हिन्दुस्तान वार्ता, नोयडा।
कक्षा आठवी सें बारहवी के छात्रों सहित अभिभावकों, शिक्षकों के लिया हिस्सा
कोरोनाकाल के अनिश्चित समय में विद्यालयी छात्रों को अपनी आंतरिक शक्ती और क्षमता को मजबूत करने और जीवन मे ंआने वाली चुनौतियों और अवसरों का सामना करने की क्षमता को बढ़ाने सहित अभिभावकों, शिक्षकों, मार्गदर्शकों को अपने छात्रों को बेहतर समर्थन करने में मदद करने के उददेश्य से एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा ‘‘प्रसन्नता और आंतरिक क्षमता विकास पर कक्षा 8 से 12 वी के छात्रों हेतु चार दिवसीय कल्याण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कल्याण कार्यशाला का शुभारंभ एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला द्वारा किया गया। इस कार्यशाला के प्रथम दिन आज ‘‘प्रसन्नता के लिए आत्म जागरूकता के साथ बढ़ना’’ विषय पर सत्र का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों एमिटी सेंटर फाॅर गाइडेंस एंड काउसलिंग की प्रमुख डा हरमिंदर गुजराल, एमिटी सेंटर आॅफ बिहेवियरल सांइसेस की प्रमुख डा तरनजीत दुग्गल और एमिटी बिजनेस स्कूल की एसोसिएट प्रोफेसर डा जयदीप कौर ने जानकारी प्रदान की। इस कार्यशाला में हजारो ंकी संख्या में छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और कंाउसलरों ने हिस्सा लिया।
कार्यशाला का शुभारंभ एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला करते हुए कहा कि वर्तमान में हम महामारी के चुनौतीपूर्ण समय में है जिसने जीवन के सभी परिपेक्ष्यों जिसमें उद्योग, विद्यालय, शिक्षा आदि को प्रभावित किया है। इस कठिन समय ने तनाव और चिंता को जन्म दिया है, छात्रों के इसी तनाव और ंिचंता को दूर करने के लिए एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा पहल करते हुए इस चार दिवसीय कार्यशाला ( 29 और 30 मई एवं 05 और 06 जून ) का आयोजन किया है। डा शुक्ला ने कहा कि इस कार्यशाला का उददेश्य आप लचीलता को किस प्रकार विकसित करें और अपनी क्षमता का विकास करें और चुनौतीयों का सामना करते हुए अपने समुदाय, परिवार, शिक्षकों के साथ मजबूत संबंध बनाये आदि की जानकारी प्रदान करना है। उन्होनें छात्रो ंको सलाह देते हुए कहा कि स्वंय के रोल माॅडल बनिए, सपने देखें और पूरा करने की कोशिश करें। अपने संचार कौशल, पारस्परिक कौशल को विकसित करें। स्वंय पर विश्वास रखें, अपनी रणनीती बनायें। अच्छी पुस्तकों, मित्रों और विचारों के साथ रहें, जीवन में अवश्य सफल होगें।
प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए एमिटी सेंटर फाॅर गाइडेंस एंड काउसलिंग की प्रमुख डा हरमिंदर गुजराल ने ‘‘ स्वंय तक की आंतरिक यात्रा और प्रसन्न रहना’’ विषय पर कहा कि हम बाहरी विश्व की हर चीज पर नियंत्रण नही रख सकते है किंतु कुछ पर हम नियंत्रण कर सकते है। लोगों के पास वह सब है जो उन्हे बदलने की जरूरत है। उन्होेने स्वंय की अवधारणा को बताते हुए कहा कि आपको स्पष्ट होना चाहिए कि मै कौन हूं। स्वंय का निर्माण तीन विभिन्न घटकों से होता है प्रथम आत्म छवि, द्वितीय आत्म सम्मान और तृतीय आत्म आर्दश है। डा गुजराल ने कहा कि आत्म जागरूकता एक उर्जा निर्माण केंद्र है जो व्यक्ति के पूर्ण विकास में सहायक होता है। सफलता हासिल करने के लिए आत्म विश्वास, आत्म प्रोत्साहन, सकरात्मक रवैया, पहल करना, सार्थक संबंध, प्रभाव बनाना और विश्वास प्रणाली प्रमुख तत्व है। हमारे अदंर दो व्यक्ति होते है प्रथम वास्तविक मैं जो हमारे अदंर रहता है और द्वितीय भूमिका मै जो हम घर, विद्यालय या कार्यालय में होते है। एक सफलता पूर्वक जीवन इस बात पर निर्भर करता है कि आप स्वंय के बारे में क्या विचार करते है और आपके अदंर क्या प्रतिभा है। स्वंय की अवधारणा विकसित करने के महत्वपूर्ण चरण - मै कौन हूं, मैं कहां से आया हूं, मैं कहा जाना चाहता हंू, मुझे कौन रोक रहा है, बाधाये क्या है, कौन से विकल्प उपलब्ध है। जागरूकता, स्वीकृति और प्राप्ति के उपरांत आत्म आदर्श विकसित होता है। आत्म जागरूकता, आत्म सात और उच्च सम्मान आपको जीवन मे ंसफल बनाते है।
