ज्ञान,अनुसंधान और नवाचार की गौरवशाली यात्रा : डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 99वें स्थापना दिवस पर चिंतन,आत्ममंथन एवं संकल्प

                          कुलपति : प्रो.(डॉ.) आशू रानी

हिन्दुस्तान वार्ता। ✍️ डॉ.प्रमोद कुमार

डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय जो कभी आगरा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था,आज 99 वर्ष पूर्ण कर अपने शताब्दी वर्ष की देहलीज़ पर खड़ा है। यह अवसर केवल उत्सव का नहीं, बल्कि आत्ममंथन,आभार और नवदृष्टि के साथ नए संकल्पों के निर्माण का है। शिक्षा,अनुसंधान,नवाचार और सामाजिक उत्तरदायित्व के चार स्तंभों पर टिका यह विश्वविद्यालय न केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश बल्कि समूचे भारत के बौद्धिक और शैक्षणिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण पहचान बना चुका है।

यह अवसर केवल जश्न का नहीं,बल्कि गौरवपूर्ण अतीत के आत्मावलोकन, वर्तमान की समीक्षा और भविष्य के संकल्प का प्रतीक है। विश्वविद्यालय ने बीते नौ दशकों में जिस प्रकार ज्ञान, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित की है,वह भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक प्रेरणास्रोत है। डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय,जो अपने शैक्षणिक,सांस्कृतिक और अनुसंधानात्मक योगदानों के लिए देशभर में सम्मानित है।

 यह अवसर केवल स्मरण और उत्सव का नहीं,बल्कि एक वृहद चिंतन, आत्ममंथन और उदात्त संकल्प का है कि हम इस गौरवशाली यात्रा को कैसे शताब्दी वर्ष की ओर और अधिक प्रभावशाली एवं वैश्विक पहचान के साथ आगे बढ़ाएं। इस समूची यात्रा की सबसे प्रमुख विशेषता यह रही है कि विश्वविद्यालय को हाल के वर्षों में नवीन ऊंचाइयों तक पहुँचाने का श्रेय जाता है कुलगुरु आदरणीय प्रो.आशू रानी जी को,जिनकी दूरदर्शिता,विद्वता और साहसिक नेतृत्व ने इस संस्था को गति और गरिमा दोनों प्रदान की है। उन्होंने अपने अदम्य साहस और जुझारू कार्यशैली से विश्वविद्यालय को एक बार फिर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की दिशा में मौलिक पहलें की हैं। 

विश्विद्यालय के चहुमुखी विकास के लिए,चाहे बात प्रगतिशील नीतियों की हो, रचनात्मक अधोसंरचना विकास की, RFID पुस्तकालय और स्मार्ट कक्षाओं जैसी पहल की अथवा MyGov सहभागिता जैसे नागरिक-केंद्रित संवादों की। प्रो.आशू रानी जी की सहनशीलता, समर्पण और सकारात्मक दृष्टिकोण ने विश्वविद्यालय के समस्त हितधारकों को एक नवोन्मेषी दिशा प्रदान की है। उनकी नेतृत्व क्षमता और नैतिक प्रतिबद्धता ही वह मूलभूत शक्ति रही है,जिसने विश्वविद्यालय को A+ ग्रेड, शोध, पेटेंट, प्लेसमेंट,अंतरराष्ट्रीय समझौते एवं नवाचार जैसे कीर्तिमानों तक पहुंचाया है। स्थापना दिवस की यह भूमिका उन्हें कृतज्ञता और प्रेरणा दोनों रूपों में समर्पित है।

आज जब हम विश्वविद्यालय की अकादमिक,अनुसंधान व बुनियादी उपलब्धियों की ओर देखते हैं, जैसे NAAC द्वारा A+ ग्रेड,सैकड़ों शोध-पत्र, दर्जनों पेटेंट्स,राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां तथा डिजिटल अधोसंरचना का विस्तार  तो यह स्पष्ट होता है कि यह संस्था परंपरा और प्रगति का सजीव संगम है। इस विशेष अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा भारत सरकार की MyGov पहल में सक्रिय सहभागिता भी उल्लेखनीय है,जो शिक्षा क्षेत्र में जन-सहभागिता और डिजिटल लोकतंत्र की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। MyGov के साथ सहयोग न केवल छात्रों और शिक्षकों को नीतिगत संवाद से जोड़ता है,बल्कि उन्हें रचनात्मक और उत्तरदायी नागरिक बनने की दिशा में भी प्रेरित करता है।

इस 99वें स्थापना दिवस पर हमारा दायित्व बनता है कि हम शैक्षणिक उत्कृष्टता, अनुशासित अनुसंधान, और समावेशी नवाचार की इस परंपरा को आगे बढ़ाएं तथा 100वें वर्ष में प्रवेश करते हुए एक वैश्विक स्तर के विश्वविद्यालय के निर्माण हेतु सजग, संकल्पबद्ध और प्रतिबद्ध बनें।

विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उद्देश्य :

डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की स्थापना 1 जुलाई 1927 को भरतपुर हाउस के परिसर से शुरू हुआ विश्वविद्यालय उप्र,उत्तराखंड,नेपाल तक विस्तारित था। अब आगरा,मथुरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी के कॉलेज संबद्ध हैं। आगरा कॉलेज (1823), सेंट जोंस कालेज (1850), आरबीएस कॉलेज (1885) इसकी शान बने हुए हैं। विश्वविद्यालय में कमु हिन्दी विद्यापीठ, समाज विज्ञान संस्थान, गृह विज्ञान संस्थान, सेठ पद्मचंद प्रबंध संस्थान, दाऊदयाल वोकेशनल संस्थान, बेसिक साइंस संस्थान,लाइफ साइंस संस्थान, ललित कला संस्थान,दीनदयाल संस्थान हैं। फार्मेसी,इंजीनियरिंग संस्थान और खेलकूद संस्थान अपना परचम लहरा रहा है। तब से यह विश्वविद्यालय क्षेत्रीय शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र रहा है। संस्थापक का उद्देश्य था कि एक ऐसा संस्थान स्थापित करना जो गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा,समावेशिता और नवाचार के माध्यम से समाज को सशक्त करे। 1996 में जब इसे भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम से पुनः नामित किया गया,तो यह केवल एक औपचारिक बदलाव नहीं था,बल्कि एक वैचारिक दिशा का चयन था।सामाजिक न्याय,समानता और ज्ञान के लोकतंत्रीकरण की राह पर चलने का संकल्प।

शैक्षणिक उत्कृष्टता की दिशा में प्रगति :

सत्र 2024-25 में विश्वविद्यालय ने 236 शैक्षणिक गतिविधियाँ आयोजित कर ज्ञान के विविध आयामों को विस्तार दिया। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों के साथ संगोष्ठियाँ, कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का सशक्त माध्यम बने। विश्वविद्यालय को ‘NAAC’ से मिला A+ ग्रेड उसकी शिक्षा गुणवत्ता का सशक्त प्रमाण है, जो राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शिक्षण, पाठ्यक्रम, मूल्यांकन और अकादमिक वातावरण को उजागर करता है।

अनुसंधान की उपलब्धियाँ :

इस वर्ष 340 शोध-पत्रों का प्रकाशन हुआ, जिससे विश्वविद्यालय की अनुसंधान परंपरा और गंभीरता की पुष्टि होती है। 82 अनुसंधान परियोजनाएँ और 32 पेटेंट दर्शाते हैं कि विश्वविद्यालय केवल ज्ञान का उपभोग नहीं कर रहा,बल्कि नया ज्ञान सृजित कर रहा है। शोध की गुणवत्ता और उसका सामाजिक उपयोगिता से जुड़ाव विश्वविद्यालय को एक नवाचार-केंद्रित संस्थान के रूप में प्रस्तुत करता है। अनुसंधान प्रकोष्ठ की सक्रियता, शोधार्थियों को दी जाने वाली सहायता और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन की बढ़ती संख्या इसकी प्रमाणिकता है।

पुस्तक प्रकाशन और अध्यापन :

