हिन्दुस्तान वार्ता।
रावण तो मन के अंदर है,
क्या उसकी चिता जलाएँगे ?
या फिर मन की कलुषित लंका पर,
ख़ुशियों की बली चढ़ाएँगे।
धरती आज आवाहन करती है,
क्या उसको स्वर्ग बनाएँगे ?
या फिर राम राज्य सपना ही रखकर,
यूँ ही दशहरा मनाएँगे।।
कहाँ जाएगी भावी पीढ़ी ?
कहाँ जाएँगे मर्यादा के मूल ?
भाई -बहन, माँ-बाप के रिश्ते,
क्या ऐसे आगे चल पाएँगे।।
रस्मी तौर पर पुतले का वध कर,
क्या ऐसे त्यौहार मनाएँगे ?
या फिर अपने प्रिय बच्चों को,
रामायण का पाठ पढ़ायेंगे।।
संस्कारों को पैदा करके,
क्या दुर्गुण दूर भगाएँगे ?
आदर्श राष्ट्र निर्माण की ख़ातिर,
क्या हम तीर चलाएँगे।।
जय श्री राम 🚩