आगरा : डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय होगा,एआई के साथ,भारतीय ज्ञान परम्परा पढ़ाने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय

 


भारतीय ज्ञान परंपरा को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ पढ़ाया जाएगा

भारतीय ज्ञान परंपरा के पुनर्स्थापन को इमव्हर्स ए.आई.नागपुर के सहयोग से संचालित होगा पाठ्यक्रम 

आंबेडकर विवि में भारतीय ज्ञान परंपरा का अधुनातन संदर्भों में पुनर्स्थापन विषय पर हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी

 हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो

आगरा। डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ पढ़ाया जाएगा । ऐसा करने वाला यह देश का पहला विश्वविद्यालय होगा। इस पाठ्यक्रम को इमव्हर्स ए.आई.नागपुर के सहयोग से संचालित किया जाएगा । 

शुक्रवार को कुलपति प्रो.आशुरानी के निर्देशन में विश्वविद्यालय के कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ में भारतीय ज्ञान परंपरा का अधुनातन संदर्भों में पुनर्स्थापन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। 

इस अवसर पर कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय व विद्यापीठ अपने संग्रहालय और इस पाठ्यक्रम के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा को न केवल पुनर्स्थापित करेगा,बल्कि पूरे विश्व में इसे ले जाने में महती भूमिका निभाएगा। विद्यापीठ में अधिकांश विषयों की हस्तलिखित पांडुलिपियां उपलब्ध हैं। विश्वविद्यालय जल्द ही सभी पांडुलिपियों को डिजिटल रूप में भी परिवर्तित कर रहा है,जिससे सभी लोगों तक उसकी पहुंच हो सके । 

भारतीय ज्ञान परंपरा हमारी धरोहर :

मुख्य अतिथि निदेशक,भारतीय  अनुसंधान विभाग,इमव्हर्स ए.आई. नागपुर के निदेशक डॉ.भुजंग बोबड़े ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा हमारी धरोहर है और हमें मिलकर इसे आगे बढ़ाने का काम करना है। 

विशिष्ट अतिथि बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.पूनम सिंह ने बताया कि अब हम भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से कोलोनाइज हुए मस्तिष्कों को डी-कोलोनाइज करने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए भारतीय ज्ञान परंपरा के अध्ययन की बहुत आवश्यकता है । 

भारतीय ज्ञान परंपरा का अनुकरण जरूरी :

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के फ्रेंच भाषा के विभागाध्यक्ष प्रो.अखिलेश सिंह का कहना था कि भारतीय ज्ञान परंपरा का हमें अनुकरण करने की आवश्यकता है। भारतीय ज्ञान परंपरा एक अध्यात्म है,जो जीने के लिए है। विद्यापीठ के निदेशक प्रो.प्रदीप श्रीधर ने विषय पर आधारित बीज वक्तव्य देते हुए बताया कि हमारे विश्वविद्यालय में प्राचीन हस्तलिखित पांडुलिपियां,प्राचीन सिक्के,नक्शे आदि लघु रूप में संग्रहित थे,जिन्हें हम संग्रहालय के रूप में वृहद रूप में स्थापित करने जा रहे हैं।हम यह ज्ञान परंपरा युवा पीढ़ी को इस संग्रहालय के माध्यम से हस्तांतरित करना चाहते हैं । 

कार्यक्रम में रहे मौजूद :

कार्यक्रम में दिल्ली से आए महेश दसवंत तथा विद्यापीठ के डॉ.केशव शर्मा,डॉ. प्रदीप वर्मा, डॉ.आदित्य प्रकाश, डॉ.संदीप कुमार, डॉ.मोहिनी दयाल,डॉ. रमा, डॉ. ₹चारू अग्रवाल,कंचन, अनुज गर्ग, विशाल शर्मा, डॉ. अंगद कुमार, कृष्ण कुमार, डॉ. संदीप सिंह, डॉ.शालिनी श्रीवास्तव आदि मौजूद रहीं।

आभार सह संयोजक डॉ.पल्लवी आर्य और डॉ.अमित कुमार सिंह ने व्यक्त किया। संचालन डॉ.वर्षा रानी ने किया।