हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
आगरा : पं.रघुनाथ तलेगांवकर फाऊंडेशन ट्रस्ट एवं महिला प्रकोष्ठ डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के संयुक्त तत्वावधान में संगीत कला केन्द्र,आगरा एवं प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ़ के सहयोग से संगीत नक्षत्र पं केशव तलेगांवकर के मानस सान्निध्य में दिनांक 14 एवं 15 दिसम्बर को जे.पी. सभागार खंदारी आगरा में द्वि-दिवसीय 60 वें निनाद महोत्सव संगीत महर्षि पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर संगीत सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया।
आयोजन का शुभारंभ डा.आशु रानी जी,कुलपति,डा.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा एवं संस्था के पदाधिकारियों ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं संगीत महर्षि पं. विष्णु दिगंबर जी,पं.रघुनाथ तलेगांवकर जी,श्रीमती सुलभा तलेगांवकर जी, संगीत नक्षत्र पं.केशव तलेगांवकर जी, रानी सरोज गौरिहार जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया।
प्रो.आशु रानी जी ने संस्था द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की। इस अवसर पर कुलपति जी को कला संरक्षण हेतु रानी सरोज गौरिहार स्मृति 'कला संरक्षक' के सम्मान से ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने शाल,सम्मान पत्र,स्मृति चिन्ह,स्मारिका प्रदान कर सम्मानित किया।
सबरस संगीत संध्या संस्थापिका श्रीमती सुलभा तलेगांवकर जी को समर्पित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ पं.रघुनाथ तलेगांवकर जी द्वारा रचित 'शक्ति भक्ति युक्ति दे माता सरस्वती', विष्णु स्तवन 'विष्णु दिगंबर भूलोक गंर्धव तिमिर हर साम गान दीपक प्रज्जवलित कर' एवं गुरु मां श्रीमती प्रतिभा केशव तलेगांवकर जी द्वारा रचित 'निनाद शीर्षक गीत' सुरमयी निनाद आया” की संगीत कला केन्द्र आगरा के संगीत साधकों ने स्वरमयी प्रस्तुति कर निनाद महोत्सव हेतु सांगीतिक वातावरण की शुरुआत की।तत्पश्चात पं रघुनाथ तलेगांवकर जी के जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में उनकी सांगीतिक यात्रा की ऑडियो विजुअल प्रस्तुत की गई।
कार्यक्रम की मुख्य प्रस्तुति के रूप में पद्मभूषण श्री अजय चक्रवर्ती जी के सुयोग्य शिष्य श्री ब्रजेश्वर मुखर्जी के शास्त्रीय गायन के रूप में रही। आपने गायन में राग यमन में विलंबित एकताल में पं ज्ञान प्रकाश घोष द्वारा रचित “जग में कछु काम” मध्यलय झपताल में पं अरुण भादुड़ी द्वारा रचित “चन्द्रमा ललाट पर” मध्यलय तीनताल में “मैं वारी वारी जाऊँगी” का परंपरागत स्पष्ट विस्तार एवं तानों की तैयारी स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही थी | पटियाला घराने की गायन शैली का श्री मुखर्जी ने यथावत पालन किया | आपने अपने गायन का समापन बड़ेग़ुलाम अली ख़ाँ साहब द्वारा रचित प्रचलित “याद पिया कि आए” ठुमरी से किया। संवादिनी पर पं.रवींद्र तलेगांवकर एवं तबले पर श्री महमूद खां ने उत्कृष्ट संगत कर कार्यक्रम को सफलता की उचाईयों पर पहुंचाया।