एमिटी सेंटर आॅफ बिहेवियरल सांइसेस की प्रमुख डा तरनजीत दुग्गल ने ‘‘व्यक्तिगत प्रभावशीलता’’ पर जानकारी देते हुए कहा कि व्यक्तिगत प्रभावशीलता का अर्थ हमारे निपटान में सभी व्यक्तिगत संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना जैसे हमारी व्यक्तिगत प्रतिभा, उर्जा और समय का। व्यक्तिगत प्रभावशीलता सफलता का निर्माण करती है। उन्होनें प्रभावशीलता के सिद्धांतो को बताते हुए कहा कि जिम्मेदारी उठाये, सफलता की व्याख्या करें, प्रणाली विकसित करें जिसपर विश्वास करते है, हितधारकों की भर्ती करें, दिनचर्या और कार्य सुनिश्चित करें, मीटींग और बातचीत का संचालन करें और दबाव के दौरान भी ट्रैक ना छोड़े। महामारी ने उपरोक्त सभी को रोक दिया है। डा दुग्गल ने कहा कि स्वंय का अर्थ है आप जिस तरह विचार करते है, महसूस करते है और कार्य करते है। आत्मजागरूकता, आत्म विकास और व्यक्तिगत विकास की नींव है। स्वंय प्रकटीकरण, प्रतिक्रिया के लिए खुलापन और सहज ज्ञान, प्रभावशीलता के तीन मुख्य आयाम है। अन्य लोगों को जानना बुद्धिमता है, स्वंय को जानना सच्चा ज्ञान है। सफलता, प्रसन्नता की कंुजी नही है बल्कि प्रसन्नता, सफलता की कंुजी है।
एमिटी बिजनेस स्कूल की एसोसिएट प्रोफेसर डा जयदीप कौर ने ‘‘ अनिश्चितता का सामना करने में लचीलता का विकास’’ पर संबोधित करते हुए कहा लचीलता को समझने का यह बिलकूल सही समय है। जीवन में कई बार अनिश्चितता अचानक आ जाती है और जीवन के उतार चढ़ाव से निपटने में लचीलता सहायक होती है। डा कौर ने कहा कि जैसे जैसे जीवन आगे बढ़ता है उसी तरह चुनौतीयां बदलती जाती है। लचीलता एक प्रक्रिया है जिसे आत्मसात करके व्यक्ति तनाव के समय में तनाव मुक्त हो सकते है। उन्होनें लचीलता के महत्व को बताते हुए कहा कि लचीलता हमारे मानसिक स्वास्थय को विकसित करती है और जीवन की बाधाओं को पार करने में सहायता करती है, तनाव से उत्पन्न होने वाले रोगों को कम करती है और लचीले व्यक्ति अपने शिक्षण और अकादमिक उत्कृष्टता को विकसित करते है। उन्होने छात्रों के लचीलेपन के गुण विकसित करने के लिए प्रश्नावली प्रदान की जिसके जवाब को अंको में लिखकर उसे जोड़ना था और अपने स्तर को जानना था। डा कौर ने कहा कि आपसी संबधों को विकसित करके, आत्म खोज, परिवर्तन को अपना कर, वस्तुओं को परिपेक्ष्य में रखकर, निर्णायक कार्रवाई करके, अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ कर, आत्म आदर्श को विकसित करके, आशावान और सकरात्मक रहकर, स्वंय की देखभाल करके आदि से आप लचीलता विकसित कर सकते है। उन्होनें अभिभावकों को भी छात्रों के अदंर लचीलेपन के गुण को विकसित करने के चरणों को बताया।
इस अवसर पर प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों ने कई प्रश्न किये जिनके समुचित जवाब प्रदान किये गये। विदित हो कि इस चार दिवसीय कार्यशाला के अंर्तगत द्वितीय सत्र का आयोजन कल 30 मई को और तृतीय सत्र का आयोजन 05 जून और चतुर्थ सत्र का आयोजन 06 जून को किया जायेगा।
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