निगम प्रशासन परिस्थिति देखकर दण्डात्मक कार्रवाई वापस लें योद्धा कहलाने वालों की मांगों के निरस्तारण और वैक्सीन की जरूरत: आनंद वर्मा

 


प्रेम शर्मा,लखनऊ। 

नगर आयुक्त द्वारा दौरे के दौरान दर्जन भर से अधिक कार्मिको और अधिकारियों के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई का लखनऊ नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष आनंद वर्मा ने विरोध किया है। उनका कहना है कि जिन कर्मचारियों को योद्धा का दर्जा दिया गया जो विपरीत परिस्थित में जनता की सेवा कर रहे है। अगर कोई अस्वस्थ्य है, बुखार जैसी स्थिति में कही ध्यान नही दे पाया उसके खिलाफ एकाएक दण्डात्मक कार्रवाई ठीक नही नगर निगम प्रशासन तत्काल इस तरह की दण्डात्मक कार्रवाई को वापस लें। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी सेवाए प्रदान कर रहे कर्मचारियों,कोराना योद्धाओं को महामारी की रोकथाम लिए उपकरण उपलब्ध कराये और तत्काल कैम्प लगाकर वैक्सीन की सुविधा एवं समस्त लम्बित देयकों का भुगतान प्रदान किये जाए।

नगर निगम कर्मचारी संघ लखनऊ के अध्यक्ष आनंद वर्मा द्वारा नगर आयुक्त को लिखे पत्र में कहा गया कि निगम के कर्मचारी, अधिकारी कोरोना महामारी में लखनऊ वासियों को अपनी सेवाए एक वर्ष से निरन्तर प्रदान करते आ रहे है, जिस कारण भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार एवं लखनऊ वासियों द्वारा कर्मचारियों की सेवाए से प्रेरित होकर उनका सम्मान भी किया गया गया है। ऐसी स्थिति में कोरोना योद्धाओं का स्पष्टीकरण एवं वेतन रोकने की कार्यवाही किया जाना उचित प्रतीत नही होती है और न ही मानवीय दृष्टिकोण से न्यायसंगत है, जिस कारण कोरोना योद्धाओं में आक्रोश व्याप्त होना स्वाभाविक है, जिसके निदान की नितान्त आवश्यकता है। यही नही  नगर निगम लखनऊ के अधिकांश कोरोना योद्धाओं को अभी तक कोरोना की प्रथम वैक्सीन की भी सुविधा प्राप्त नही हो सकी है और न ही कोरोना महामारी के रोकथाम हेतु उचित उपकरण उपलब्ध कराये जा रहे है। जिस कारण कई कर्मचारियों की मौत भी हो गई है। गत वर्ष में कोरोना महामारी के दौरान हुई कर्मचारियों,कोरोना योद्धाओं की मौत उपरान्त मृतक के आश्रितों को भी बीमा का लाभ आज तक नही प्राप्त कराया गया। ऐसी स्थिति में कर्मचारियों,अधिकारियों में भय व्याप्त होना स्वाभाविक है। राज्य वित आयोग एवं गृहकर कर मद में अपेक्षानुसार धनराशि प्राप्त होने पर आप द्वारा मंच के प्रतिनिधियों को दिए गए आश्वासन उपरान्त भी न तो कार्यरत कर्मचारियों की सम्पूर्ण सातवें वेतन के अन्तर की धनराशि और न ही सेवानिवृत्त  कर्मचारियों को सातवें वेतनमान एवं ग्रेज्युटी का भुगतान भी सम्बन्धित द्वारा नही प्रदान किया गया। जो अत्यन्त ही खेद का विषय है।