हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
आगरा: शिरोस हैंगआउट कैफ़ में अमृता विध्या-एजूकेशन फॉर ईम्मोर्टलिटी और छांव फ़ाउंडेशन द्वारा प्रायोजित "इंग्लिश पोएट्री अड्डा " का दूसरा सेशन सम्पन्न हुआ। पूर्व निर्धारित दिन,महीने के हर दूसरे शनिवार को आयोजित कार्यक्रम, का पहला सेशन 13-4-24 को "खंडेलवाल पोएटिक प्रोसैस" किताब के लॉंच से शुरू हुआ था। यह शुभ आरंभ डॉ.एस.पी.सिंह ,प्रिन्सिपल सैंट जोन्स कॉलेज,जो प्रिन्सिपल बनने से पहले इंग्लिश के प्रोफेसर हैं। इंग्लिश पोएट्री अड्डा का संचालन राजीव खंडेलवाल के निर्देशन में किया जा रहा है।
सेशन की शुरुआत राजीव खंडेलवाल ने "इंट्रोड्यूसिंग पोएट्री फॉर बिगनर्स" का पीपीटी प्रेजेंटेशन से किया। उन्होंने बताया के पोएट्री को ग्रीक में पोयाओ कहते हैं,इसका मतलब "आई क्रिएट" होता है। आप क्या क्रिएट करते हैं? आप पोएट्री में पढ़ने वाले या सुनने वाले को शब्दों का समूह,जिसमें कल्पना (विचार), भावना (भाव) और कहानी प्रस्तुत करते हैं।
वो आगे कहते हैं,बिगनर्स के मन में विचार आ सकता है,के पोएट्री लिखने से क्या होगा?समझते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप पोएट्री लिखने में प्रेरित होंगे तो आपकी पर्सनलिटी में चार चीजों में सुधार आयेगा - १. श्रवण करना २.बोलना ३. पठन ४. लेखन । यह अच्छी पोएट्री लिखने के मूल जरूरत हैं।
इंग्लिश पोएट्री अड्डा में सहभागिता और प्रतिभागियों की भागीदारी उत्साह वर्धक थी। कुछ के पास कल्पना द्वारा लिखी कविता थीं। कुछ लिखना चाहते थे, उनको उत्सावर्धन और मार्गदर्शन की जरूरत थी। राजीव खंडेलवाल जो कि इंजीनियर हैं,उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होने कविता लिखना स्टेप बाइ स्टेप सीखा है। शुरुआत अल्फाबेट पोयम से करनी चाहिए - पहले A लें और A से शुरू कर कुछ लिखें , फिर B लें वर्णमाला के कुछ अल्फाबेट या अंत तक एक कविता का रूप ले लेगी। वो कथनात्मक या मुक्त छंद होकर भी एक कविता का आकार ले लेगी। लिखी कविता में सुधार शब्दों के चयन और लिखने वाले की कल्पना से किया जा सकता है। नियमित अभ्यास से कविता लिखने में सुधार आयेगा।
कविता लिखने के अगले अभ्यास में अक्षरबद्ध कविता (Acrostic Poem) जैसे माँ (MOM) ,पिता (DAD/Father), दोस्त का नाम आदि। उदाहरण के लिए MOM(माँ) के M से शुरू कर दूसरी लाईन O से शुरू करें,फिर अंत में M से। यह कविता लिखना शुरू करने वाले के लिए अपने करीब और प्रिय के लिए व्यक्तिगत गिफ्ट होगा।
राजीव खंडेलवाल को भरोसा है कि इस तरहा के लेखन अनुभव,शुरुआती कविता लिखने वाले की कल्पना और विचारों को सुव्यवस्थित करेगा। इसके लिए उनके पास अभ्यास करने की पद्धति है,जो शब्दों के चयन करने और आगे लिखने में मदद करेगी ।
अनिल शर्मा - सेक्रेटरी अमृता विद्या - एजुकेशन फॉर इम्मोर्टालिटी का कहना है - अभी तक दोनों सेशन बहुत उत्साह वर्धक रहे हैं। ऑफ लाइन सत्र के साथ ऑनलाइन सत्र आयोजित करने की मांग भी आयी है। हम संभावनाओं पर गौर कर रहे हैं और जल्दी ही शुरू करेंगे।
हम ऑनलाइन सत्र के लिए फीस रखेंगे, जो छांव फ़ाउंडेशन को देय होगी,हमारा मकसद एसिड अटैक पीडिताओं के विकास कार्य में सपोर्ट करना है ।
आशीष शुक्ला-डायरेक्टर छांव फ़ाउंडेशन ने कहा-कविता लिखना और पढ़ना सुकून के साथ विचार प्रक्रिया को व्यविस्थित करता है। हम देश के कई हिस्सों में एसिड अटैक पीडिताओं से मिल रहे हैं, उनको उनके घर से बाहर लाना चुनोतीपूर्ण है। पीडिताओं के बहुत से सपने थे, हम पूर्व रूप में लाने के लिए प्रयसरत हैं। पोएट्री सेशन, हमारी मैनेजमेंट टीम के लिए अनुभव से परे सोचने में मदद करेगा। हम चाहेंगे कि इंग्लिश पोएट्री अड्डा का विस्तार देश और विदेश में हो।
प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और सीख को साझा करते हुए बताया -
सैंट पीटर्स कॉलेज के छात्र आहिल ने कहा कि वो दूसरी बार आये हैं, उनको पढ़ने का शौक है,राजीव खंडेलवाल द्वारा स्टेप बाइ स्टेप एक्ससरसाइज़ करवा कर बहुत ही सरल तरीके से बताकर इंग्लिश पोएट्री लिखने के लिए प्रेरित किया है। पहला सेशन में आने पर वो उत्साहित हुए और दूसरे को अटेंड करने के लिए से इंतज़ार कर रहे थे।
पोएट्री लिखने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती , इस बात को साबित किया डॉ महेश शर्मा, डॉ वेद त्रिपाठी ने,पहली बार पोएट्री लिखने का प्रयास किया और माना के अगर कोई गाइड करे तो सीखा जा सकता है। युवा सहभागी अचिंत्य शर्मा, आशीष प्रसाद, प्रतीक राठौर, क्षैतिज सिंह और अंचित चौहान ने भी पहली बार कविता लिखने का प्रयास कर अपने आप को आनंदित महसूस किया। सबको प्रयासरत देख एसिड अटैक पीड़िताओं ने भी प्रयास किया।
आज के प्रोग्राम में असलम सलीमी,डॉ.मधु भारद्वाज ,सीमा खंडेलवाल,दीपक प्रहलाद अग्रवाल, रीता भट्टाचार्य ,अनिल शुक्ला,नवाबुद्दीन, योगेश कौशल आदि उपस्थित रहे।
संचालन अनिल शर्मा ने किया और सारा अरेंजमेंट एसिड अटैक पीड़िताओं ने किया।
रिपोर्ट-असलम सलीमी