बेरोजगारी सहित कई क्षेत्रों को आक्सीजन की जरूरत

 


प्रेम शर्मा ,लखनऊ।

पिछले तीन सालों में बेरोजगारी घिसट चाल ने कोेरोना संक्रमण के पहले झटके के बाद दूसरी लहर में बेरोजगारी को पटरी से उतरकर उस स्थिति में पहुचा दिया है कि इसे सम्हालने के लिए ठीक उसी तरह का प्रयास करना होगा जैसे जान बचाने के लिए आक्सीजन सप्लाई का किया गया। यही स्थिति उद्योग जगत की है। पटरी से उतरे उद्योग जगत को लगभग चलायामान रखने के लिए उसे आक्सीजन की जरूरत है। सरकार जिस तरह से कोविड 19 शिकार हुए जनजीवन को बचाने के लिए कई मोर्च में काम कर रही है उसे अब बेरोजगारी और उद्योग जगत के लिए भी कोई न कोई फार्मूला तय करना होगा। वैसे भी कोरोना काल राज्यों द्वारा पिछले वर्ष के लाॅकडाउन और इस वर्ष के कोरोना कप्र्यू के कारण कारोबारी गतिविधियाॅ ठहर सी गई है। देश में बेराजगारी चरम पर पहुंच चुकी है। कोरोना की दूसरी लहर से भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत सुधार पर ब्रेक लग गया है। इसके चलते एक बार फिर से देश में बेरोजगारी बढ़ी है। वहीं, बाजार में सामानों की मांग घटने से उद्योग जगत ने फैक्टरियों में उत्पादन कम कर दिया है।

देश में चल रही कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर के कारण अप्रैल में बेरोजगारी दर करीब 8 फीसदी पहुंच गई जो चार महीने में सबसे अधिक है। आगे भी इसमें सुधार की गुंजाइश नहीं दिख रही है क्योंकि कोरोना मामलों में आई रेकॉर्ड तेजी को रोकने के लिए कई राज्य सरकारों ने स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगा रखा है और उसकी अवधि को और आगे बढ़ा रही हैं।कोरोना सिर्फ लोगों को बीमार नहीं कर रहा बल्कि इसकी चपेट में अर्थव्यवस्था भी आ गई है. संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लगभग सभी राज्यों में फिर से लॉकडाउन या आंशिक तालाबंदी कर दी गई है. काम-धंधे बंद होने लगे तो कामगार फिर से गांव लौटने लगे हैं. बड़े उद्योगों में कामगारों की कमी हो गई है तो दैनिक मजदूरी करके कमाने-खाने वाले लोगों को काम ही नहीं मिल रहा है।

प्राइवेट रिसर्च फर्म सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी के अनुसार अप्रैल में 70 लाख से अधिक लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी और देश में बेरोजगारी की दर बढ़कर 7.97 फीसदी हो गई है। मार्च में यह 6.5 फीसदी थी। मैनेजिंग डायरेक्टर महेश व्यास ने कहा कि नौकरियों में गिरावट आई है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए राज्य सरकारें रोज नए प्रतिबंधों की घोषणाएं कर रही हैं। इससे अर्थव्यवस्था का पहिया रुकना स्वभाविक है। देश के अधिकांश राज्य कोरोना की दूसरी लहर के बुरी तरह चपेट में हैं। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू लगाया गया है। इसके चलते अधिकांश बाजार, मॉल, शॉपिंग कम्पलेक्स आदि बंद हैं। बाजार बंद होने संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की जरूरत कम हुई है। इससे बेरोजगारी बढ़ रही है। महंगाई के बढ़ने के भी पूरे संकेत मिल रहे हैं और मजदूर बड़े शहरों से पलायन कर रहे हैं।यही नही कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए कंपनियों ने व्हाइट कॉलर जॉब (ऑफिस और मैनेजमेंट वाली नौकरियां) की हायरिंग रोक दी है। इसके चलते मई में ऑफिस जॉब की हायरिंग में 10 से 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, 31 प्रतिशत की गिरावट अप्रैल महीने में आई थी। कोरोना की दूसरी लहर के बाद अधिकांश वाहन कंपनियों के डीलरों ने अपने शोरूम बंद कर दिए हैं। 

एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल 26,500 शोरूम में से 20,000 लॉकडाउन के कारण अभी बंद हैं। इससे वाहन कंपनियों और डीलरों को 20 से 25 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है। वहीं, मई महीने में गाड़ियों की बिक्री 70 से 80 फीसदी तक गिरने का अनुमान है। वहीं, कोरोना संकट के बाद करीब आठ वाहन कंपनियों ने अपने प्लांट बंद कर दिए हैं। इससे उद्योग जगत के अनुमान के अनुसार मई में ऑटो इंडस्ट्री का प्रोडक्शन 9 महीने के निचले लेवल पर जा सकता है।कोरोना की दूसरी लहर के बाद हवाई यात्रियों की संख्या में बड़ी गिरावट एकदम से आई है। अब तक हवाई यात्रियों की संख्या में करीब 40 फीसदी की गिरावट आ गई है।  विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने अपने कर्मचारियों के अप्रैल महीने के वेतन में 50 फीसदी की कटौती तो इंडिगो ने क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट से 3,000 करोड़ रुपये जुटाने का फैसला किया है। कोरोना की दूसरी लहर ने रोजगार बाजार पर बहुत ही बुरा असर डाला है। इसके चलते 9 मई को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी दर 8.67 प्रतिश पर पहुंच गई जो बढ़ती ही जा रही है। शहरी बेरोजगारी में 164 फीसदी की चिंताजनक वृद्धि दर्ज की गई है। बीते दो महीने में बेरोजगारी दर में तेजी से इजाफा हुआ है। अब उद्योग जगत पर नजर डाले तो स्थिति नाजूक नजर आती है।कोरोना की दूसरी लहर और मजदूरों के पलायन से मैन्युफैक्चिरंग सेक्टर पर काफी बुरा असर पड़ा है। सबसे ज्यादा बुरा असर स्टील, स्पंज आयरन और रोलिंग मिल फैक्ट्रियां पर हुआ है।

कोरोना संक्रमण में कमी का इंतजार किए बिना सरकार ने तिमाही जॉब सर्वे ऑनलाइन करने का फैसला किया है। यह फैसला तब आया है जब केंद्र सरकार ने कोरोना के मामले को देखते हुए चार महत्वपूर्ण सर्वे को रोक दिया है। चीफ लेबर कमिश्नर नेगी ने कहा कि हमने ऑनलाइन डाटा इक्ट्ठा करने का फैसला किया है। इसके लिए सर्वे करने वाले लोग फैक्ट्री या कार्यालय का दौरा नहीं करेंगे।कंपनियों ने अच्छे बिजनेस स्कूल (आईआईएम) से निकले हुए छात्रों को जॉब ऑफर को वापस नहीं लेने का फैसला किया है। कंपनियों का कहना है कि उन्होंने जिन छात्रों को इस साल ऑफर दिया है उन्हें ज्वाइन कराएंगे। फिलहाल रोजगार के मामले में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति भी तेजी से बिगड़ रही है, ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना फैलने और मनरेगा के काम लगभग ठप्प तथा प्रवासी मजदूरों के लौटने से एक बड़ा संक्रट ग्रामीण क्षेत्रों में खड़ा हो रहा है। पिछले कोरोना काल की बाॅत करे या फिर वर्तमान स्थिति में सबसे ज्यादा भयावह स्थिति के बीच माध्यम वर्गीय परिवार है जिसकी सुध न सरकार लेती है, न समाज लेता है न ही उनके मालिकों को उनकी सुध है। ऐसी स्थिति में बेरोजगार हुए माध्यम वर्ग के सामने केवल ईश्वर ही एक सहारा नजर आ रहा है। बहरहाल जिस तरह से देश में बेरोजगारी का ग्राफ बढ़ रहा है। उद्योग धंधे सुस्त हो चले है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच सूक्ष्म, लघु और मध्यम दर्जे के उद्योगों को आत्मनिर्भर पैकेज से काफी उम्मीदें थीं। लेकिन सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं। इस कैटेगरी में आने वाली एक तिहाई इकाइयां बंद होने की कगार पर आ गईं हैं। ऐसे में सरकार को बेरोजगारी और उद्योग जगत के लिए बड़े आक्सीजन पैकेज की व्यवस्था करनी होगी।