रभात शर्मा जी ने- “हिन्द से हिन्दी बनी” रचना पढ़ी।मेलबर्न से डा० नीलम भटनागर ने-“हिन्दी हमारी पहचान है आन बान शान है”रचना पढ़ी।

अंगिरा वत्स ने-चाँदी का ये गोल बड़ा सा सिक्का,कल रात मेरे आँगन में उतरा” रचना पढ़ी। डा०कांता राय ने “लड़की “ पर लिखी एक प्रभावी रचना का पाठ किया। कवि अनिल कुमार शर्मा ने - “कैसे शुक्राना अदा करूँ तुम्हारा, मेरी आँखों से लिखी प्रेम की पांडुलिपि अगर न जाँची होती तुमने तो मैं ये प्रेम ग्रंथ प्रकाशित ही नहीं कर पाता है,एक गहन प्रेम- रचना का पाठ किया। साहित्य संध्या मेलबर्न से सुभाष शर्मा पटना से डा० विमल कुमार शर्मा वाइस चांसलर की उपस्थिति विषेश रही। अपर्णा वत्स ने हरिऔध जी की पौत्री श्रीमती आशा शर्मा का संदेश पढ़ा “आप सभी का हिन्दी प्रेम हर वर्ष यूँ ही बढ़ता रहे, हर वर्ष इस कार्यक्रम को और बड़ा बनाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ाया जाए और कार्यक्रम के संयोजकों को विशेष सप्रेम आशीर्वाद दिया।(आशा जी इस समय अस्पताल में भर्ती हैं। )

 कार्यक्रम का सफल संचालन कवि अनिल कुमार शर्मा,अपर्णा वत्स, डा०भावना कुँअर व प्रगीत कुँअर ने किया। यू टूयूब,फ़ेसबुक के माध्यम से विश्व के श्रोताओं ने कार्यक्रम में सहभागिता एवं सराहना की।

कार्यक्रम के अंत में अंगिरा वत्स ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया ।