एमिटी ने ’’ छात्र अनुसंधान वेबिनार श्रृंखला- प्रसंग ’’ का किया आयोजन।



नोयडा। (हि. वार्ता )

युवा अनुसंधान विद्वानों एंव पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के कार्य को प्रोत्साहित एंव उजागर करने के लिए एमिटी स्कूल आॅफ कम्युनिकेशन, नोएडा ने छात्र अनुसंधान वेबिनार श्रृखला- ’’प्रसंग’’ का आयोजन किया। इस श्रृखला का पहला सत्र लैंगिक अध्ययन पर अधारित था। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विश्व के विद्वानों को अपने अनुसंधान हितों, अवधारणाओं और अध्ययन पाठ्यक्रमों को प्रस्तुत करने के लिए मंच प्रदान करना था। इस कार्यक्रम में विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों एंव संस्थानों तथा एमिटी के छात्रों ने हिस्सा लिया। एमिटी स्कूल आॅफ कम्युनिकेशन, नोएडा की जाॅइन्ट एक्टिंग हेड डा गौरी चक्रवर्ती ने वेबिनार के दौरान छात्रों को कार्यक्रम के आयोजन कि लिए बधाई दी।

आॅस्ट्रेलिया के डीकिन विश्वविद्यालय की मास कम्युनिकेशन पाठ्यक्रम की पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा एमिली रीव्य ने प्रस्तुति दी। उनकी शोध की शीर्षक ’’महिला जो दुनिया को बदलती है’’ था जिसमें उन्होने बताया कि भारत में महिलाएं पुरूषों की तुलना में अवैतनित घरेलू कर्तव्यों पर 570 प्रतिशत से अधिक समय बिताती है। उन्होने आगे कहा कि वैश्विक रूप से अवैतनिक देखभाल प्राथमिक कारण है कि महिलाएं वेतन मिलने वाले कार्य में प्रवेश नही करती। यही कारण है कि महिलाओं में तनाव की भावना बनती है। उन्होने बताया कि 167 देशों में से भारत यौन एंव भावनात्मक हिंसा के मुद्दों पर 133 श्रेणी पर आता है।

दुसरी प्रस्तुति एमिटी स्कूल आॅफ कम्युनिकेशन, नोएडा की पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा सोनल ने दी। विषय ’’महिला मुक्ति में मीडिया का योगदान’’ पर विचार प्रदान करते हुए सोनल ने मीडिया की उभरती भूमिकाओं के बारे में विस्तार से बताया है। उन्होने बताया कि मीडिया लैंगिक असमानता और समाजिक रूप से महिलाओं के खिलाफ हो रहे हिंसा पर प्रकाश डाल रहा है। यही नही मीडिया ने पुरानी प्रथा को तोड़ने एंव नई मजबूत प्रथाओं को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

एमिटी स्कूल आॅफ कम्युनिकेशन, नोएडा की जाॅइन्ट एक्टिंग हेड डा गौरी चक्रवर्ती ने अनुसंधान एंव नवाचार की भूमिका पर जोर दिया और कहा कि यह एक अच्छी पहल है और हम दुनिया भर के छात्रों को हिस्सा लेने और उनके विचार एंव अवधारणों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे।