एमिटी में स्थायी विकास के लिए आपदा जोखिम को कम करना आवश्यक ,विषय पर वेबिनार का आयोजन



नोयडा।उ.प्र.

छात्रों को सतत विकास में आपदा जोखिम को कम करने की महत्वपूर्ण भूमिका की जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में बिहार स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अॅथारिटी के सदस्य श्री पी एन राय ने ‘‘ आपदा जोखिम में कमी विकास को स्थायी बनाती है’’ विषय पर व्याख्यान प्रदान किया।

वेबिनार में बिहार स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अॅथारिटी के सदस्य श्री पी एन राय ने ‘‘ आपदा जोखिम में कमी विकास को स्थायी बनाती है’’ विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि आप और हम सभी समाज का हिस्सा है और आपदा प्रबंधन के संर्दभ में जानकारी रखना और समय पर उस जानकारी का उपयोग करके जान माल की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी बनती है। प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में मानव निर्मित आपदायें हमें अधिक प्रभावित करती है। आपदा को रोका नही जा सकता किंतु पूर्ण तैयारी करके उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। आपदा प्रबंधन के संर्दभ में सभी को जागरूक करना आवश्यक है। श्री राय ने कहा कि आपदा के केवल बाढ़, तूफान नही है बल्कि गर्म हवा का बहना आग लगना, पीने के पानी कमी, डूब कर मृत्यु, सर्प दंश भी इसका हिस्सा है। आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी केवल सरकार, प्रशासनिक अधिकारियों की नही है हम सभी की है। संपूर्ण दृष्टिकोण के साथ तैयारी, बचाव, शमन, प्रतिक्रिया और पुर्नप्राप्ति आवश्यक है।

श्री राय ने कहा कि सड़क दुर्घटना एक बड़ी आपदा है जो देश में हर साल लाखों व्यक्तियों को जीवन लीला समाप्त कर देता और लगातार बढ़ रहा तापमान भीे आपदा को तैयार करता है। उन्होनें मुख्य आपदाओं के प्रभाव और लगने वाले खर्च के बारे बताते हुए कहा कि 2019 के बिहार बाढ़ में लगभग 4111 करोड़ विभिन्न कार्यो में खर्च हुए जिसमें बचाव, पुर्नप्राप्ति शामिल है। आपदा जोखिम को कम करके हमेें नये जोखिम का निर्माण नही करते है। हमें बचाव की संस्कृति को विकसित करके डूबने या बिजली गिरने जैसे आपदा से बच सकते है। श्री राय ने कहा कि वैश्विक स्तर पर विभिन्न आपदाओं मे स्न 1980 से 1999 तक लगभग 1.19 मिलियन लोगों ने और स्न 2000 सें 2019 के मध्य 1.23 मिलियन व्यक्तियों ने अपनी जान गंवाई है। आपदा से प्रभावित विश्व के मुख्य दस देशों में भारत भी शामिल है। आपदा से देश एंव विश्व की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है। उदाहरण देते हुए कहा कि साइकोलाॅन फानी ने क्षेत्र के लगभग 60 प्रतिशत संचार टाॅवरों को नुकसान पहंुचाया था।

श्री राय ने कहा कि आपदा जोखिम को कम करने के लिए आपदा जोखिम को समझना होगा जिसमें हमें भेद्यता, क्षमता एंव अनवारण को समझना होगा। राष्ट्रीय एंव राज्य स्तर पर निती का निर्माण एंव नियामक का अनुपालन करना होगा। शोध विकास, तकनीकी एंव पूर्व जानकारी को बढ़ावा देना होगा इसके अतिरिक्त जागरूकता, प्रशिक्षण एंव कौशल कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना होगा। आपदा जोखिम कम करने के लिए बचाव एंव राहत की बजाय, बचाव एंव शमन पर घ्यान देना होगा। श्री राय ने कहा कि आपदा प्रबंधन या आपदा जोखिम कम करने के क्षेत्र में तकनीकी का इस्तेमाल कम होता है इस क्षेत्र में तकनीकी का उपयोग एंव तकनीकी का विकास करने की आवश्यकता है। आपदा के संर्दभ में जानकारी का अभाव जोखिम को बढ़ाता है।

इस अवसर पर छात्रों ने श्री राय ने कई प्रश्न भी किये जिनके उन्हे जवाब प्रदान हुए।

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