लखना में अद्भुत है,माँ काली का मंदिर,विराट रूप है देवी जी का।


इटावा।हि वार्ता

लखना इटावा। स्थानीय कस्बा स्थित भिकारी मोहल्ला में स्थापित मां काली का अति प्राचीन मंदिर में मां काली की जो मूर्ति स्थापित है वह न केवल अद्भुत है बल्कि देवी मां का विराट रूप भी झलकता है।

काली जी का यह मंदिर लखना का सबसे प्राचीन मंदिर है जहां लखना की महारानी किशोरी बाई इसी मंदिर में पूजा करने जाया करती थी तब लखना में एक यह मंदिर था और दूसरा नहर की ओर जाने पर तिराहा स्थित पुरानी माता का मंदिर है । इस मंदिर में पूजा करने वाले हर उस व्यक्ति की इच्छा पूर्ति होती है जो सच्चे मन से माता से प्रार्थना करता है। 

पुराने लोग बताते हैं की महारानी किशोरी बाई के  कोई औलाद रही थी और इसी मंदिर में आकर उन्होंने माता से पुत्र की याचना की थी जो माता ने पूरी की थी।

 आज स्थानीय कस्बे की जागरूक जनता , कुछ धर्म परायण लोगों ने इस मंदिर की कायाकल्प कर दी।

आज यह मंदिर काफी भव्य रुप में दिखाई दे रहा है।इस मंदिर में प्रत्येक नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है तथा नवमी के दिन हवन एवं प्रसाद वितरण का कार्यक्रम किया जाता है।

इस कार्य के लिए आचार्य पंडित उमाशंकर दुबे जी विगत 10 बर्षो से निरंतर कुंवार एवं चैत्र की नवरात्रि में पाठ करते हैं तथा वर्ष के शेष दिनों में पुजारी हाकिम सिंह प्रतिदिन सुबह-शाम आरती एवं भोग लगाते हैं ।

इस मंदिर में प्रमुख रूप से जो धर्म परायण जनता सम्मिलित है उनमें मुकेश कुमार जैन लोहिया जगदीप सिंह भदोरिया ,अरविंद पोरवाल ,मनोज पांडे ,हरिओम पोरवाल, सरनाम सिंह कुशवाहा एडवोकेट स्वामी शरण श्रीवास्तव प्रमोद कुमार कुशवाहा एडवोकेट किशोर पोरवाल डॉ आनंद जैन अरुण माहेश्वरी साहित्य लगभग  सौ लोग प्रमुख रूप से शामिल है। यह मंदिर कालका मंदिर के पहले जिला सहकारी बैंक के सामने बिहारी मोहल्ला में स्थित है। नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर पर भक्तों का तांता लगा रहता है जो माता के दरबार में उपस्थित होकर अपनी समस्याएं रखती हैं और माता उनका यथाशक्ति भाव देखकर उसका निराकरण करती हैं ।तमाम श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्होंने मां से जो याचना की थी उनकी मनोकामना पूर्ण हुई। इसलिए वह प्रत्येक नवरात्रि में आवश्यक रूप से इस मंदिर में पूजा अर्चना करने आते है।


रिपोर्ट - राजेश प्रजापति इटावा।