- राजभवन /शासन को की लिखित शिकायत।
आगरा।उ.प्र.
डा भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय राज्य सरकार का विश्वविद्यालय है। नयी शिक्षा नीति 2020 के लागू हो जाने के बाद इसकी सेवाओं का विस्तार होना चाहिये था ,इसके स्थान पर इसके कार्य क्षेत्र में जहां संकुचन हुआ है, वहीं शैक्षणिक संकायों में भी कमी आयी है। कोर्स पूरे कर चुके छात्रों को डिग्री समय से उपलब्ध करवाने के मामले में वि वि प्रशासन नाकाम साबित हुआ है।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा वि वि की मौजूदा स्थिति की आगरा के शैक्षणिक जरूरत को पूरा करने और मंडल के युवाओं के भविष्य बेहतर करने के लिये इसकी स्थतियों में सुधार लाये जाने की पक्षधर है।इसके लिये कुलपति से हमारी मांग है कि 2015 से लेकर 2020तक की अवधि के काम काज की उ प्र शासन खुली जांच करवाये।जिससे विश्वविद्यालय आगरा में निर्माण, नियुक्तियों , प्रोन्नतियां और सेवा कर्मियों के प्रोवीडैंड फंड के प्रबंधन को लेकर बडे पैमाने पर जो घपले हुए हैं उनमें संलिप्तों के विरुद्ध कार्यवाही हो सके तथा शिक्षा परिसर भ्रष्टाचार मुक्त हो सके।इन अनियमित्तताओं को जन जानकारी में लाये जाने के लिये आर टी आई एक्ट 2005 , व अन्य विधिक माध्यम भी हैं किन्तु गड़बड़ियाँ इतने बडे पैमाने पर है कि सक्षम अधिकारी नियुक्त कर खुली जांच से ही समाधान संभव है।
किससे इन जांचो को करवाया जाये यह राजभवन और कुलपति पर निर्भर करता है किन्तु हमारा निवेदन है कि किसी शिक्षा सचिव रह चुके किसी अधिकारी से यह कार्य करवाया जाये।
वि वि में जो करैप्शन पैटर्न है उसके अनुसार अधिकांश अनियमित्ताओं की शुरूआत एक कुलपति के कार्यकाल में होती है और उनके परिणाम बाद के उपकुलपति के कार्यकाल में आते हैं। सिविल सोसायटी ऑफ़आगरा ने भ्रष्टाचार की इस प्रक्रिया को समझा और अनियमित्ताओं की जांच की मांग को गंभीरता से लेना शुरू किया हुआ है ।फलस्वरूप परिणाम भी आना शुरू हो गये हैं।
-- मसलन ललित कला ऐकेडैमी के जिस भवन का निर्माण करवाने को करोड़ो रूपये खर्च किये गये हैं, उसकी जमीन तक वि वि के नाम अब तक नहीं है। राजस्व विभाग के रिकार्डो में इसके लिये तमाम दुरुस्थियां होनी हैं।
इस भवन को बनवाये जाने का काम बिना आगरा विकास प्राधिकरण से नक्शा पास करवाये किया गया है, जबकि इतने बडे अनावासीय बहुउद्धेश्यीय भवन को बनाये जाने के लिये आगरा विकास प्राधिकरण ही नहीं ताज ट्रिपेजियम जोन प्राधिकरण से भी अनुमति जरूरी होती है।ललित कला संकाय के नाम पर जिस बहुउद्धेश्यीय भवन सहित वि वि के द्वारा जो निर्माण कार्य करवाया गया है, उस पर एक प्रतिशत की दर से निर्माण पर खर्च किये गये १४५ करोड़ के अनुपात में श्रम विभाग को उपकर जमा करवाना था।अब इस उपकर को संग्रहित करने के लिये उत्तर प्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड- के सचिव ने उप श्रमायुक्त से कहा है।इसके अलावा पुराने भवन को ढहाने पर मलवा शुल्क और नये निर्माण में जलमूल्य भी अदा करना होगा।
