आगरा:चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने वित्त मंत्री-निर्मला सीतारमण जी से की भेंट



उद्यमियों व व्यापारियों की समस्याओं को प्रस्तुत किया एक प्रतिवेदन के माध्यम से।

सरकार एवं उद्योग,व्यापार के हित में दिये महत्वपूर्ण सुझाव।

सत्र में समय अभाव के कारण 43बी(एच) पर विचार अभी संभव नहीं। 

फेसलेस में हो रहे एकपक्षीय आदेशों का लिया जायेगा संज्ञान।

वीडियो कांफ्रेंस में समय बढ़ाने का दिया  आश्वासन।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

दिल्ली:18 मार्च,सायं 4 बजे भारत सरकार की माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी के द्वारा बुलाने पर आगरा चेम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में भेंटवार्ता की।माननीय वित्त मंत्री ने चैम्बर की इस बैठक की चर्चा को अधिक समृद्ध बनाने के लिए सीबीडीटी सदस्य श्रीमती प्रज्ञा सक्सेना को भी उपस्थित रखा था। 

चेम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने बताया कि आयकर अधिनियम के तहत उद्यमियों व व्यापारियों को कई प्रकार की समस्याओं को लेकर वित्त मंत्री  से व्यक्तिगत रूप से विस्तृत वार्ता करने के लिए समय मांगा गया था। वित्त मंत्री ने चैम्बर के अनुरोध को स्वीकार करते हुए आज के लिए समय निर्धारित किया था। चैम्बर अध्यक्ष  ने उनके वेश कीमती समय प्रदान करने पर उन्हें हार्दिक धन्यवाद प्रेषित किया और कहा कि सरकार द्वारा औद्योगिक माहौल बनाने के लिए चल रहे प्रयास बहुत ही सराहनीय हैं, फिर भी उद्यमियों और व्यापारियों को आयकर में जो कठिनाइयां आ रही हैं,उन पर हम ध्यान आकर्षित करने के लिए उनके समक्ष निवेदन करना चाहते हैं।

आयकर प्रकोष्ठ के चेयरमैन एवं पूर्व अध्यक्ष अनिल वर्मा द्वारा बताया गया कि करदाताओं के सामने कुछ चुनौतियां हैं, जो सरकार द्वारा उद्योग व व्यापार हित में किये जा रहे प्रयासों में बाधा बन रही हैं। उनके लिए हमारा अनुरोध है कि धारा 43बी(एच) जो एमएसएमई इकाई को देरी से भुगतान के लिए है,यह प्रावधान व्यवसायियों के लिए कठिनाई पैदा कर रहा है। खासतौर से ऐसे मामले जहां देनदारियां विवादित हैं। अतः महोदया से विनम्र निवेदन है कि इस प्रावधान में छूट या आस्थगन पर यथाशीघ्र स्पष्टीकरण देने की अनुकंपा करें,क्योंकि खातों की किताब मार्च के महीने में बंद होनी है। 

इस विषय को माननीय वित्त मंत्री महोदया ने गंभीरता पूर्वक सुना और बताया कि सत्र समाप्ति की ओर है अतः इस पर अब विचार संभव नहीं है।  आश्वासन दिया कि आगे सरकार आने पर इस प्रावधान पर अवश्य विचार किया जायेगा। 

चैम्बर उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने अनुरोध किया कि फेसलेस अपील में करदाताओं को निश्चितता प्रदान करने और लम्बे समय तक चलने वाली मुकदमेबाजी को कम करने के लिए कपील पर निर्णय लेने के लिए एक विशिष्ट समय सीमा स्थापित करनी चाहिए। ताकि कर प्रशासन प्रणाली में विश्वास स्थापित रहे। आयकर प्रकोष्ठ की कोचेयरमैन सीए प्रार्थना जालान ने कहा कि अपील कर्ता द्वारा कई बार प्रस्तुतियां दायर की जाती हैं, लेकिन काफी समय के बाद भी न्याय निर्णयन अधिकारी द्वारा कोई आदेश पारित नहीं किया जाता है। मा.महोदया ने आश्वासन दिया कि फसलेस एक पक्षीय आदेशों पर वे संज्ञान लेंगी। उनसे निवेदन किया गया कि वीडियो कांफ्रेंस में समय काम दिया जाता है जिससे अपीलकर्ता अपनी बात को पूरी तरह नहीं रख पता है। मंत्री महोदया ने आश्वासन दिया कि वीडिओ कांफ्रेंस के समय को बढ़ाया जायेगा।उनसे यह  निवेदन किया गया कि विवाद से विश्वास (द्वितीय) को पुनः शुरू किया जाये, क्योंकि अपीलों के ढेर लगते जा रहे हैं।

