हिन्दुस्तान वार्ता।डॉ.गोपाल चतुर्वेदी
वृन्दावन। वंशीवट क्षेत्र स्थित संकीर्तन भवन में संकीर्तन भवन धार्मिक न्यास ट्रस्ट के तत्वावधान में अन्नकूट महोत्सव अत्यंत धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ। जिसके अंतर्गत ठाकुर वंशीवट बिहारी गिरधारी लाल जू महाराज का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक श्रृंगार करके उन्हें 56 भोग निवेदित किए गए।साथ ही उनके सम्मुख संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य रससिद्ध वाणीकारों द्वारा रचित भोग के पदों का सुमधुर गायन किया गया।
श्रीनाभाद्वाराचार्य श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज ने कहा कि गिरिराज गोवर्धन पूजा की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव भगवान श्रीकृष्ण की एक अलौकिक लीला है।जिसमें एक ओर तो वे गिरिराज गोवर्धन के रूप में स्वयं पूज्य बने और दूसरी ओर उन्होंने नंदनंदन के रूप में ब्रजवासियों के साथ गाते-बजाते हुए गिरिराज गोवर्धन की पूजा-अर्चना की।वस्तुत: यह लीला हमारी पुरातन संस्कृति में निहित अपने आराध्य के प्रति आस्था के अतिरिक्त माधुर्य व वैभव का भी प्रतीक है।
संकीर्तन भवन धार्मिक न्यास ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी आचार्य विनय त्रिपाठी एवं भागवताचार्य गोपाल भैया महाराज ने कहा कि गिरिराज गोवर्धन कलयुग के साक्षात व प्रत्यक्ष देवता हैं,जो कि ब्रजभूमि में पर्वत रूप में विराजकर सदैव ही ब्रजवासियों की रक्षा करते हैं।वे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के ही अवतार कहे जाते हैं।इनकी पूजा व आराधना करने से श्रीकृष्ण और राधा दोनों ही की कृपा व्यक्ति पर बरसती है।
ब्रज साहित्य सेवा मंडल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं आचार्य मंगेश दुबे ने कहा कि गिरिराज गोवर्धन का प्राकट्य गोलोक धाम में अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड नायक परब्रह्म परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के वक्षस्थल से हुआ है।इसीलिए वे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के ही स्वरूप माने जाते हैं।
महोत्सव में प्रख्यात भागवताचार्य मृदुल कांत शास्त्री,डॉ.रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री, सी.ए. सतीश गोस्वामी, प्रख्यात भजन गायक चंदन महाराज, डॉ. हरे कृष्ण शरद, डॉ. राधाकांत शर्मा, मुकेशमोहन शास्त्री, आचार्य बुद्धि प्रकाश शास्त्री, आचार्य जुगल तिवारी आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।