118 पुस्तकों एवं अध्यायों का प्रकाशन इस वर्ष हुआ, जिनमें भारतीय ज्ञान परंपरा, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े विविध विषयों पर गंभीर विश्लेषण और आधुनिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में स्मार्ट क्लासरूम की स्थापना, ई-लर्निंग प्लेटफार्म का विस्तार और नवाचार आधारित पाठ्यक्रमों की शुरुआत शिक्षण प्रणाली को अधिक लचीला और सुसंगत बनाती है।

औद्योगिक व शैक्षणिक सहयोग (MoUs) :

सत्र 2024-25 में 25 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से MoUs पर हस्ताक्षर हुए। TCS ION, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय और विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ हुए समझौतों ने विद्यार्थियों को व्यावसायिक अवसरों और वैश्विक एक्सपोज़र के नए द्वार खोले। यह सहयोग अकादमिक परिसीमन को तोड़कर बहुआयामी सीखने की संभावनाओं को जन्म देता है।

बुनियादी ढांचे का सशक्तिकरण :

विश्वविद्यालय का भौतिक ढांचा आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप रूपांतरित किया गया है। मेजर ध्यानचंद स्टेडियम की स्थापना ने खेलों को नई ऊंचाइयाँ दीं। स्मार्ट क्लासरूम, अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ, संग्रहालय और RFID-सुसज्जित पुस्तकालय ने परिसर को डिजिटल और वैश्विक बनावट दी। खेलकूद,शोध और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु अलग-अलग केंद्रों का निर्माण एक स्वस्थ, रचनात्मक और बहुआयामी शिक्षण वातावरण का निर्माण करता है।

प्लेसमेंट एवं कैरियर उन्मुखता :

2024-25 में 695 छात्रों को प्रतिष्ठित कंपनियों में प्लेसमेंट मिला। विश्वविद्यालय का प्लेसमेंट प्रकोष्ठ छात्रों को न केवल नौकरियों के लिए तैयार करता है, बल्कि उन्हें नेतृत्व, टीम वर्क, और कौशल विकास की दिशा में भी प्रशिक्षित करता है। उद्योगों के साथ सशक्त संवाद,इंटर्नशिप योजनाएँ और कैरियर काउंसलिंग सत्र इस उपलब्धि के मूल में हैं।

डिजिटल परिवर्तन की दिशा में कदम :

विश्वविद्यालय अब डिजिटल रूपांतरण के युग में प्रवेश कर चुका है। प्रस्तावित डिजिटल पुस्तकालय, ऑनलाइन परीक्षा सुविधा (1000 सीटों की क्षमता), पारदर्शी परीक्षा प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विशेष व्यवस्थाएँ इस परिवर्तन का प्रमाण हैं।

डिजिटलीकरण न केवल कार्य दक्षता को बढ़ाता है,बल्कि पारदर्शिता, समय की बचत और पर्यावरणीय संरक्षण में भी सहायक सिद्ध होता है।

भारतीय ज्ञान प्रणाली का सशक्त पुनरुत्थान :

भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना इस बात का संकेत है कि विश्वविद्यालय अपनी जड़ों से जुड़ा रहकर वैश्विक मंच पर संवाद स्थापित करना चाहता है। योग, आयुर्वेद, दर्शन, न्यायशास्त्र और सांस्कृतिक विरासत जैसे विषयों का समावेश छात्रों को गहराई में सोचने और जड़ों से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।

PM-उषा योजना और आर्थिक सशक्तिकरण :

प्रधानमंत्री उच्च शिक्षा अभियान (PM-USHA) के तहत विश्वविद्यालय को ₹2 करोड़ का अनुदान मिला है। इस फंड का प्रयोग नवाचार, बुनियादी ढांचे के विकास और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के संवर्धन में किया जा रहा है। यह समर्थन विश्वविद्यालय की नीतिगत दूरदृष्टि और प्रशासनिक क्षमता का प्रमाण है।

पूर्व छात्रों की भूमिका और समाज से संवाद :

विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र आज भारत और विदेशों में विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व कर रहे हैं। इनका अनुभव, योगदान और संवाद विश्वविद्यालय की वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। साथ ही, विश्वविद्यालय अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को भी गंभीरता से निभा रहा है।  ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा सशक्तिकरण,पर्यावरण संरक्षण अभियान, और सामाजिक समरसता के लिए आयोजित कार्यक्रम इसकी मिसाल हैं।

भावी योजनाएँ और दूरदृष्टि :

विश्वविद्यालय अब शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर है। अगले एक वर्ष में डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना, 1000 सीटों वाली अत्याधुनिक परीक्षा प्रणाली,अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए छात्रावास एवं विशेष पाठ्यक्रम, भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए शोध केंद्र, AI और मशीन लर्निंग आधारित पाठ्यक्रमों का प्रारंभ, संवेदनशील, समावेशी और सतत विकास लक्ष्यों के अनुकूल प्रशासनिक नीतियाँ लागू करने की योजना है।

डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की 99 वर्षों की यात्रा भारतीय उच्च शिक्षा की एक प्रेरक गाथा है। यह यात्रा केवल अतीत की उपलब्धियों तक सीमित नहीं है,बल्कि भविष्य की दिशा में उठाए जा रहे प्रगतिशील कदमों की भी साक्षी है। समाज,राष्ट्र और मानवता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को निभाते हुए यह विश्वविद्यालय ‘ज्ञान का दीप’ बनकर नए युग के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। विश्वविद्यालय की 99 वर्षों की यात्रा केवल समय की गणना नहीं, बल्कि शैक्षणिक उत्कर्ष, बौद्धिक समृद्धि, अनुसंधान की उन्नति और नवाचार की सतत चेतना की गौरवगाथा है। यह यात्रा भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में उस विरासत को दर्शाती है जो ज्ञान के लोकतंत्रीकरण, सामाजिक न्याय और समावेशी प्रगति के आदर्शों से प्रेरित रही है। आज जब विश्वविद्यालय अपने शताब्दी वर्ष की देहरी पर खड़ा है, तब यह उपयुक्त समय है कि हम गौरवपूर्ण अतीत का पुनर्पाठ,वर्तमान का मूल्यांकन और भविष्य के लिए दूरदर्शी योजनाओं का संकल्प लें।

विश्वविद्यालय की हालिया उपलब्धियां जैसे कि A+ ग्रेड, अनुसंधान प्रकाशनों में वृद्धि, नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा,अंतरराष्ट्रीय सहयोग, और डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास — इस संस्थान की गतिशीलता और प्रतिबद्धता के प्रमाण हैं। चिंतन और आत्ममंथन केवल आत्मप्रशंसा नहीं,बल्कि नवीन दिशा निर्धारण का अवसर होते हैं। इस अवसर पर यह आवश्यक है कि शिक्षक, विद्यार्थी, प्रशासन और समस्त हितधारक मिलकर विश्वविद्यालय को वैश्विक मानकों पर स्थापित करने हेतु सामूहिक संकल्प लें। MyGov जैसी भागीदारी विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय विकास से जोड़ती है और छात्रों को उत्तरदायी नागरिक बनने की प्रेरणा देती है।

शिक्षा के इस मंदिर में,आने वाले वर्षों में सृजनात्मकता, समावेशन, गुणवत्ता और नैतिकता के साथ आगे बढ़ना ही डॉ. आंबेडकर के विचारों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। यही स्थापना दिवस का सच्चा अर्थ है, गौरव, गहराई और भविष्य की तैयारी का संगम।

आज स्थापना दिवस पर हम सब यह संकल्प लें कि हम शिक्षा के इस मंदिर को और अधिक समर्पण,ईमानदारी और नवाचार के साथ ऊंचाइयों तक पहुंचाएँगे। विश्वविद्यालय की सफलता, हमारे सामूहिक प्रयास और साझा विजन का प्रतिफल है।

शुभकामनाओं सहित -

“ज्ञान,न्याय और समानता के पथ पर अग्रसर यह विश्वविद्यालय आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनता रहे।” 

डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय को 99वें स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

लेखक - डिप्टी नोडल अधिकारी,MyGov

डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा हैं।