उ.प्र.के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रबन्धतन्त्र द्वारा नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं ।खुली भर्ती प्रक्रिया से गुजरना होगा.

 खाली पदों का अधियाचन मँगा कर जल्द विज्ञापन जारी कर भर्ती पूरी करे सरकार- अनिल सिंह 

 4 सितम्बर 2020 प्रयागराज माननीय सर्वोच्च न्यायालय में वर्ष 2016 से लंबित चल रहे वाद संख्या सिविल अपील 8300/2016 संजय सिंह एवं अन्य बनाम उ.प्र.सरकार एवं अन्य पर सर्वोच्च न्यायालय नें कल दिनांक 03.09.2020 को अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाया.सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों - जस्टिस एस.के.कौल और जस्टिस के.एम.जोसेफ की खण्डपीठ ने संजय सिंह समेत 547याचियों की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए कहा कि उ.प्र.के अशासकीय सहायता प्राप्त  इंटरमीडियट कालेजों में प्रबंधतन्त्र द्वारा नियुक्त किये गये तदर्थ शिक्षकों को किसी भी दशा में विनियमित नही किया जा सकता है.कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि उ.प्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की धारा 16E (11)के तहत नियुक्त इन तदर्थ शिक्षकों को उ.प्र.माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा आयोजित टीजीटी पीजीटी की परीक्षा में सामान्य प्रतियोगियों के साथ परीक्षा में  बैठने का आदेश दिया है.कोर्ट ने तदर्थ शिक्षकों को जुलाई 2021तक केवल एक बार परीक्षा में बैठने का मौका देने का आदेश पारित किया है.खण्डपीठ ने सत्र 2021-21 की शुरूआत यानी जुलाई 2021 तक चयनबोर्ड से चयनित नियमित शिक्षक उपलब्ध कराने का आदेश सरकार को दिया है.इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इन तदर्थ शिक्षकों को परीक्षा में कुछ अंकों का वेटेज दिया जा सकता है.यह वेटेज प्रवक्ता पद के लिए इंटरव्यू के स्तर पर देय होगा और टीजीटी पद के लिए इंटरव्यू न होने की दशा में लिखित परीक्षा में ही देय होगा लेकिन यह वेटेज सामान्य परीक्षा का एक हिस्सा होगा.साथ ही कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए कहा है कि भविष्य में किसी भी दशा में तदर्थ नियक्ति न किया जाये.तदर्थ नियुक्ति शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक है.यह पूरा मामला वर्ष  दिसम्बर 2015 में हाई कोर्ट इलाहाबाद से आये चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड की लार्जर वेंच के द्वारा सुनाये गये उस फैसले से जुडा है जिसमें वाद संख्या Writ A 655/2013 अभिषेक त्रिपाठी एवं अन्य बनाम राज्य सरकार की याचिका पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड की बेंच ने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में हुई इन तदर्थ नियुक्तियों को पूर्णत: अवैध माना था.जिससे पूरे प्रदेश के तदर्थ शिक्षकों का वेतन रूक गया था.संजय सिंह ने चीफ जस्टिस के इस फैसले के खिलाफ  सुप्रीम कोर्ट में अगस्त 2016 में अपील कर तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करने की मांग की थी.लेकिन कोर्ट ने तदर्थ रूप से नियुक्त शिक्षकों को विनियमित करने से मना कर दिया.कोर्ट ने असीमित शाक्तियों की धारा 142 का प्रयोग करते हुए इन तदर्थ शिक्षकों के लिए बीच का रास्ता निकालते हुए सामान्य प्रतियोगियों के साथ  परीक्षा में बैठाने का आदेश पारित किया.कोर्ट ने जुलाई 2021 के बाद परीक्षा पास न कर पाने वाले तदर्थ  शिक्षकों की सेवा समाप्त करने का आदेश दिया है.इस याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट पी एस पटवालिया एवं राज्य के महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने अपना पक्ष रखा.साथ ही अवशेष पैनल की लडाई लड रहे  प्रतियोगी  छात्रों की तरफ से एडवोकेट राकेश मिश्रा  ऩे जोरदार बहस की.माननीय सुप्रीम  के इस फैसले से प्रतियोगी छात्रों में हर्ष का महौल व्याप्त है.प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि चयन वोर्ड को रिक्त पदों का अधियाचन न भेज कर मैनेजर पैसा लेकर अवैध नियुक्तियां करते थे.अब इस फैसले के बाद इस गोरख धंधे पर विराम लग जायेगा.साथ ही वर्षों से रिक्त चल रहे 34000पदों का एक साथ विज्ञापन कर जुलाई 2021 तक सरकार  भर्ती प्रक्रिया पूरी  करना होगा .युवा मंच से जुडे प्रतियोगी छात्रों ने इस फैसले को मेहनत कश प्रतियोगी छात्रों के हक में बताया है युवा मंच से जुड़े प्रतियोगी छात्रों में खुशी का माहौल युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह का कहना है कि कहना है कि सरकार को तत्काल सभी खाली पदों का अधियाचन मँगा कर विज्ञापन जारी कर देने चाहिए जिससे जुलाई 2021 तक भर्ती पूरी की जा सके ।                     

                                        

   अनिल सिंह अध्यक्ष ,युवा मंच                 9451505685