हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा
शेरोस हैंगआउट कैफे,जो एसिड अटैक पीड़िताओं द्वारा चलाया जाता है,वहाँ कार्यरत मधु और रुकैया ने अपनी व्यथा बताई और मदद मांगी। अज्ञानता एवं समाज के दबाव के कारण उन पर हुए अपराध में न्याय ना हो सका।
तब एफआईआर भी नहीं करवाई गई। आर्थिक, मनोविज्ञानिक एवम सामाजिक कठिनाईयों से जूझ रही,इन दोनो पीड़िताओं की बीस साल बाद हुई एफआईआर। पुलिस और समाज उनके आत्मबल में इजाफा करेगी।
अनिल शर्मा सचिव सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का कहना है कि " 2023 में आगरा में जी- 20 पर, महिला शक्तिकरण पर कांफ्रेंस होनी है।
एसिड अटैक पीड़िताओं का मुद्दा बहुत सामायिक है। हम आशा करते हैं कि आगरा और आसपास के जिले इस अपराध से मुक्त हों।
छांव फाउंडेशन के आशीष शुक्ला ने कहा कि एसिड की बिक्री पर 2013 में पास रूल के तहत जमीनी स्तर पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
पीड़िताओं का पुलिस कमिश्नर से मिलने का ये इफेक्ट हुआ कि दोनो पीड़िताओं की एफआईआर फाइल की गई। अनिल शर्मा सचिव ने एडीजी राजीव कृष्ण और पुलिस कमिश्नर प्रीतिंदर सिंह का धन्यवाद दिया। मधु की एफआईआर 22 साल बाद एवं रुकैया की 20 साल बाद दर्ज हुई है।