इस अवसर पर श्री मुखर्जी को पं. केशव रघुनाथ तलेगांवकर स्मृति 'संगीत नक्षत्र' के मानद सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति के रूप में पद्मविभूषण पं.बिरजू महाराज जी के सुयोग्य शिष्य पं.अर्जुन मिश्रा जी के सुयोग्य शिष्य एवं पुत्र श्री अनुज मिश्रा एवं पुत्रवधु श्रीमती नेहा सिंह मिश्रा का युगल कथक नृत्य रहा। आपने सर्वप्रथम “शिव शक्ति स्तुति”तत्पश्चात् ताल तीनताल में लखनऊ घराने की परंपरागत कथक नृत्य शैली में थाट,आमद, टुकड़ा, तोड़ा, परन, गत भाव, तिहाईयों की सुंदर प्रस्तुति कर दर्शकों की वाहवाही लूटी। तबला एवं पढ़ंत पर पं विवेक मिश्रा जी संवादिनी पर पं. रवींद्र तलेगांवकर एवं सितार श्री अरविंद मसीह ने लाजवाब संगति कर कार्यक्रम को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया।
इस अवसर पर श्री अनुज मिश्रा को “संगीत कला गौरव”, श्रीमती नेहा सिंह मिश्रा को विशिष्ट संगीत सेवा हेतु श्रीमती सुलभा तलेगाँवकर स्मृति संगीत सेवी सम्मान श्री विवेक मिश्रा एवं श्री अरविन्द मसीह को “संगीत सहोदर” के अलंकरण से सम्मानित किया गया।
60 वें निनाद महोत्सव में पखावज, गायन एवं सितार- गिटार की युगलबंदी से गूंजा सभागार
15 दिसंबर रविवार,निनाद महोत्सव के दूसरे दिन प्रातः कालीन सभा नाद साधना जो कि श्री मुकेश गर्ग जी को समर्पित की गई। कार्यक्रम के प्रारंभ में संगीत कला केंद्र आगरा के छात्रों ने राग बसंत मुखारी में सरस्वती वंदना एवं राग अहीर भैरव में ताल चार ताल में निबद्ध नाद वंदना प्रस्तुति की।
पं.रघुनाथ तलेगांवकर जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में पंडित जी द्वारा रचित आदि भैरव एवं उसके प्रकार में राग भैरव, बंगाल भैरव, शिवमत भैरव, नट भैरव, बैरागी भैरव,अहीर भैरव में निबद्ध बंदिशे जयपुर से पधारी ड.उमा विजय एवं उनके शिष्य वृंद-अंशुल नागपाल, कविता आर्य,मंत्र कांटीवाल और संकेत गुप्ता ने सुन्दर प्रस्तुति की। आपके साथ हारमोनियम पर श्री हेमेंद्र गुप्ता एवं तबले पर डॉ लोकेंद्र तलेगांवकर ने संगत की।
आयोजन के द्वितीय चरण में महर्षि पागल दास जी के प्रमुख शिष्य डॉ.संतोष नामदेव जी ने पखावज वादन प्रस्तुत किया। आपने पखावज वादन में चार ताल में पारंपरिक रूप से प्रस्तुत किया। आपने चार ताल में, चार धा एवं पांच धा की कमाली प्रस्तुत कर श्रोताओं को आनंदित किया। अंत में शिव परण और दुर्गा परण प्रस्तुत की।आपके साथ संवादिनी पर संगति श्रीमती ऊषा नामदेव एवं पं रविन्द्र तलेगांवकर जी ने की।
कार्यक्रम के अंतिम प्रस्तुति के रूप में सेनिया - मैहर घराने के प्रतिनिधि कलाकार प्रो (पं)देवाशीष चक्रवर्ती एवं देवादित्य चक्रवर्ती ने गिटार एवं सितार जुगलबंदी प्रस्तुत की। आपने राग शुद्ध सारंग की अवतारणा की आलाप, जोड़, झाला के उपरांत विलंबित तीनताल एवं मध्यलय तीनताल की रचना प्रस्तुत की।आपके वादन में सुरों की स्पष्टता, तानों की तैयारी स्पष्ट दिख रही थी। आपने कार्यक्रम का समापन राग ज़िला काफी में धुन प्रस्तुत कर किया। आपके साथ लाजवाब तबला संगत पद्म भूषण पं किशन महाराज जी के प्रमुख शिष्य डॉ. हरिओम हरि (खैरागढ़) ने की और कार्यक्रम को स्वरमयी ऊंचाई तक पहुंचाया। इस अवसर पर डॉ.संतोष 💐नामदेव को पं रघुनाथ तलेगांवकर स्मृति “आदर्श संगीत प्रसारक” एवं प्रो देवाशीष चक्रवर्ती को श्री पुरुषोत्तम बाल कृष्ण श्रीवास्तव स्मृति “संगीत कला संवर्धक”का मानद सम्मान दिया गया।
रिपोर्ट -असलम सलीमी