विश्व रैकिंग में चार एमिटी वैज्ञानिकों ने बनाई जगह



नोयडा। उ.प्र.

एमिटी विश्वविद्यालय के चार वैज्ञानिकों ने उपलब्धि हासिल करते हुए यूएसए के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा भारत के वैश्विक वैज्ञानिकों की बनाई गई सूची में टाॅप 2 प्रतिशत में स्थान सुरक्षित किया है। यूएसए के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के डा जाॅन पी ए लोनडिस के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम द्वारा विश्व भर के वैज्ञानिकों को उनके कार्य जैसे उद्धरण, एचएम इंडेक्स, सह लेखक समायोजित, एच इंडेक्स के संर्दभ में योगदान, विभिन्न लेखक पदों पर पेपर के लिए उद्धरण और स्न 2019 तक जुटाये गये आकड़ों के आधार पर समग्र संकेतक से सूची तैयार की गई है जिसें विश्व प्रसिद्ध मान्यता प्राप्त जर्नल प्लोस बायोलाॅजी में प्रकाशित भी किया गया है।


इस उच्च सम्मान को एमिटी विश्वविद्यालय के चार वैज्ञानिक डा अजित वर्मा, डा दत्तात्रय लाटे, डा अजय गुप्ता और डा डी के अवस्थी ( डा अवस्थी सितंबर 2019 तक एमिटी विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे) ने हासिल किया है। डा दत्तात्रय लाटे, डा अजय गुप्ता और डा डी के अवस्थी ने क्रमश: 1135, 4000 एवं 1105 रैंक उनके एप्लाइड भौतिकी में कार्य के कारण हासिल हुई है और डा अजित वर्मा जो कि प्लांट बायोलाॅजी रिर्सच में सक्रिय है उन्होंने 916 रैंक सुरक्षित की है।


एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने सभी वैज्ञानिकों को बधाई एवं उनके कार्य के प्रति सराहना करते हुए कहा कि आपकी कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्पता और विज्ञान के प्रति समर्पण भाव से ना केवल आपका स्वंय का बल्कि विश्वविद्यालय एंव देश का नाम रौशन हो रहा है। हमें एमिटी से जुड़े सभी वैज्ञानिकों पर गर्व है जो हमारे छात्रों के लिए प्रोत्साहन है।


एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एडं इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान प्राप्त करना जीवन में एक बहुत बड़ी उपलब्धी है।


डा अजित वर्मा जो कि वर्तमान में एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ माइक्रोबियल टेक्नोलाॅजी में महानिदेशक एवं एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एडं इनोवेशन फांउडेशन के वाइस चेयरमैन है। उनकी विशेष रूचि माइकोराइजल फंगाई एवं उसके बायोतकनीकी एप्लीकेशन में है। रूटोनिक - द मैजिक फंगस को स्न 1992 में डा अजित वर्मा एवं उनकी टीम द्वारा पश्चिमी भारत के थार रेगिस्तान से कई जेरोफाइटिक पौधों की जड़ प्रणाली से खोजा गया था। डा वर्मा अब तक लगभग 285 शोध पेपर, देश विदेश के प्रख्यात जर्नलों में पब्लिश कर चुके है और माइक्रोबियल टेक्नोलाॅजी पर लगभग 30 किताबे भी पब्लिश कर चुके है। डा वर्मा कई अंर्तराष्ट्रीय वैज्ञानिक फैलोशिप जैसे आस्ट्रेलिया के काॅमनवेल्थ फैलोशिप, कनाडा के नेशनल रिर्सच कांउसिल और जमर्न के अलेक्जेंडर वोन हमबोल्डट फांउडेशन आदि द्वारा सम्मान प्राप्त कर चुके है।


डा अजय गुप्ता वर्तमान में एमिटी सेंटर फाॅर स्पीनट्रानिक मैटेरियल के निदेशक पद पर तैनात है। उनकी दिलचस्पी स्पीनट्रानिक मैटेरियल सहित मल्टीलेयर नैनोस्ट्रक्चर जियान मैग्नेटोररेसिसटेंस, एक्सचेंज बायस, साफ्ट एंड हार्ड मैग्नेटिक थिन फिल्म, मल्टीफेरोरिक मैटेरियल, न्यूर्टान आधारित मैटेरियल करेक्टेरेराइजेशन आदि के शोध में है। डा गुप्ता विभिन्न जर्नलों एवं अंर्तराष्ट्रीय समीक्षा में 350 से अधिक शोध पेपर पब्लिश कर चुके है।


डा दत्तात्रय लाटे वर्तमान में एमिटी विश्वविद्यालय मुबंई के सेंटर आॅफ एक्सलेंस के प्रमुख के पद पर कार्य कर रहे है जो कि एक युवा एवं उत्साही वैज्ञानिक है जिनकी रूचि नैनोमटेरियल, फोटोलिथोग्राफी, नैनोफाइब्रिकेशन, स्पेक्ट्रोस्कोपी, माइक्रोस्कोपी, फिल्ड एमिशन, उर्जा स्टोरेज और उपकरण शोध में है। डा लाटे विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंर्तराष्ट्रीय जर्नलों में 250 सेे अधिक शोध पेपर पब्लिश कर चुके है और नैनोटेक्नोलाॅजी के क्षेत्र में सरकारी एजेंसियों एवं उद्योगों द्वारा वित्त पोषित कई शोध प्रोजेक्टों को पूर्ण कर चुके है।

इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के अधिकारीयों, कर्मचारियों एवं शोधार्थियों ने सभी वैज्ञानिकों को यह उपलब्धि हासिल करने के लिए बधाई दी।

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