चैम्बर उपाध्यक्ष मनोज बंसल ने बताया कि सरकार 2016 में आय घोषणा योजना लेकर आई थी जो काफी उपयोगी सिद्ध हुई थी। जिसके तहत सरकार को 62500 करोड़ रुपये की जमा राशि भी प्राप्त हुई थी। इस योजना को पुनः लागू किया जाये।

 आयकर प्रकोष्ठ चेयरमैन अनिल वर्मा ने सुझाव दिया कि इस योजना को पुनः लागू किया जाये और सीके तहत कर की दर 30 प्रतिशत हो, 25 प्रतिशत देयकर का स्वास्थ्य उपकर और 25 प्रतिशत का जुर्माना लगाया जा सकता है। अर्थात कुल देयकर और जुर्माना मिलाकर 45 प्रतिशत हो सकता है।

चैम्बर कोषाध्यक्ष योगेश जिंदल ने बताया कि ट्रस्ट के लिए धारा 115 टीटीए एक कठोर प्रावधान है। इससे ट्रस्टों पर भारी मांग उत्पन्न होती है। इस प्रावधान पर पुनः गौर करने की जरूरत है और विलम्ब के लिए वास्तविक कारणों को ध्यान में रखते हुए माफ किया जाना चाहिए।

प्रकोष्ठ चेयरमैन अनिल वर्मा ने कहा कि प्रपत्र10बी या 10बीबी दाखिल करना विभिन्न तकनीकी कारणों से कुछ करदाताओं के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसी विषम परिस्थितियों में इन प्रपत्रों को दाखिल करने में विलम्ब को माफ करने का प्रावधान होना चाहिए। जिससे अनुचित कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़े। इस सम्बन्ध में मार्च का परिपत्र संख्या 2/2024 को पूर्वव्यापी किया जाये, केवल मूल्यांकन वर्ष 2023-24 तक सीमित नहीं किया जाये।

सीए प्रार्थना जालान ने बताया कि धारा 115बीबीई जो नोटबंदी के समय काला धन रखने वाले लोगों को दण्डित करने के लिए लागू की गई थी। जिसके तहत 60 प्रतिशत की दर से उच्च दर पर कर लगाने के लिए उत्तरदायी बनाया गया है। चूंकि अब नोट बंदी की अवधि समाप्त हो गई है। अब इसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए। इसके चलते उद्यमियों को अनावश्यक उत्पीड़न होता है। 115बीबीई में उच्च दर से कर लगने के कारण भारी मांग होती है। अतः अब इस धारा के तहत प्रावधानों पर पुनर्विचार करने की अनुकम्पा करें।

चेम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने बताया कि भविष्य निधि आदि में कर्मचारी अंशदान के लिए कटौती की अनुमति दी जानी चाहिए। भले ही यह अंशदान वैधानिक समय सीमा के बाद जमा किया गया हो। लेकिन वह आय की रिटर्न दाखिल करने की तारीख से पहले जमा कर दिया गया हो। यह प्रावधान गत वर्ष बजट में बदल दिया गया है।

आयकर प्रकोष्ठ चेयरमैन अनिल वर्मा ने बताया कि धारा 56 जो संपत्ति के सर्किल रेट और वास्तविक खरीद मूल के बीच की आय के सम्बन्ध में है। यह कठिनाई उत्पन्न कर रहा है क्योंकि कई राज्यों में स्टाम्प शुल्क अधिनियम के तहत मूल्यांकन मूल्य को अभी तक समानुपाती नहीं किया गया है। अतः इस पर पुनर्विचार किया जाये। नियम 9 बी इकाईयों के लिए खासतौर से न्यू स्टार्टअप के लिए दोहरे कराधान के कारण बाधा उत्पन्न कर रहा है। अतः इसे खत्म किया जाये।

चैम्बर प्रतिनिधि मंडल में अध्यक्ष राजेश गोयल,आयकर प्रकोष्ठ चेयरमैन अनिल वर्मा, उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, उपाध्यक्ष मनोज बंसल,कोषाध्यक्ष योगेश जिंदल और सीए प्रार्थना जालान मौजूद थीं।