प्रतिशोध दिवस-बेहमई कांड " दस्यु सुंदरी फूलनदेवी"



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    ✍जय सिंह


          14 फरवरी 1981 को दस्यु फूलन देवी ने 22 असंस्कारिक बलात्कारी ठाकुरों को एक लाइन में खड़ाकर मौत के घाट उतार था।

   *बेहमई.* फूलन यहीं रहती थीं. उसका बाल विवाह कर दिया गया था. शादी के बाद फूलन को प्रताड़ित किया गया. डरी-सहमी फूलन मायके लौट आई. इस बीच, फूलन के पिता की 40 बीघा जमीन पर चाचा ने कब्जा कर लिया था. 11 साल की फूलन ने अपने चाचा से जमीन मांगी तो चाचा ने फूलन देवी पर डकैती के केस दर्ज करवा दिए. फूलन को जेल जाना पड़ा. जेल से बाहर निकलते ही फूलन डकैतों के गिरोह के संपर्क में आ गई. दूसरे गैंग के लोगों ने फूलन का गैंगरेप कर दिया. कहा जाता है कि दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने इसका बदला लेने के लिए ठाकुर जाति के 20 लोगों को मौत के घाट उतार कर लिया.  जिसमें 17 ठाकुरों, एक मल्लाह, एक धानुक और एक मुसलमान भी था.कत्ल किया गया था

डकैत गैंग के अनुसार ये सभी बलात्कारी फूलन के गुनहगार थे. फूलन देवी ने इन्हें अपने तरीके से ही मौत की सजा सुनाई. इस हत्याकांड के बाद से ही फूलन देवी को ‘बैंडिट क्वीन’ कहा जाने लगा.


14 फरवरी 1981 को फूलन देवी साथी डकैतों के साथ बेहमई गांव पहुंची थी. इसके बाद तुलसीराम, जगन्नाथ सिंह, राजेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, रामाधार सिंह, लाल सिंह, रामचंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह, शिव बालक सिंह, शिवराम सिंह, बनवारी सिंह, नरेश सिंह, दशरथ सिंह, हरिओम सिंह, हुकुम सिंह, हिम्मत सिंह समेत 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. जंटर सिंह समेत 6 से ज्यादा गांव के लोग गोली लगने से घायल हुए. इस हत्‍याकांड से तत्‍कालीन वीपी सिंह सरकार गिर गई. उन्‍होंने नैतिक जिम्‍मेदारी लेते हुए मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया.

    इस हत्याकांड के बाद राजाराम नाम के शख्‍स ने फूलनदेवी समेत 35-36 डाकुओं के खिलाफ सिकंदरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. इस हत्याकांड में राजाराम का भाई बनवारी भी मारा गया था. राजाराम ने प्रेस से बताया था कि हत्याकांड वाले दिन मैं झाड़ियों में छुपकर देख रहा था. डाकू धीरे-धीरे गांव में घुसने लगे. 35 से 40 डकैत फूलन के साथ थे. पहले किली ने ध्यान नहीं दिया क्योंकि वो अक्सर गांव से होकर गुजरा करते थे. औरतें गावों में काम करने गई थी. मर्द घर पर ही थे. फूलन देवी ने ऊंची आवाज़ में कि पूछा कि लालाराम और श्रीराम (फूलन के साथ दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की साजिश रचने वाले) को रसद कौन देता है और हमारी मुखबिरी कौन करता है? गांव के टीले के पास गांव के 23 लोग और 3 मजदूरों के पकड़ कर ले जाया गया. और कुछ देर बाद गोलियां चलने की आवाज़ आई. गांव के 20 लोग मारे जा चुके थे. लगभग 4 से 4:30 के बीच फूलन अपने साथियों के साथ गांव छोड़ चुकी थी. वो अजीब शाम थी. महिलाओं के विलाप की आवाजें आती रहीं, जानवर चिल्लाते रहे. पुलिस घटना के 4 घंटे बाद पहुंची.

    फूलन देवी की मां मुला देवी, कालपी से 10 किलोमीटर शेखपुरा गुढ़ा गांव में अकेले ही रहती है. भाई पुलिस में है. पास ही में  उनकी बहन रहती है फूलन की मां मुला देवी ने बताया कि मेरी बेटी बहुत सीधी थी. वह लड़ाई-झगड़ों से दूर रहती थी, लेकिन जब अति हो गई और कोई चारा नहीं बचा तो डकैत बन गई.

   मुलायम सिंह यूपी का चीफ मिनिस्टर बनने के बाद पहली ही फुर्सत में फूलनदेवी के सारे मुकदमे वापस लिये थे. मुकदमे वापस लेने का जो सरकारी आदेश जारी किया गया था, उसमें साफ लिखा था कि फूलन देवी के सारे मुकदमे ”जनहित” में वापस लिये जा रहे है. फूलनदेवी समाजवादी पार्टी की टिकट से ही मिर्जापुर भदोही सीट से सांसद चुनी गई थी.

    फूलन जब सांसद बनी थी तो गांव आई. लोगों को यहां कंबल-स्वेटर बांटे.

   जेंटर सिंह उन लोगों में थे जिनके सीने पर गोलियां चलाई गई थी. हत्याकांड के चश्मदीद जेंटर सिंह के अनुसार  एक साथ 26 लोगों के लाइन में खड़ा करके गोलियां बरसाई गई. कुछ लोगों ने झूठमूठ भी गिरकर तड़पकर मरने का बहना किया. एक-एक को चेक कर गोलियां मारी. मुझे भी सीने पर बंदूक रखकर तीन गोलियां मारी जो मेरे शरीर से आरपार हो गईं. 3 साल तक कानपुर और लखनऊ में इलाज चला. किस्मत अच्छी थी तो बच गया. 

    इस घटना के ठीक दो साल बाद 1983 में फूलन ने सरेंडर कर दिया. वह मिर्जापुर से सांसद भी बनीं। बैंडिट क्वीन के दुश्मनों की संख्या भी कम नहीं थी. साल 2001 में दिल्‍ली में उनके घर के सामने ही गोली मार कर उनकी हत्‍या कर दी गई.

   बेहमई हत्याकांड में आरोपी विश्वनाथ उर्फ पूतानी, भीखा, श्यामबाबू जमानत पर हैं जबकि आरोपी पोसा अभी भी जेल में हैं.