श्रीकृष्ण लीला महोत्सव में होगा संतों का समागम,आएंगे गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी भी।



− बल्केश्वर स्थित गौशाला प्रांगण में 17 से 28 नवंबर तक होगा भव्य आयोजन।

− महोत्सव को हो रहे हैं 100 वर्ष पूर्ण, शताब्दी वर्ष में मिलेगा ब्रज के संतों का सानिध्य। 

− चार दिन विभिन्न शाेभायात्रा करेंगी नगर भ्रमण,नंद सखा मिलाप और गौचरण होगा आकर्षण। 

 हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। ब्रज के कण−कण में वास है श्रीकृष्ण का। ब्रज के 12 वनों में से प्रमुख अग्रवन यानि आगरा में श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन सनातन परंपरा का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। निरतंर 100 वर्षाें से होते आ रहे भव्य आयोजन के शताब्दी वर्ष में ब्रज के संतों का समागम विशेष रहने वाला है। इसके लिए सर्वप्रथम स्वीकृति विश्व के सबसे प्रसिद्ध गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने दे दी है। ब्रज के अन्य संतों को भी आयोजन में आने के लिए निमंत्रण दिया गया है। 

मंगलवार को श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल और राजीव अग्रवाल ने वृंदावन जाकर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज को महोत्सव का निमंत्रण दिया। इस अवसर पर श्रीकृष्ण लीला महोत्सव की स्मारिका लीलांजली का विमोचन भी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के कर कमलों द्वारा हुआ। अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने पूर्व मंत्री रविकांत गर्ग को भी आयोजन का निमंत्रण दिया। श्रीकृष्ण लीला महोत्सव 17 से 28 नवंबर तक गौशाला प्रांगण, बल्केश्वर, वाटरवर्क्स पर प्रतिदिन सायं 6ः30 बजे से आरंभ होगा। 

100 वर्ष की परंपरा को आज भी किया जा रहा जीवंत। 

श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि शहर में श्रीकृष्ण लीला का आरंभ 1924 में बेलनगंग में आरंभ किया था।

 इसके बाद 9 नवंबर 1939 में गाैशाला, बल्केश्वर में पूरनचंद्र एंड कंपनी के स्वामी रामबाबू अग्रवाल ने लीला का मंचन आरंभ कराया और लीला स्थल को दान में श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति को दे दिया। तभी से निरंतर लीला का मंचन यहां होता है। 

जीवंत हो उठता है द्वापर युग। 

दस दिवसीय श्रीकृष्ण लीला महोत्सव के दौरान जैसे गौशाला के प्रांगण में द्वापर युग जीवंत हो उठता है। परिसर में बना कंस कारागार हो या युद्ध का मैदान लीला मंचन का हर वृतांत सजीव झांकी की भांति श्रद्धालुओं के मानस पटल पर अविस्मरणीय छाप छोड़ता है। आयोजन का आरंभ 17 नवंबर को श्रीमुकुट पूजन एवं गणेश जी सवारी से होगा। इसके बाद कंस की दुहाई, देवकी वसुदेव विवाह एवं श्रीकृष्ण जन्मलीला, गोपाष्टमी, नंदोत्सव, डांडिया नृत्य, कालीदह लीला, गौमय श्रंगार एवं गोवर्धन पूजा− अन्नकूट प्रसाद, शंकरलीला− माखन चोरी, फूलों की होली, श्रीकृष्ण लीला− सुदामा मिलन लीला,अक्रूर गमन− कंस वध एवं आतिशबाजी, श्रीकृष्ण बलराम की दिव्य शाेभायात्रा, द्वारिकापुरी रुक्मणि मंगल विवाह लीला एवं हवन लीला होगी। 

चार दिन निकलेंगी शाेभायात्रा।

श्रीकृष्ण लीला महोत्सव में 17 नवंबर को पहली शाेभायात्रा श्री मुकुट पूजन एवं गणेश जी की सवारी नगर भ्रमण करेगी। इसके बाद 18 नवंबर को कंस की दुहाई की सवारी, 20 नवंबर को गोपाष्टमी विशेष शाेभायात्रा एवं 26 नवंबर को श्रीकृष्ण बलराम की दिव्य शाेभायात्रा निकाली जाएगी। इसके अलावा 20 नवंबर को नंद सखा मिलाप विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा।