मकर संक्रांति के अवसर पर अन्ना जी ने कहा - आखिरी जनवरी तक करेंगे अनशन

सरकार लिखित आश्वासन भी टाल रही है,इसलिए पुनः प्रधानमंत्री को लिखा चेतावनी भरा पत्र



आगरा।(धर्मेन्द्र कु.चौधरी)

अन्ना हजारे ने आज पुनः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर , कहा है कि विगत हमारे अनशन पर, आपने जिम्मेदार मंत्री, मुख्यमंत्री आदि को भेज कर ,लिखित आश्वासन दिया था कि सरकार स्वामीनाथन आयोग ,लागू करेंगे।

इस सम्बंध में हम प्रधानमंत्री को पाँच बार , पत्राचार कर चुके हैं।लेकिन उन्होंने हमें कोई जबाव नहीं दिया।इसलिए हम जनवरी के  अंत मे जीवन का आखिरी अनशन करने जा रहे हैं।

जय हिंद....


प्रधानमंत्री को लिखा पत्र निम्न है... सुधी पाठक ..इसे जरूर पढ़ें.....👇🏼

दिनांक – 14/01/2021

 

प्रति,

मा. नरेंद्र मोदी जी,

प्रधानमंत्री, भारत सरकार,

रायसीना हिल, नई दिल्ली


विषय – आपके कार्यालय ने 29 मार्च 2018 को रामलिला मैदान, नई दिल्ली में, मेरे अनशन के सात दिन के बाद जो लिखीत आश्वासन दिया था उसका अब तक पालन नहीं हुआ है। आश्वासन का पालन करने और जनवरी में अनशन करने के बारे में...


महोदय,

            स्वामीनाथन आयोग के अहवाल को आपकी सरकार ने स्विकार किया है। स्विकार किया है तो, पालन होना जरूरी है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश कहती है की, MSP निर्धारीत करते समय कृषि उपज के लागत मूल्य से 50 फिसदी मूल्य जादा दी जाए। इसी मांग को लेकर हमने 23 मार्च 2018 को रामलिला मैदान में अनशन किया था। आपने 29/03/2018 को कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इनके पास प्रधानमंत्री कार्यालयने लिखीत आश्वासन देकर भेजा था। उस आश्वासन में लिखा था की, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारीत समय लागत मूल्य से 50 फिसदी जादा तय करने के बारे में केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है। और बजट भाषण में भी इसका उल्लेख किया गया है। और इसका अनुपालन किया जायेगा। ऐसा लिखीत आश्वासन दिया था। जानकारी के लिए आश्वासन पत्र साथ में जोड रहा हूँ।


            किसानों को उपज की निर्धारीत लागत मूल्य मिले इसलिए राज्य में कृषि मूल्य आयोग की स्थापना की है। राज्य के कृषि मूल्य निर्धारीत करने के लिए राज्य के सभी कृषि विद्यापीठ के कृषि विशेषज्ञ हर कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारीत करते समय जो फसल की लागत आती है उस में किसानों के परिश्रम, मवेशी या मशीन किराये पर लिए है उसका खर्चा, बीज का मूल्य, खाद का मूल्य, बिजली का मूल्य, सिंचाई का मूल्य, लँड रेव्हेन्यु, किटकनाशके (इंसेक्टीसाइड), तणनाशक (हरविसाइड), खुरपणी (वीडींग), नांगरणी (प्लोइंग) का खर्च आदी अन्य खर्चा शामिल है। राज्य के कृषि मूल्य आयोग हर फसल का न्यूनतम सर्मथन मूल्य किसानों को कितना मिलना चाहिए इसकी जानकारी भेजता है। और केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग उसमें 50 से 55 फिसदी कटौती करता है। इस कारण किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिलते है।


            स्वामीनाथन आयोग के अहवाल के मुताबीक लागत मूल्य से 50 फिसदी जादा बढाकर मिलनी चाहिए। लेकिन केंद्रीय कृषिमूल्य आयोग के कटौती के कारण लागत मूल्य से 50 फिसदी जादा बढाकर तो मिलता नहीं, बल्कि किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिलता है। इसलिए वह आत्महत्या करता है। जानकारी के लिए राज्य कृषि मूल्य आयोग कि तरफ से हर फसल की भेजी हुई न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और केंद्र ने उसमें की कटौती की जानकारी का विवरण संलग्न भेज रहा हूँ। 2016-17 और 2017-18 का विवरण देखने से पता चलता है कि, केंद्र सरकार से स्वामीनाथन आयोग के मुताबीक लागत मूल्य पर 50 फिसदी जादा बढाकर नहीं मिल रहा है। आपने आश्वासन पत्र में लिखा है कि, हमारी सरकारने लागत मूल्य पर 50 फिसदी जादा देने का निर्णय लिया है। इसका पालन नहीं हो रहा है।


            हमारे संविधान में कलम 21, 38, 39, 41, 43, 47 नुसार लोक कल्याणकारी सरकार की जिम्मेदारी है की किसी का भी शोषण ना हो। उनको सही श्रममूल्य मिले। यह उनका घटनात्मक अधिकार है। लेकिन हमारे देश का किसान जो जनता का पोषण करता है उसका ही शोषण होता है। उस कारण वह आत्महत्या करता है। इसलिए किसानों के कृषि उपज पर लागत मूल्य से 50 फिसदी जादा आपने हमे लिखीत आश्वासन दिया, वह मिलना जरूरी है।


            इस विषय में मैंने अभी तक आपसे पाँच बार पत्राचार किया है। लेकिन कोई जवाब नहीं आया है। इसलिए मैंने जनवरी आखिरी तक जीवन का आखिरी अनशन करने का तय किया है। अनशन के लिए रामलिला मैदान मिले इसलिए उस अथॉरिटी को चार पत्र लिखे है। जवाब नहीं आया। आपके सरकार के कृषि मंत्री को पांच बार पत्र लिखा उनका भी जवाब नहीं आया। यह बात आपकी सरकार के लिए ठिक नहीं है। संदेह निर्माण होता है की, यह बदले की भावना (सुडबुद्धी) तो नहीं? वास्तविकता यह है कि, शान्ति से अनशन करना संविधान ने दिया हुआ हर व्यक्ती, समूह का अधिकार है। 2011 के रामलिला मैदान में मेरा 13 दिन अनशन चला था उस वक्त तत्कालीन सरकारने दो बार संसद का विशेष अधिवेशन बुलाया था। उस अधिवेशन में 26/08/2011 और 17/12/2013 को आप और आपके उच्च स्तरीय मंत्री अन्ना हजारे की प्रशंसा कर रहे थे और आज तीन साल से किसानों के प्रश्न पर आप मुझे लिखीत आश्वासन देकर भी पालन नहीं कर रहे है। उतना ही नहीं पत्र का जवाब भी नहीं दे रहे है।


            आपने और आपके वरीष्ठ मंत्रीयोंने जो उस वक्त संसद में प्रशंसा कि थी उसकी छोटी सा व्हीडीओ बनाकर स्मरण के लिए भेज दूँगा।


            जीवन में एक फकिरी जीवन जीते हुए देश को सूचना का अधिकार, लोकपाल और अन्य दस कानून मिले। इसी को मैं जीवन की सार्थकता मानता हूँ।

धन्यवाद।


 भवदीय,

कि. बा. तथा अन्ना हजारे