हिन्दुस्तान वार्ता। नोयडा
एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अंर्तगत उन्नत माइक्रोस्कोपी विश्लेषण और सूक्ष्मजीवों अंतःक्रियाओं के क्षेत्र में इसके अनुप्रयोग की जानकारी प्रदान करने के लिए ‘‘ सतत कृषि के लिए आधुनिक माइक्रोस्कोपी’’ विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का शुभारंभ इंफाल के सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर और नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर सांइसेस के पूर्व अध्यक्ष डा आर बी सिंह, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, गु्रप डिप्टी वाइस चांसलर डा अजीत वर्मा, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी के डिप्टी डायरेक्टर डा अमित खरकवाल ने दीप जलाकर किया। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न संस्थानों से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है।
इस कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए इंफाल के सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर और नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर सांइसेस के पूर्व अध्यक्ष डा आर बी सिंह ने सतत कृषि एवं खाद्य प्रणाली को भारतीय परिपेक्ष्य में बताते हुए कहा कि काफी वर्षो पहले एक ऐसा वक्त भी था जब देश में अन्न उत्पादन प्रर्याप्त नही थ और जनसंख्या को समुचित अन्न प्रदान करने के लिए हमें दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था। आज हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, पीली क्रांति और नीली कं्राति के उपरंात हम कृषि सहित, बागवानी, दुग्ध और मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में किसी भी अन्य देशों पर निर्भर नही है। देश में सभी के भोजन हेतु खाद्य सुरक्षा बिल लागू किया गया है।
भारत आज भी वैश्विक परिपेक्ष्य में अपने कृषि प्रर्दशन को और बेहतरीन कर रहा है। डा सिंह ने कहा कि अन्न की नयी वैराइटी विकसित हो रही है, उत्पादन से लेकर बाजार और बाजार से ग्राहक तक की श्रृखंला को मजबूत बनाया गया है। उन्होनें कहा कि इतनी बृहद क्रांति के बावजूद आज विश्व में एक चौथाई जनसंख्या भूखी है और विश्व के 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार है। वैश्विक जीरो हंगर चैलेंज हम सभी के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है। प्राकृतिक कृषि संसाधनों की चुनौती को बताते हुए कहा कि घटते संसाधन, जलवायु परिवर्तन, सिंचाई के लिए जल की कमी, मृदा स्वास्थय, मृदा में माइक्रोन्यूट्रीयेंट की कमी आदि चुनौतीयां है जिसका हल हमें शोध व नवाचार के जरीए करना होगा।
कृषि विकास को गैर कृषि विकास के बराबर करना होगा। उन्होनें कार्बन फार्मिंग सहित नये विज्ञान जिसमें जेनेटिक जीन का विकास, एआई, आईओटी, नैनोटेक्नोलॉजी, स्वच्छ उर्जा, फिनोमिक्स और जिनोमिक्स आदि की जानकारी और उपयोग को बताया। उन्होने प्रतिभागियों से कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला आपको आधुनिक उपकरणों की जानकारी प्रदान करने में सहायता प्रदान करेगी।
एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्यशाला का उददेश्य शोधार्थियों और वैज्ञानिकों की क्षमता निर्माण करना है। आज हम कृषि के क्षेत्र में अगर आत्मनिर्भर बने है तो इसका संपूर्ण श्रेय कृषकों और कृषि वैज्ञानिको को जाता है। अपने ज्ञान का उपयोग कर वर्तमान चुनौतियां जैसे सतत कृषि के विकास, मृदा स्वास्थय को सुदृढ़ बनाने में करें और इस प्रकार की कार्यशाला में प्राप्त की गई आधुनिक उपकरणों की जानकारी आपके लिए अवश्यक सहायक होगी।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी के डिप्टी डायरेक्टर डा अमित खरकवाल ने छह दिन कार्यशाला में होने वाली गतिविधियों की विस्तृत जानकारी देते हुए एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी द्वारा किये जा रहे शोध कार्यो, पाठयक्रमों आदि की जानकारी प्रदान की।
कार्यशाला के विभिन्न सत्रों के अंर्तगत जापान के टोवा आप्टिक्स के एप्लीकेशन स्पेशलिस्ट डा प्रबल चक्रवर्ती ने माइक्रोस्कोपी पर, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी की डा सुरभी डाबराल और डा मोनिका गुप्ता ने माइक्रोस्कोपी का प्रयोगशाला प्रदर्शन और गु्रप डिप्टी वाइस चांसलर डा अजीत वर्मा ने ‘‘ न्यू इनसाइट इन माइकोराइजेल रिसर्च पर व्याख्यान दिया।