हिंदी दिवस" पर विशेष जय हिंदी, जय हिन्दुस्तान

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इस अवसर पर एक मुक्तक, एक गीत निवेदित.....

        "मुक्तक"

     जैसा बोलें, वैसा लिखती ,भाषा बड़े कमाल की।

शब्द दीप से, करे आरती ,अपने देश विशाल की।

भाषाओं में बड़ी सहोदरि,इसमें है संदेह नहीं,

हिंदी तो बिंदी है अपनी, भारत माँ के भाल की।।....

          "गीत"

         आओ हिंदी को अपना लें।

थोड़ा हँस लें, थोड़ा गा लें।।....


  ये हिंदी है  माँ  की  लोरी।

  शब्द-शब्द में मिसरी घोली।

   मीठे-मीठे  सपने  बुनती।

    माँ की भाषा अपनी बनती।

इसको ओढ़े, इसे बिछा लें ।

आओ हिंदी को अपना लें ।।....


     हिंदी का संगीत मधुर है।

     भावों का संचार प्रखर है।

      इसमें  गाए  राग  भले हैं ।

      कभी मेघ, कभी दीप जले हैं।

अपने सुर हैं अपनी तालें ।

आओ हिंदी को अपना लें।।....


      हिंदी  है  विज्ञानी  भाषा ।

      संस्कति की वरदानी भाषा।

      संस्कार  की  ये  भगिनी है ।

       संस्कृत ही इसकी जननी है।

सिर माथे रख मान बढ़ा लें।

आओ हिंदी को अपना लें ।।....

   ✍परमानंद.......