बेटियों की शिक्षा से ही निकलेगा उनकी आत्मनिर्भरता का रास्ता
हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो
आगरा। सामाजिक संस्था सेवा आगरा और महाकाली धर्मार्थ ट्रस्ट ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए किसी भी बोर्ड से इंटरमीडिएट की परीक्षा उच्च अंकों से उत्तीर्ण करने वाली आगरा मंडल की 500 बेटियों को बल्केश्वर स्थित संत राम कृष्ण कन्या महाविद्यालय सभागार में महामेधा सम्मान प्रदान कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
समारोह अध्यक्ष महापौर श्रीमती हेमलता दिवाकर,मुख्य अतिथि भाजपा महानगर अध्यक्ष राजकुमार गुप्ता,सेवा आगरा के संस्थापक अध्यक्ष समाज सेवी पार्षद मुरारी लाल गोयल पेंट वाले, संस्थापक श्रीमती सुमन गोयल,महाकाली धर्मार्थ ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी मनमोहन चावला, श्रीमती आशा चावला,ट्रस्टी रविकांत चावला,अनु चावला,प्राचार्य श्रीमती मोहनी तिवारी,हरिओम गोयल और वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नंदन गुप्त ने श्रंखलाबद्ध तरीके से एक एक बेटी को प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर समारोह अध्यक्ष महापौर श्रीमती हेमलता दिवाकर ने कहा कि भाजपा सरकार बेटियों की शिक्षा के लिए कई हितकारी योजनाएं संचालित कर रही है। बेटियों की शिक्षा से उनकी आत्म निर्भरता का मार्ग निकलेगा। उन्होंने बेटियों को समझाया कि अच्छी संगत रखिए। फास्ट फूड से दूर रहिए। प्यार करना है तो अपने लक्ष्य से करें, अपने माता-पिता,गुरुजनों और देश से करें।
मुख्य अतिथि भाजपा महानगर अध्यक्ष राजकुमार गुप्ता ने मेधावी बेटियों के सम्मान की पहल को सराहते हुए कहा कि इस सम्मान से इन बेटियों को नई ऊर्जा और आगे बढ़ने व अपने सपनों को साकार करने की प्रेरणा मिलेगी।ये मेधावी बेटियाँ ही आगे चलकर सशक्त और समृद्ध भारत का नवनिर्माण करेंगी। आयोजक समाजसेवी पार्षद मुरारी लाल गोयल पेंट वालों और मनमोहन चावला ने स्पष्ट किया कि महामेधा सम्मान का उद्देश्य बेटियों का मनोबल बढ़ाना है ताकि वे सम्मान पाकर और मेहनत में जुट जाएँ। उनका मार्ग प्रशस्त हो और उनको यह संदेश मिले कि उनका घर-परिवार ही नहीं, समाज भी उनके साथ खड़ा है।
समारोह का संचालन साधना गुप्ता ने किया। रविकांत चावला ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान कुमकुम उपाध्याय, मयंक खंडेलवाल,विश्वनाथ भारद्वाज,डॉ.योजना मिश्रा, निरोज यादव, डॉ. महेश फौजदार, नंदी महाजन, गुरुदास लालवानी, डॉ.रमेश खनेजा, इन्दर डाबर,राज बहादुर चाहर और सुधीर आर्य भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।