भगवान श्रीजगन्नाथ जी ने चंदुआ धारण कर स्वर्ण भेष में दिए दर्शन

 


18 जुलाई को होगा अधार्पण,शमशानों में जाएगा भगवान का भोग,देवशयनी एकादशी पर वर्ष में एक बार होने वाले भगवान के चरणों व हाथों के भी हुए दर्शन

हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो

आगरा। देवशयनी एकादशी पर श्रीजगन्नाथ भगवान में चंदुआ (मुकुट) धारण किया। उन्होंने स्वर्ण भेष में बहन सुभद्रा जी व भाई बलराम जी संग भक्तों को दर्शन दिए।

 कमला नगर स्थिति श्रीजगन्नाथ मंदिर में वर्ष में एक बार देवशयनी एकादशी के दिन भगवान के चरण व हाथों के दर्शन कर हर भक्त का मन भक्तिभाव से भर गया। संध्या आरती से पूर्व हरे राम हरे कृष्णा... का कीर्तन हुआ।  

सामान्य तौर पर सिर पर पगड़ी धारण करने वाले श्रीजगन्नाथ भगवान आज चंदुआ (मुकुट) धारण किए थे। श्रीजगन्नाथ मंदिर कमला नगर के अध्यक्ष अरविन्द स्वरूप ने बताया कि मान्यता है कि रथयात्रा के बाद अपने मौसी के घर से लौटे भगवान ने देवशयनी एकादशी के दिन उन सभी उपहरों को धारण किया, जो उन्हें मौसी के घर से मिले थे। इसी मान्यतानुसार भगवान के स्वर्ण भेष में श्रंगार किया जाता है। गोल्ड प्लेटेट चांदी के आभूषण,स्वर्ण रंग की पोशाक से भगवान को श्रंगारित किया गया। वर्ष में एक दिन देवशयनी एकादशी के दिन भगवान के चरण व हाथों के भी दर्शन होते हैं। 

18 जुलाई को अधार्पण होगा,जिसमें भगवान का प्रसाद शमशानों में भूत प्रेतों के लिए भेजा जाता है। अरविन्द प्रभु ने बताया कि भगवान सभी का ध्यान रखते हैं। इसलिए कल का भोग हड़िया में लगाया जाएगा। जिसे भूत प्रेतों के लिए शमशान भेजा जाता है। आज के दिन धारण की पोशाक को भगवान दोबारा धारण नहीं करते।

इन्होंने की प्रभु जी से भक्तों के लिए विनय : 

 पीआरओ इस्कॉन श्री अखिलेन्द्र योगी जी ने भगवान श्री जगन्नाथ जी,बहन सुभद्रा जी,श्री बलभद्र जी एवं प्रभु श्री कृष्ण-श्री राधे जी को कोटि कोटि नमन करते हुए विनय की,कि प्रभु जी सभी भक्तों को सुख-शान्ति प्रदान करें।

 इस अवसर पर मुख्य रूप से शैलेन्द्र अग्रवाल,कामता प्रसाद अग्रवाल,संजीव मित्तल, सुनील मनचंदा, सुशील ग्रवाल, ओमप्रकाश अग्रवाल, संजय कुकरेजा, विपिन अग्रवाल, राजीव मल्होत्रा, सूरज प्रभु, देव केशव दास, हर्ष खटाना, अनिल गुप्ता, शास्वत नंदलाल दास, अलंकार दास, ललित माधव दास,शंभु प्रभु आदि उपस्थित थे।   

बैंगन के व्यंजनों का लगा भोग :

 श्रीजगन्नाथ मंदिर (इस्कॉन) कमला नगर के अध्यक्ष अरविन्द प्रभु ने बताया कि  दशमी के दिन बैंगन दशमी पर बैंगन के विभिन्न व्यंजनों के प्रसाद लगाया गया। जिसमें बैंगन की पूड़ी, बैंगन की रोटी, बैंगन की कचौड़ी, बैंगन का मीठा व नमकीन रायता, बैंगन का भाजा, बैंगन की रसे की सब्जी, दूध के साथ बनी बैंगन की मिठाई जैसे कई व्यंजन थे। बैंगन दशमी के बाद से चार माह (सावन, भादों, क्वार, कार्तिक) तक पत्तेदार व बैंगन की सब्जी नहीं खाई जाती है।मौसम में कीड़े इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। बैंगन व पत्तेदार सब्जियों में बरसात के मौसम में कीड़े होने व पाचन में दिक्कत होने से इन्हें चार माह के लिए त्यागा जाता है।