श्रीकृष्ण लीला शताब्दी वर्ष महोत्सव में हुआ द्वारिकापुरी,रुक्मिणी मंगल विवाह लीला का मंचन

श्रीकृष्ण लीला में गूंजे रुक्मिणी और श्रीकृष्ण के दिव्य विवाह के मंगल गीत 

 द्वारिकापुरी की स्थापना के बाद रथ पर सवार होकर रुक्मिणी हरण को विदर्भ पहुंचे केशव 

 जय श्रीकृष्ण हरे के गूंजे जयघोष, लीला स्थल पर ही निकाली गयी वरयात्रा,भक्तों ने बरसाए पुष्प 

हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो

आगरा। भक्ति का एक रूप विशुद्ध प्रेम है। जब हृदय म विशुद्ध प्रेम तो स्वयं परमात्मा उस हृदय में वास करने पधारते हैं।श्रीमहालक्ष्मी स्वरूपा रुक्मिणी जी अपनी प्रेममयी भक्ति के कारण ही श्रीकृष्ण का वरण पति रूप में किया तो स्वयं नारायण उन्हें अपनी पटरानी बनाने प्रेमी रूप में पधारे। 

जैसे ही दिव्य प्रेम परिणय सूत्र में बंधा श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे के स्वर गूंज उठे। श्रीकृष्ण लीला समिति के तत्वावधान में चल रहे श्रीकृष्ण लीला शताब्दी वर्ष महोत्सव के 12 वें दिन शिशुपाल वध और द्वारिकापुरी में भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह लीला का मंचन किया गया। जिसमें श्रद्धालुओं ने सहर्ष मंगलगान गाए और जयघोष किए।

 स्वामी प्रदीप कृष्ण ठाकुर के निर्देशन में श्रीरास बिहारी कृपा सेवा ट्रस्ट के कलाकारों ने द्वारिका लीला का भावपूर्ण मंचन किया। लीला में दिखाया गया कि विदर्भ देश में भीष्मक नाम के राजा राज्य करते थे। कुण्डिनपुर उनकी राजधानी थी। उनकी पुत्री रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण के गुणों और उनकी सुंदरता पर मुग्ध थी और उसने मन ही मन श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया था। भगवान श्रीकृष्ण तो परमज्ञानी हैं। उन्हें ज्ञात था कि रुक्मिणी परम रूपवती और सुलक्षणा भी है और उन्हें वर रूप में प्राप्त करना चाहती है। 

भीष्मक का बड़ा पुत्र रुक्मी भगवान श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था। वह बहन रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से कराना चाहता था,क्योंकि शिशुपाल भी श्रीकृष्ण से द्वेष रखता था।भीष्मक ने रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ ही करने का निश्चय किया और तिथि तय कर दी। 

रुक्मिणी ने यह सूचना श्रीकृष्ण के पास भेज दी। उन्हें बता दिया कि उनके पिता उनकी इच्छा के विरुद्ध शिशुपाल के साथ उसका विवाह करना चाहते हैं। विवाह के दिन मैं गिरिजा माता के दर्शन करने को जाऊंगी। मंदिर में पहुंचकर मुझे पत्नी रूप में स्वीकार करें। यदि आप नहीं पहुंचेंगे तो मैं अपने प्राणों का परित्याग कर दूंगी। 

रुक्मिणी का संदेश पाकर भगवान श्रीकृष्ण रथ पर सवार होकर शीघ्र ही कुण्डिनपुर की ओर चल दिए। बलराम जी भी यादवों की सेना के साथ कुण्डिनपर के लिए रवाना हो गए। 

शिशुपाल निश्चित तिथि पर बारात लेकर कुण्डिनपुर जा पहुंचा। वहीं दूसरी ओर रुक्मिणी सज-धजकर गिरिजा देवी के मंदिर की ओर चल पड़ी। पूजन करने के बाद रुक्मिणी जब मंदिर से बाहर निकल कर अपने रथ पर बैठना ही चाहती थी कि श्रीकृष्ण ने उनका हाथ पकड़ लिया और उन्हें खींचकर अपने रथ पर बैठा लिया। वे तीव्र गति से द्वारका की ओर चल पड़े। 

शिशुपाल ने श्रीकृष्ण का पीछा किया। बलराम और यदुवंशियों ने शिशुपाल को रोक लिया। भयंकर युद्ध में बलराम और यदुवंशियों ने शिशुपाल की सेना को नष्ट कर दिया। फलतः शिशुपाल निराश होकर कुण्डिनपुर से चले गए। 

रुक्मी ने श्रीकृष्ण का पीछा किया। रुक्मी और श्रीकृष्ण का घनघोर युद्ध हुआ। श्रीकृष्ण ने उसे युद्ध में हराकर अपने रथ से बांध दिया,किंतु बलराम ने उसे छुड़ा लिया। रुक्मी अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार पुनः लौटकर कुण्डिनपुर नहीं गया। वह एक नया नगर बसाकर वहीं रहने लगा। भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी को द्वारका ले जाकर उनके साथ विधिवत विवाह किया। 

श्रीकृष्ण की वरयात्रा लीला स्थल पर ही निकाली गई। रुक्मणी हरण लीला की शुरुआत शिशुपाल और श्री कृष्ण के सजीव युद्ध से हुई, जो कि बल्केश्वर चौराहे से गौशाला तक होता हुआ आया।

 लीला मंचन से पूर्व वजीरपुरा स्थित सीताराम मंदिर में स्वरूपों के लिए प्रसादी सेवा रखी गयी। 

इस अवसर पर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल,विजय रोहतगी,अशाेक गोयल, पीके मोदी, शेखर गोयल, मनोज बंसल, अमित अग्रवाल, पंकज मोहन,अनूप गोयल, विनीत, गिर्राज बंसल,संजय गुप्ता, गौरीशंकर गुप्ता, केसी अग्रवाल, आदर्श नंदन गुप्त,प्रवक्ता डी.के.चौधरी,मीडिया प्रभारी तनु गुप्ता आदि ने स्वरूपों की आरती उतारी।

आयोजन में कैलाश खन्ना,संजय चेली, बृजेश अग्रवाल, केके अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, मनोज अग्रवाल पोली,अनूप गोयल, पुनीत, लक्ष्मण शर्मा,विष्णु अग्रवाल राधे राधे,नीरज बंसल,अमित अग्रवाल देवी भक्त,आशीष रोहतगी,ब्रजेश अग्रवाल,अनीस अग्रवाल बॉबी,कन्हैया लाल,अनिल अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल,अंशुल बंसल,शेखर गोयल,आलोक गोयल,शगुन बंसल,अजय गुप्ता प पंकज शर्मा,मनीष शर्मा,आदि उपस्थिति उल्लेखनीय रही। 

श्रीकृष्ण लीला "यूथ ब्रगेड" के आयुष बंसल,क्षितिज बंसल,तनुराग गोयल,धीरज बंसल आदि एवं सिविल डिफेंस की टीम का व्यवस्था सभांलने में सराहनीय भूमिका रही।

रविवार को होगी भजन संध्या :

अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि श्रीकृष्ण लीला के 13 वें दिन रविवार को भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। विख्यात भजन गायक पंडित मोहन शर्मा जोकि टी सीरिज के प्रसिद्ध गायक हैं, वे अपने साथियों के साथ प्रस्तुति देंगे।