प्रमुख समाजसेवी वैदिक सूत्रम की संस्थापक योग-गुरू स्व श्रीमती दिनेशवती गौतम की द्वित्रीय पुण्य तिथि पर श्रदांजलि



आगरा।प्रवीन शर्मा

वैदिक सूत्रम रिसर्च संस्था की संस्थापक प्रमुख समाजसेवी योग-गुरु स्व श्रीमती दिनेशवती गौतम की स्मृति में, 2 फरवरी 2021 को टैगोर नगर दयालबाग स्थित संस्था कार्यालय पर उनकी द्वित्रीय पुण्य तिथि पर संस्था के पदाधिकारियों ने श्रदांजलि अर्पित की।


श्रदांजलि अर्पित करने के बाद वैदिक सूत्रम चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वैदिक सूत्रम की संस्थापक योग-गुरु स्व श्रीमती दिनेशवती गौतम पिछले 20 वर्षों से अर्थात अप्रैल 2000 में संस्था की आधारशिला रखने के बाद से ही लगातार सामाजिक कार्यों के प्रति पूरी तरह समर्पित थी, और उन्होंने हमेशा समाज के हर वर्ग की सेवा की और इसके साथ-साथ वह एक आध्यातिमक योग-गुरु भी थीं जो योग के माध्यम से समाज के हर वर्ग को दिशा निर्देशन प्रदान करती थीं। 


वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वैदिक सूत्रम संस्था उनकी दी हुई शिक्षाओं का हमेशा मार्गर्दशन करती रहेगी।पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि समाज-कार्य या समाजसेवा एक शैक्षिक एवं व्यावसायिक विधा है जो सामुदायिक सगठन एवं अन्य विधियों द्वारा लोगों एवं समूहों के जीवन-स्तर को उन्नत बनाने का प्रयत्न करता है। सामाजिक कार्य का अर्थ है सकारात्मक, और सक्रिय हस्तक्षेप के माध्यम से लोगों और उनके सामाजिक माहौल के बीच अन्तःक्रिया प्रोत्साहित करके व्यक्तियों की क्षमताओं को बेहतर करना ताकि वे अपनी ज़िंदगी की ज़रूरतें पूरी करते हुए अपनी तकलीफ़ों को कम कर सकें। इस प्रक्रिया में समाज-कार्य लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति करने और उन्हें अपने ही मूल्यों की कसौटी पर खरे उतरने में सहायक होता है। 'समाजसेवा' वैयक्तिक आधार पर, समूह अथवा समुदाय में व्यक्तियों की सहायता करने की एक प्रक्रिया है, जिससे व्यक्ति अपनी सहायता स्वयं कर सके। इसके माध्यम से सेवार्थी वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में उत्पन्न अपनी समस्याओं को स्वयं सुलझाने में सक्षम होता है। समाज सेवा अन्य सभी व्यवसायों से सर्वथा भिन्न होती है, क्योंकि समाज सेवा उन सभी सामाजिक, आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक कारकों का निरूपण कर उसके परिप्रेक्ष्य में क्रियान्वित होती है, जो व्यक्ति एवं उसके पर्यावरण-परिवार, समुदाय तथा समाज को प्रभावित करते हैं।