एमिटी में स्थायी पर्यावरण और संरक्षण रणनीति में आधुनिक प्रगति विषय पर शिक्षक विकास कार्यक्रम का आयोजन

 प्रेस विज्ञप्ति

मई 19, 2021





हिन्दुस्तान वार्ता, नोयडा।

एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी एकेडमिक स्टाफ काॅलेज और एमिटी विश्वविद्यालय के नेचुरल रिर्सोस एंड एनवांयरमेंटल सांइस डोमेन द्वारा मई 17 से मई 21 तक ‘‘ स्थायी पर्यावरण और संरक्षण रणनीति  में आधुनिक प्रगति’’ विषय पर पांच दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। आज इस कार्यक्रम के तृतीय दिन एमिटी स्कूल आॅफ नैचुरल रिर्सोस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह, जयपुर के ेसुरेश ज्ञान विहार विश्वविद्यालय के सेंटर फाॅर क्लाइमेंट चेंज ंदक वाटर रिसर्च के एस्सीटेंट प्रोफेसर डा वी एन मिश्रा, इंडो ग्लोबल सोशियल सर्विस सोसाइटी के कैंपेन एंड एडवोकेसी मैनेजर सुश्री इंदु कुमारी ने अपने विचार व्यक्त किये।


एमिटी स्कूल आॅफ नैचुरल रिर्सोस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह ने ‘‘वन और लोग ’’ पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत एक सघन आबादी वाला देश है। हम विश्व के विविध परिदृश्य युक्त 17 वें मेगा विविध राष्ट्र है। विविध प्रकार की जलवायु, एडैफिक और स्थलाकृतिक स्थिति के साथ बृहद पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध है। वन क्षेत्र के अनुरूप भारत, विश्व में दसवें स्थान पर है। भारत, पैलियो आर्कटिंक क्षेत्र और माल्यान क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। डा सिंह ने कहा कि भारत के जैवविविधता हाॅट स्पाॅट जैसे सुदंरवन, इंडो वर्मा इस्र्टन हिमालय, हिमालय क्षेत्र, वेस्टर्न घाट की प्रमुखता के बारे में जानकारी देते हुए वन नीति जैसे 1894 में लागू प्रथम वन, 1952 में लागू वन नीति सहित संरक्षण एवं लोगों के सहयोग की प्रमुखता को बताया। डा सिंह ने वन अधिकार अधिनियम 2006 के टाइटल अधिकार, उपयोग अधिकार, राहत और विकास अधिकार और वन प्रबंधन अधिकार के बारे में जानकारी प्रदान की।


जयपुर के ेसुरेश ज्ञान विहार विश्वविद्यालय के सेंटर फाॅर क्लाइमेंट चेंज ंदक वाटर रिसर्च के एस्सीटेंट प्रोफेसर डा वी एन मिश्रा नेे ‘‘स्थायी शहरी योजना’’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि 1960 में वैश्विक शहरी जनसंख्या 34 प्रतिशत थी, जो 2014 में 54 प्रतिशत हो गई और स्न 2050 में यह प्रतिशत 66 तक होने की संभावना है। उन्होनें कहा कि बढ़ती जनसंख्या, वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकास और बढ़ते शहरीकरण दर के शहरीकरण का मुख्य कारण है। उन्होनें शहरी फैलाव बनाम शहरी विकास के संर्दभ में बताते हुए कहा कि शहरी फैलाव, शहरी विकास का एक भाग है, फैलाव, विकास पर आधारित होता है। शहरी फैलाव अधिक जटिल होता है क्योकी यह शहरी विकास की तरह योग्यता आधारित नही होता। डा मिश्रा ने कहा कि शहरी फैलाव से पर्यावरण क्षरण, शहरी क्षरण और सामाजिक क्षरण का नकारात्मक प्रभाव होता है। उन्होने कहा कि स्थायी हैबिटेट योजना हेतु विभिन्न प्रकार की उपयोगी भूमि की जानकारी होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त उन्होनें पृथ्वी निरिक्षण तकनीकी के लाभ, भूमि उपयोग और भूमि आवरण के प्रभावी कारको, भूमि परिवर्तीत माॅडल आदि के बारे मे जानकारी प्रदान की।


इंडो ग्लोबल सोशियल सर्विस सोसाइटी के कैंपेन एंड एडवोकेसी मैनेजर सुश्री इंदु कुमारी ने ‘‘पांरपरिक हस्तशिल्प और हथकरघा आजीविका के माध्यम से संरक्षण के लिए सामुदायिक भागीदारी बनाना’’ पर विचार व्यक्त करते हुए आसाम के मानस टाइगर रिर्जव के पास वन पर निर्भर बोडा कम्यूनिटी को प्रशिक्षण और सहयोग करके महिलाओ ंको वैकल्पिक जीविका को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया गया। उन्होने कहा कि आज इस पहल के जरीए लगभग 100 महिलायें हैडलूम के जरीए अच्छी आय प्राप्त कर रही है। सुश्री कुमारी ने बिहार के वाल्मीकी टाइगर रिजर्व और कश्मीर वैली के पांरपरिक समुदाय जो संरक्षित तिब्बती मृग के उन से शाॅल तैयार करते थे, तिब्बती मृग को संरक्षित करते हुए उन्हे पश्मिना शाॅल बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।


इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के शिक्षकगण और अधिकारीगण उपस्थित थे।

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