बुद्ध पूर्णिमा का क्‍या है चाँद से संबंध, वैज्ञानिक तौर पर भी जानें : संकलन "गौसेवक" खोजी बाबा।




   अभी हिंदू कैलेंडर का वैशाख महीना चल रहा है। इस वर्ष 26 मई को पूर्णिमा है, जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था।


  पूरे एशिया में धार्मिक रूप से तो ये दिन अहम है ही, विज्ञान के नजरिए से देखें तो भी आज का दिन बेहद अहम है। आज के दिन चांद धरती के सबसे करीब आ जाता है, जिसकी वजह से वह आम दिनों की तुलना में कुछ बड़ा दिखता है। इसे पेरिजी कहते हैं।


वह दिन और समय जब चांद और धरती एक-दूसरे के सबसे करीब होते हैं तो इस स्थिति को पेरिजी (perigee) कहा जाता है। इसी दिन सुपरमून दिखाई देता है, जिसे सुपर फ्लावर मून भी कहते हैं।


अधिक चमकीला दिखेगा चांद।

चांद पृथ्वी के बेहद करीब होता है इसलिए और दिनों की तुलना चांद करीब 16 फीसदी अधिक चमकीला दिखता है। इस दौरान धरती और चांद के बीच की दूरी 3,56,500 किलोमीटर हो जाती है।


इस साल बुद्ध पूर्णिमा कई शुभ संयोगों में मनाई जाएगी। इस साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन शिव और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। शिव योग 26 मई की रात 10 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।


*बुद्ध पूर्णिमा 25 मई दिन मंगलवार को रात 08 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 26 मई दिन बुधवार को शाम 04 बजकर 43 मिनट तक रहेगी।*


*बुद्ध पूर्णिमा के दिन कैसे करें पूजा?*


1. सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई करें।


2. अब सादे पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।


3. घर के मंदिर में भगवान विष्णु का दीपक जलाएं।


4. घर के मुख्य द्वार पर रोली, हल्दी या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और गंगाजल का छिड़काव करें।


5. बोधिवृक्ष के सामने दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध अर्पित करें।


6. गरीबों को भोजन व वस्त्र आदि दान करें।


7. शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें।


8. सत्यनारायण भगवान की पूजा करे़


                   *- "गौसेवक" पं. मदन मोहन रावत*

                                           *"खोजी बाबा"*

                                           *9897315266*