क्या यूँ ही दशहरा मनाएंगे:✍️ग्रुप कैप्टन' डॉ. कुँवर जय पाल सिंह चौहान।

 


हिन्दुस्तान वार्ता।

रावण तो मन के अंदर है,

क्या उसकी चिता जलाएँगे ?

या फिर मन की कलुषित लंका पर,

ख़ुशियों की बली चढ़ाएँगे।

धरती आज आवाहन करती है,

क्या उसको स्वर्ग बनाएँगे ?

या फिर राम राज्य सपना ही रखकर,

यूँ ही दशहरा मनाएँगे।।

कहाँ जाएगी भावी पीढ़ी ?

कहाँ जाएँगे मर्यादा के मूल ?

भाई -बहन, माँ-बाप के रिश्ते,

क्या ऐसे आगे चल पाएँगे।।

रस्मी तौर पर पुतले का वध कर,

क्या ऐसे त्यौहार मनाएँगे ?

या फिर अपने प्रिय बच्चों को,

रामायण का पाठ पढ़ायेंगे।।

संस्कारों को पैदा करके,

क्या दुर्गुण दूर भगाएँगे ?

आदर्श राष्ट्र निर्माण की ख़ातिर, 

क्या हम तीर चलाएँगे।।

जय श्री राम 🚩