हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
आगरा के प्रमुख निर्यातक हरविजय सिंह बहिया की किताब ‘लॉर्डस आफ गिरि’ (LORDS OF GIR) प्रकाशित होते ही सुर्खियां बटोर रही है। कॉफी टेविल बुक के रूप में प्रकाशित यह संस्करण जिसके हाथ में भी पहुंचा उसने इसे न केवल खुद बांचा अपितु अपने मित्र और परिवारीजनों को भी पढवाया।
‘लॉर्डस आफ गिरि ‘फोटो प्रधान किताब नेचर की विविधता बखान करने वाले फोटो युक्त होने के साथ ही तमाम सटीक जानकारियों से भरपूर है। किताब की मुख्य विषय वस्तु एशियटिक लॉयन उनके लिए मशहूर गिरि के जंगल हैं। देश का सबसे चर्चित वह वन्य जीव अभ्यारय है,जहां शेरों को अपने परिवारों के साथ स्वच्छंद विचरण करते सहजता के साथ देखा जा सकता है,लेकिन किताब लिखने के लिए उनके मटरगश्ती करने के मिजाज को समझना और अत्यंत सटीकता के साथ उनके फोटो उतारना वाकई में चुनौतीपूर्ण कार्य है।
गिरि के जंगल :
गिरि के जंगल वन विभाग के सबसे अधिक निगरानी वाले 1400 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत जंगल में से एक है,वहां घूमना और शेरों के दीदार करना तो आसान है,किंतु अध्ययन कर्त्ता के रूप में भ्रमण करना ,फोटो ग्राफी करना अपने आप में अलग किस्म का रोमांच अनुभव एवं वन्यजीवों के संरक्षण से संबधित कानूनों को गहनता से समझ करवाने वाला है। अक्सर जंगलों का भ्रमण करते रहने वाले श्री वाहिया पिछले साल से वे खामोशी के साथ ‘लार्डस आफ गिरि ‘प्राजेक्ट में लगे हुए थे। जूनागढ के कितने चक्कर उन्होंने काटे यह तो स्वयं लेखक और उनकी टीम के सदस्य ही जानते होंगे।आगरा से गिरि के जंगलों की दूरी लगभग 1,218 किलोमीटर है,मानसून के महीनों और ग्रीष्म काल में गुजरात के इन जंगलों का मिजाज अलग ही होता है। फोटो सलैक्शन से लेकर कंटेंटों (Content) से भरपूर स्क्रिप्ट लिखना कोई सहज कार्य नहीं है। वाहिया जी की यह किताब हर दृष्टि से महत्वपूर्ण और भारत में शेरों की जानकारी देने वाली स्पष्ट रिपोर्टंग पर आधारित है।
गिरि के जंगल जूनागढ क्षेत्र में आते हैं,कभी इस जंगल में शेरों की भरपूर संख्या रही होगी,किंतु 1911 में महज 10-12 ही रह गयी थी। जो वन्यजीव प्रेमियों के प्रयास से 2013 में 20 हो गयी। लेकिन 2024-25 में यह संख्या 500 से अधिक हो चुकी है। यही नहीं यहां के शेर कई अन्य वन क्षेत्रों और वन्य जीव उद्यानों में शिफ्ट भी किए जा चुके हे।
कानूनी संरक्षण :
कभी भारत के जंगलों में शेर सहजता के साथ विचरण करने वाला वन्य जीव था।उनका शिकार करना बहादुरी का प्रदर्शन माना जाता था,लेकिन देश की आजादी के दो दशक के बाद से शिकार का स्थान संरक्षण ने ले लिया है। भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम,1972, अनुसूची-I( schedule-1) में सूचीबद्ध है,जो वन्यजीवों को उच्चतम स्तर की कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है।
जन जागरूकता :
श्री वाहिया का मानना है कि कानून की सख्ती से ज्यादा उन कारणों के प्रति जन जागरूकता को अनवरत बनाये रखना है,जो कि शेरों को अनुसूची -1 में डालने का कारण बने हैं। उन्होंने कहा कि भारत में अब शेर सुरक्षित हैं,उनकी संख्या बढ रही है।अपनी काफी टेविल बुक को वह इसी जागरूकता के प्रयासों से जोडकर देखते हैं।
आत्मीय जुड़ाव :
श्री वाहिया ने यह पुस्तक अपनी पत्नी स्व.श्रीमती इन्दू को समर्पित की है।जो कि जीवन भर उनके सहासिक अभियानों की प्रेरक रहीं।शेर उनको बेहद पसंद थे और हमेशा उन पर कुछ लिखने के लिये प्रेरित करती थीं। 26अक्टूवर 2025 को इसे अपने उन आत्मीय जनों के बीच ‘लॉर्डस आफ गिरि’ को अनावरित किया,जो जीवन मूल्यों को समर्पित भवुकता से भरपूर ताजिंदगी यादगार बने रहने वाला अवसर था। उन्होंने स्मृतियों को ताजगी देते हुए कहा है कि’ A PROMISE FULFILLED...THE VOID REMAINS"...’ , ‘a LOVE expressed for my LIONESS’
बेहद चर्चित :
जिस प्रकार से यह सोशल मीडिया पर सुर्खिंयां बटोर रही है और डिमांड में बनी हुई है,उससे लगता है कि शेरों पर लिखि गई 2025 की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के रूप में इसे स्वीकारिता मिल चुकी है। निश्चित रूप से अपनी ‘लाईनेस ‘ के द्वारा दिये गये सुझाव को जमीनी हकीकत में तब्दील कर दिया है।
रॉक स्टारर्स ऑफ बेरा :
श्री वाहिया शेरों पर लिखी किताब से पहले तेंदुओं पर भी काफी टेविल बुक लिख चुके हैं।उनकी काफी टेविल बुक राजस्थान के चुरु जिले के अनजान से गांव के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हुई। बेरा में तेंदुए बडी संख्या में मौजूद है,गांव वालों का इस वन्यजीव से अजीव सा रिश्ता है। अब बेरा गाँव को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर सूची बद्ध है। वन्यजीव फोटोग्राफर यहां सालभर आते रहते हैं।श्री वाहिया कहते हैं कि जंगल में कैमरा लेकर विचरण करना बेहद रोमांचकारी शौक है। यह बाहर और प्राकृतिक दुनिया के बीच ले जाता है। इसे आप फोटोग्राफी की सबसे कठिन शैलियों में से एक कह सकते है। वन्यजीव फोटोग्राफी का एक व्यापक स्पेक्ट्रम है। जो प्राकृतिक दुनिया और उसके सामने आने वाली चुनौतियों का दस्तावेजीकरण करती है, इस शैली में आती है।
“रॉकस्टार्स ऑफ बेरा” जिस प्रकार से टूरिज्म और वाइल्ड लाइफ प्रेमियों के बीच जिस प्रकार से लोकप्रिय हुई उम्मीद है कि ‘‘लॉर्डस आफ गिरि ‘ ‘भी लोकप्रियता की नई ऊंचाई छुएगी।
- वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना के साथ फोटो जर्नलिस्ट असलम सलीमी


