साहित्य निधि द्वारा स्व.ममता देवी वर्मा की पुण्य स्मृति में आयोजित हुआ वार्षिक कवि सम्मेलन
हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो
आगरा। साहित्य के मंच पर जब शब्दों में शौर्य और भावना में मातृभूमि के लिए समर्पण का भाव हो, तो हर श्रोता का मन भावविभोर हो उठता है। रविवार को यूथ हॉस्टल,संजय प्लेस में साहित्य निधि संस्था द्वारा स्व.ममता देवी वर्मा की षष्ठम पुण्यतिथि पर आयोजित वार्षिक कवि सम्मेलन में यही दृश्य देखने को मिला।
मुख्य अतिथि प्र.समाजसेवी पूरन डावर,महेश शर्मा,पूर्व विधायक प्रदीप माथुर,कार्यक्रम अध्यक्ष सुनील शर्मा, मुख्य वक्ता प्रो.उमापति दीक्षित (केन्द्रीय हिन्दी संस्थान,आगरा), रजत अस्थाना, कुलदीप ठाकुर,अरुण शर्मा व गौरव धवन ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में साहित्य रत्न अलंकरण - 2025 से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त गीतकार बलराम श्रीवास्तव ने मां और मातृभूमि को समर्पित रचनाओं से सभी को भावुक कर दिया –"तुम्हारी प्रीति जैसे छांव पीपल की, जो बचाती है हमें लू के थपेड़ों से..."
कार्यक्रम का संचालन कर रहे राष्ट्रीय ओज कवि मोहित सक्सेना ने अपने ओजस्वी वीर रस से ऐसा समां बांधा कि सभागार तालियों से गूंज उठा –"पाकिस्तान तभी आएगा भारत मां के पांव में, सर कटे जिहादी पहुंचेंगे जब अपने गांव में..."।
इसके साथ ही ऊंचा है हिन्द गगन से,जोशीला पवन अगन से, मत उलझो मेरे वतन से, नहीं तो बंध जाओ कफन से....सबरस मुरसानी, आंख अंधे की गूंगे की आवाज मां, प्यार जग में बिखरे वह अल्फाज मां....
राजकिशोर शर्मा राज ग्वालियर,अगर हम बेचते सपने तो लायक बन गए होते, अदाकारी दिखाते गर तो नायक बन गए होते....विनोद पाण्डेय,राफेल उड़ाकर भारत ने दस्तूर से उत्तर भेजा है,नापाक जिहादी को मिलवाने हूर से उत्तर भेजा है। मोदी से कहना कहकर सिंदूर मिटाया था तुमने, लो फिर घर में घुसकर तुमको सिंदूर से उत्तर भेजा है....हीरेन्द्र नरवार, मुक्ति के रास्ते क्यूं अवरुद्ध चाहते हैं, क्या क्या न जाने लोग ये प्रबुद्ध चाहते हैं...डॉ मुकेश मणिकांचन,जो घर के सारे कामों को सुबह से शाम करती है, थकानें खुद ही थक जाएं, वो ऐसे काम करती है... सपना सोनी आदि ने काव्य पाठ किया। निशि राज ने स्व. ममता देवी वर्मा का जीवन परिचय दिया।