हिन्दुस्तान वार्ता।
आगराः संत श्री विजय कौशल जी महाराज ने कहा है कि भगवान का स्मरण करते रहे, तुम्हारा कल्याण होगा,जीवन सुधर जाएगा। बच्चों को भी भगवान का भजन सुनाना चाहिए, ताकि उन्हें प्रभु भजन की आदत पड़े।
कोठी मीना बाजार में बनाए गए चित्रकूट धाम में मंगलमय परिवार द्वारा आयोजित श्रीराम कथा का शनिवार को छठवा दिन था।
संतश्री विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि मंदिर जाने से भगवान नहीं मिलते, लेकिन वहां जाने भजन, पूजन की आदत पड़ती है। भक्ति का बीज सभी के मन में पड़ता है। इसलिए बच्चों को भी ले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संतों की कृपा से ही भगवान की भक्ति मिलती है। स्पष्ट रूप से कहा कि भक्ति के लिए गृहस्थी छोड़ने की जरूरत नहीं है। जिनको भी भगवान के दर्शन हुए हैं, सच्चे भक्त हुए हैं, वे ज्यादातर गृहस्थ ही हैं। हमें अपने परिवार, कारोबार को भगवान की पूजा माननी चाहिए। उससे जो मिलता है, उसे भगवान का प्रसाद मानना चाहिए। काम करते रहो और भगवान का भजन करते रहो। काम छोड़ने से भगवान नहीं मिलते। लेकिन अपना जो भी काम हो, उससे भगवान को जोड़ लीजिए, जिसका फल अच्छा ही मिलता है। उन्होंने सुनाया-तेरी बनत-बनत बन जाए, हरिनाम लिया कर भाई।
भक्त जनाबाई का प्रसंग सुनाते हुए कौशल जी ने कहा कि जब वह उपलों के लिए गोबर बीनने जाती थीं, तब भगवान उसकी मदद करते थे और जब कंडे थापती थी तो विट्ठल-विट्ठल बोलती जाती थीं, जिससे उनके उपलों में से विट्ठल-विट्ठल की आवाज आती थी।
इस प्रसंग का तो संत कबीर दास जी ने अपनी वाणी में उल्लेख किया है।
कौशल जी महाराज ने भरत जी के प्रसंग को विस्तार पूर्वक सुनाया। कहा कि जो राम के नाम को सदा जपते रहे, वह भरत ही थे। जब श्रीराम वनवास गए, तब भरत भी 14 साल तक धरती पर सोये थे। उन्होंने राज नहीं संभाला, बल्कि भगवान राम की पादुकाएं सिंहासन पर रखकर राज किया था। कलिकाल में तुलसीदास को भगवान श्रीराम के दर्शन भरत ने ही कराए थे।
भरत चले चित्रकूट,ओ रामा,राम को मनाने...। के भजन पर सभी श्रद्धालु झूम उठे।
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लिखने से कोई संत नहीं होता
संत श्री विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति अपने नाम के आगे स्वयं संत लिखे, वह कभी संत नहीं हो सकता। सूरज कभी नहीं कहता कि वह सूर्य है, जब रात का अंधकार मिटता है तो सूरज का अस्तित्व स्वयं ही लोगों को पता लग जाता है। संतों की पहचान सबसे अधिक प्रयागराज को है, क्योंकि कुंभ में सबसे ज्यादा संतों का स्नान संगम में ही होता है। वे स्वयं पहचान लेते हैं। उन्होंने कहा कि बिना हरि संत नहीं मिलते। संत दर्शन से पाप स्वयं छोड़ कर चले जाते हैं। संत के भी कई प्रकार होते हैं। कोई केश से, कोई भेष से, कोई देह से, अंदर से, कोई बाहर से, कोई स्वभाव से, कोई आचरण से संत होता है।
श्रीराम कथा में मुख्य यजमान मुरारी प्रसाद अग्रवाल पत्नी श्रीमती मीरा अग्रवाल,
दैनिक यजमान शकुन शिल्पी बंसल, गौरव निधि बंसल, रमाकान्त कविता गर्ग, अनिल लालीमा गोयल, विश्नू शकुन गर्ग।
मुख्य अतिथि पवन नन्दन (भगवताचार्य) योगी रूद्रनाथ सुभाष गोयल मूलचंद अग्रवाल विधायक विजय शिवहरे राकेश अग्रवाल रूपकिशोर अग्रवाल घनश्याम दास अग्रवाल महावीर मंगल संजय गोयल मीडिया प्रभारी ऋषि अग्रवाल,आदर्श नन्दन गुप्त, राजू भगत निखिल गर्ग अमित शर्मा महेश गोयल भानू महाजन रेखा अग्रवाल सविता अग्रवाल सुमन मंगल पूजा भोजवानी शशी मित्तल नंदनी गर्ग अंजली वंदना गर्ग निकिता अग्रवाल अनीता नेचुरल हेमलता अग्रवाल करिश्मा अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
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आज सुबह होगी कथा:-
आगराः मंगलमय परिवार द्वारा कोठी मीना बाजार में आयोजित श्रीराम कथा रविवार को विश्राम लेगी। मीडिया प्रभारी ऋषि अग्रवाल के अनुसार कथा का समय सुबह 10 बजे से है। कथा समापन के बाद महिलाओं को कलशों का वितरण किया जाएगा।