हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा
आगरा के ऐतिहासिक लाल किले के दीवान ए आम में हिन्दवी स्वराज के संस्थापक, साहस व पराक्रम की प्रतिमूर्ति और राष्ट्र प्रथम की प्रेरणा देने वाले, कुशल प्रशासक,महान मराठा सम्राट,छत्रपति शिवाजी महाराज जी की 393वीं जयंती पर मा. मुख्यमंत्री महाराष्ट्र श्री एकनाथ शिन्दे जी की गरिमामय उपस्थिति में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल, मा.केंद्रीय राज्य मंत्री पंचायती राज तथा श्री सांदीपन भूमरे, उद्यान मंत्री, महाराष्ट्र सरकार, श्री राव साहिब पाटिल, मा.केंद्रीय राज्य मंत्री, रेलवे, कोयला व खनन, एवं आगरा के मा.सांसद व केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री श्री एस पी सिंह बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर और छत्रपति शिवाजी महाराज के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।कार्यक्रम के मुख्य आयोजक देवगिरि प्रतिष्ठान व सहसंयोजक महाराष्ट्र सरकार के प्रतिनिधियों ने सभी अतिथियों का माल्यार्पण व साफा बांध कर स्वागत किया, तत्पश्चात 15 कलाकारों की टीम द्वारा "पवाड़ा" महाराष्ट्र के प्रसिद्ध लोक गायन की प्रस्तुति दी,जो शिवाजी महाराज के युद्ध कौशल के यशोगान तथा स्तुति पर केन्द्रित था, वीर रस के इस गायन को सुनकर लोग रोमांचित हुए। उसके बाद श्रव्य दृश्य साधनों के माध्यम से मराठी भाषा में "पालना/लोरी"का गायन किया गया जिसमें बचपन के छत्रपति शिवाजी महाराज व माता जीजाबाई के स्वरूपों का जीवंत दृश्य उपस्थित हो गया। तत्पश्चात महाराष्ट्र गीत, जिसे महाराष्ट्र सरकार ने आज ही इसे राज्य के आधिकारिक गीत को मान्यता देने की घोषणा की "जय जय महाराष्ट्र माझा" का गायन किया, जिसको उपस्थिति लोगों ने खड़े होकर सम्मान सहित सुना।
इंडिया गॉट टैलेंट से उभरे रेत कला के कलाकार, सर्वम पटेल ने रेत कला का शानदार प्रदर्शन करते हुए भारतमाता के मानचित्र को रेत पर उकेर कर उसके अंदर छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति को बनाया, यही नहीं उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज की स्थापना के विभिन्न सोपानों व घटनाओं को रेत पर उकेर कर उपस्थित लोगों को रोमांचित कर दिया, उसके बाद कार्यक्रम में,महेन्द्र बसंत राव महाडे द्वारा लिखित नाटक जिसमें आमेर के मिर्जा राजा जयसिंह,मुगल सम्राट औरंगजेब, पुरन्दर की संधि, शिवाजी का आगरा आना, मुगलों द्वारा उन्हें कैद किया जाना, छत्रपति शिवाजी द्वारा अपनी चतुराई व सूझबूझ से मुगलों की कैद से निकल कर अपने मराठा राज्य में पहुंचना इत्यादि घटनाओं का नाट्य रूपांतरण का मंचन लाइट एंड साउंड के साथ किया गया। नाटक के मंचन में संवाद,वेशभूषा, और कलाकारों ने अपनी कला से उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर मध्यकालीन दौर में पहुंचा दिया।
रिपोर्ट-असलम सलीमी।