राजपूताना गौरव और वैदिक संस्कृति को आज भी जी रहे लिथुआनियां वासी।
संस्कृति भवन में रविवार को 'कुलग्रिन्डा' बिखेरेगा लिथुआनियन संस्कृति की इंद्रधनुषी छटा।
संस्कार भारती कर रही समान धर्मा देश के साथ स्नेह-संबंध जोड़ने की अनूठी सांस्कृतिक पहल।
संस्कार भारती के साथ आयोजन में सहयोगी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम, इंटरनेशनल सेंटर फॉर कल्चरल स्टडीज और संस्कार भारती की अन्य शाखाओं के प्रतिनिधियों ने संस्कृति भवन में समारोह का पोस्टर किया जारी।
हिन्दुस्तान वार्ता।
आगरा। बाल्टिक देशों में से एक प्रमुख राष्ट्र लिथुआनियां के लोग आज भी भारत के राजपूताना गौरव और वैदिक संस्कृति को जी रहे हैं। वे आज भी धर्म, संस्कृति और आस्थाओं के प्रति सजग हैं और पौराणिक संस्कृति को पुनः जीवित करने के लिए संघर्षरत हैं। उनकी भाषा भी मूलतः संस्कृत प्रधान है।
इस तथ्य को दृष्टिगत रखकर कला एवं साहित्य को समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती ने समान धर्मा देश के साथ स्नेह-संबंध जोड़ने की एक अनूठी सांस्कृतिक पहल की है।
इस पहल के अंतर्गत लिथुआनियन सांस्कृतिक दल 'कुलग्रिन्डा' भारत में 12 फरवरी, रविवार को आ रहा है। यह दल बाग फरजाना स्थित संस्कृति भवन में रविवार को दोपहर 2:30 बजे से आयोजित सांस्कृतिक संगीत समारोह में लिथुआनियन संस्कृति की इंद्रधनुषी छटा बिखेरेगा।
भारतीय संगीत की अमृतधारा भी प्रवाहित होगी। प्रोफेसर नीलू शर्मा जी के निर्देशन में भाव स्वर ताल संगम का कार्यक्रम चार चांद लगा देगा।
समारोह में डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशू रानी मुख्य अतिथि के रूप में सहभागिता करेंगी।
गुरुवार शाम संस्कृति भवन में ही आयोजक संस्कार भारती आगरा पश्चिम के साथ प्रायोजक संस्कार भारती आगरा महानगर ब्रज प्रांत, सह प्रायोजक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम और इंटरनेशनल सेंटर फॉर कल्चरल स्टडीज के साथ-साथ संस्कार भारती की विभिन्न शाखाओं के प्रतिनिधियों ने समारोह का पोस्टर जारी करते हुए उक्त जानकारी पत्रकारों को प्रदान की।
पोस्टर विमोचन के दौरान आगरा विश्वविद्यालय के डीन प्रबंधन संकाय प्रो. लवकुश मिश्रा, कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष नीतेश अग्रवाल, धन कुमार जैन, प्रांतीय संयोजक योगेश अग्रवाल, एडवोकेट सुभाष चंद्र अग्रवाल, कार्यक्रम समन्वयक आलोक आर्य, सह समन्वयक एडवोकेट अमित जैन, संयोजक ओम स्वरूप गर्ग, सह संयोजक राजीव सिंघल, आशीष अग्रवाल, डॉ. मनोज पचौरी, राम कुमार अग्रवाल, यतेंद्र सोलंकी, डॉ. पंकज भाटिया, डॉ. केशव शर्मा, प्रदीप सिंघल, संदीप अग्रवाल, इंजी. सुरेश चंद अग्रवाल, विकास गुप्ता और श्याम तिवारी प्रमुख रूप से मौजूद रहे। कार्यक्रम संयोजक ओएस गर्ग ने संचालन किया।