-- इस भवन को लेकर सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा की सबसे बडी वेदना है कि जो धन अनियमित व गैर जरूरी निर्माण में खर्च कर डाला गया है उसमें से सौ करोड (एक अरब) ,वह आर्थिक मुश्किलातों से जूझते निजि प्रबंधन के महाविद्यालय हैं। संबद्धता आदि अन्य मदों के माध्यम से अर्जित इस धन राशि का एक भी रुपया संबद्ध प्राइवेट संस्थानों के संसाधनों में योगदान बढाने पर खर्च करना जरूरी नहीं समझा गया। अगर वि वि प्रबंधन जरा सी भी कुश्लता का परिचय देता तो निर्माण को जरूरी धन प्रदेश सरकार के अन्य वि विद्यालयों के समान ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से लेकर आया होता।
-- सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने संतोष व्यक्त किया है कि राजभवन ने उसकी शिकायतों को गंभीरता से लिया है और विश्वविद्यालय प्रशासन से जबाब तलब किया है।परिणाम स्वरूप अब तक ललित कला अकादमी के डायरेक्टर का पद सांख्यकी विभाग के शिक्षक को दिया हुआ था, लेकिन सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के विरोध दर्ज कराने के बाद, अब इसे आगरा कॉलेज के ललित कला के शिक्षक को दिया गया है।
-- सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का कहना है, कि वि वि के स्टाफ के काटे जा रहे जी पी एफ में बरती जाती रही अनियमित्ता को तत्काल दुरुस्थ किया जाये। इस धन का सुरक्षित और अधिकतम लाभकरी निवेश किया जाये। जिससे कि रिटायर्ड होने वाले कर्मचारियों के लाभों में कमी न रहे।
--सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने मांग की है कि जी पी एफ के सम्बन्ध में वि वि प्रशासन सरकार या प्रोवीडैंट फंड विभाग से मार्गदर्शन ले तथा मौजूदा स्थिति सार्वजनिक करे।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा वि वि के कोर्सों में कटौती किये जाने को लेकर भी गंभीर है और इसे विद्यार्थियों के शिक्षा अवसर सीमित करने वाला मानती है । सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने कहा है कि वि वि के विभागों के कम होने को लेकर मंडल के जन प्रतिनिधियों से उपकुलपति महोदय को संवाद करना चाहिये। इसके लिये उन्हें मीटिंग कर बुलाया जाना चाहिये।दरअसल वि विद्यालय और उसके संबद्ध महाविद्यालयों में कोर्सों का कम होना, सरकार की छवि पर प्रतिकूल असर डालता है। इस लिये कम से कम उन लोगों को इस समबन्ध में जरूर मालूम होना चाहिये जो इस मामले में शासन में अहम भूमिका निर्वाहन कर सकने में सक्षम हैं।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा उ प्र शासन के शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त अनियमित्ताओं को दूर करने के प्रयासों को सामायिक जरूरत के रूप में देखती है और मानती है कि अली जौहर वि वि रामपुर के विरुद्ध जो सख्ती अपनायी गयी वहीं अनियमितताओं में संलिप्त अन्य शिक्षा परिसरों के विरुद्ध भी अमल में लायी जाये।हां करोड़ों का खर्च कर बनवाये गये भवनों को ध्वस्त न करवा के फिलहाल अनियमित्ताओं को दूर करवाने का अवसर प्रदान करना उपयुक्त मानते हैं।
उक्त गम्भीर समस्याओं पर सिविल सोसाइटी के पदाधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तार से चर्चा की।
प्रेस वार्ता में श्री शिरोमणि सिंह, श्री अनिल शर्मा, अधिवक्ता देवेन्द्र कुमार त्रिपाठी एवं श्री निसार मोहम्मद खान ,प्रमुख थे।