हिन्दुस्तान वार्ता। रविन्द्र कुमार दूबे
आगरा : 5 नवंबर,सिकंदरा स्थित गणपति स्मार्ट सिटी सोसायटी में छठ महापर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। पिछले कई दिनों से लोग इस त्योहार की तैयारियों में जुटे हुए हैं।
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाए-खाए के साथ महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। इसी कड़ी में इस साल 5 नवंबर 2024, मंगलवार यानि आज से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है।
छठ के पहले दिन नहाए खाए की परंपरा होती है। इस दिन व्रती सुबह नहाकर सात्विक भोजन ग्रहण करते है। नहाए खाए के साथ शुरू होकर यह पर्व उषा अर्घ्य के साथ समाप्त होता है। छठ पूजा के इन चार दिनों तक व्रत से जुड़े कई नियमों का पालन किया जाता है। इस दिन महिलाएं शुद्ध जल से ही भात,चने की दाल और कद्दू लौकी का प्रसाद बनाती हैं।
छठ व्रती ममता त्रिपाठी ने कहा,“सबसे पहले मैं सभी देशवासियों को छठ पर्व की शुभकामनाएं देना चाहती हूं। छठी मैया सबका कल्याण करें।अपनी कृपा दृष्टि सभी पर बनाए रखे। यही मेरी कामना और प्रार्थना है।
आज नहाए खाए का दिन है। आज ही के दिन से छठ पर्व का आगाज होता है। आज शुद्ध जल से प्रसाद को तैयार किया जाता है। जिसमें चने की दाल, अरवा चावल और कद्दू की सब्जी बनाई जाती है। छठी मैया को अर्पित करने के बाद वो स्वयं प्रसाद ग्रहण करती हैं।
छठ व्रती माधुरी दुबे ने बताया कि,“छठ व्रत चार दिन का होता है,जिसकी शुरुआत आज यानि की नहाए खाए से हो चुकी है। तीन दिन के बाद इसका पारन होता है। आज स्नान करने के बाद घर में चने का दाल, कद्दू की सब्जी बनाते हैं। यह पर्व बिहार और झारखंड में मनाया जाता था,लेकिन अब यह पूरे विश्व में लोकप्रिय हो रहा है।
इस सम्बंध में संजुक्ता मिश्रा ने बताया कि “छठ पर्व अब पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो चुका है,यह चार दिन का पर्व होता है। पहले दिन हम खुद पवित्र और सात्विक भोजन बनाते और करते हैं। मान्यता है कि छठी मैया से अगर आप विश्वास के साथ जो भी मांगेंगी,वो आपको जरूर मिलेगा।
आज नहाए खाए के कार्यक्रम के बाद ब्रती कल खरना की तैयारी के तहत गेंहू की साफ सफाई तथा गेहूं धोकर सुखाने में लग गए जिससे ठेकुआ का प्रसाद शुद्ध रुप से बनाकर भगवान भास्कर को अर्पित किया जाता है। इस महान उपासना के पर्व में घर के पुरुष सदस्य भी उल्लास के साथ जुड़कर काम करते हैं।