भूगर्भ जल को बाँचना है तो करे यह काम। विश्व भूगर्भ जल दिवस "10 मई " पर विशेष।

 

हिन्दुस्तान वार्ता।

जल का मुख्य या कहे बड़ा स्रोत भूगर्भ जल ही है, मगर औधोगीकरण, प्रदूषण ,जंगल व पेड़ का काटना ,और इनके दुरुपयोग के प्रति असंवेदनशीलता से पूरे  विश्व को एक बडे जल संकट की ओर ले जा रही है। विश्व  में दूसरा विश्व युद्ध जल के लिए होगा सब को इस बात का अहसास हो रहा है| फिर भी हम अपने संसाधनों के प्रति हमारी लापरवाही बरत है| अपनी मूलभूत आवश्यकता को बाजारवाद (पैकेट और बोतल बन्द पानी जिसमें पानी की बर्बादी )के हवाले कर देने की राह पानी की कमी और मुश्किल कर रही है।आज भूगर्भ के जल के संरक्षण के उतर प्रदेश मे 10 जून भूगर्भ के रूप में मनाया जाता है |

भारत एक धार्मिक आध्यात्मिक बौद्धिक सांस्कृतिक और समाजवाद की विचारधारा वाला देश है इसके पूर्वजों की दूरदर्शिता से समाजिक संरचना में ऐसी व्यवस्था की थी जिससे हर प्राणी व प्राकृतिक द्वारा प्रदत सभी चीजों का आदर्श उपयोग ,सम्मान ,स्वच्छता व संरक्षण किया जाता रहा है |पारिवारिक मंगल कामों में कुआं पूजन ,धार्मिक अनुष्ठान के पुण्य की प्राप्ति के लिए तालाबों को ,पोखर को ,नदियों को ना केवल पूजा जाता है बल्कि उसमें स्नान करके अपने पापों को भी धोया जाता है ,दुर्गा व गणेश की मूर्ति विसर्जन यह सब इस प्रकार की आयोजन थे।यह सब व्यवस्था हमारे पूर्वजों की एक सोच थी जिसने जल संरक्षण को बढ़ावा देना था |

धरतीपुत्र कहे जाने वाले समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव इस समस्या को समझते हुए सन् 2005 सत्ता में रहते जल संरक्षण व उसके अतिरिक्त दोहन के प्रति जागरूक करने के लिये हर साल 10 जून को भूगर्भ जल दिवस मनाने का निर्णय लिया था। माननीय मुलायम सिंह जी के बाद जब सुश्री मायावती जी मुख्यमंत्री बनी तो इस विषय की सार्थकता को मानते हुए उन्होंने इस दिवस को नहीं बदला यह एक बहुत बड़ी बात है जबकि सत्ता परिवर्तन होते ही वर्तमान सरकार पीछे सरकार के निर्णय को अकसर बदल देती|पर्यावरण सन्तुलन की दृष्टि से सूबे के नये मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव ने अपने पिता की इस योजना को प्रदेश सरकार ने साल में एक दिन भूगर्भ जल दिवस मनाने की बजाय अब एक सप्ताह तक इसे मनाये जाने का निर्णय लिया है।सभी पर्यावरण प्रेमियों की तरफ से साधुवाद |पानी के बड़े संकट से बचने के लिये वर्ष में सिर्फ एक दिन या एक सप्ताह जल संरक्षण की बातें भूगर्भ के लिए काफी नहीं है। इसके लिये लगातार प्रयास करने होंगे, तभी सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे।भारत का उत्तर प्रदेश पहला राज्य बना और विश्व का भारत पहला देश बना आज पूरे विश्व में 10 जून को भू गर्भ जल संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा|

जल संकट की विकरालता देखे जल संकट ने न सिर्फ हमारे पास-पड़ोस के सर फुटबाल किए बल्कि, अपने देश के विभिन्न राज्यों के बीच भी विवाद खडे करने शुरु कर ही दिए हैं|

 जल संकट ने कई पड़ोसी देशों को भी एक-दूसरे  के आमने-सामने ला दिया  है। ये परिस्थितियाँ विश्व को निश्चित रुप से उस विचार को हकीकत में परिणत करने की ओर ले जा रही  हैं, जिसमें अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए होने के अनुमान लगाए जाते रहे हैं। 

आगरा कुएँ,तालाबों नहर और नदी के दृष्टिकोण से बहुत ही समृद्ध था इसीलिए मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी आगरा चुनी । आगरा से लगी हुई जोधपुर झाल ,नगला बिहारी और सर्किट हाउस की आगरा वाटर कैनाल जानकारी के हिसाब से अगर इन तीनों को पुनर्जीवित कर दिया जाए साथ ही 3687 तालाबों और इससे अधिक कुएँ को हम खोज निकाले तो आगरा प्रदेश में जल और पर्यावरण के दृष्टिकोण से फिर बहुत ही समशाली मंडल की श्रेणी में आ जाएगा| इस काम के लिए सामाजिक संगठनों के साथ सभी मीडिया संस्थानों व नगर निगम और विकास के विभाग  द्वारा सभी अपने बी डी ओ और तहसीलदार स्तर पर कार्य को ईमानदारी से अंजाम देना होगा| मुझे लगता है कि आगरा में इस वक्त शासन के सभी  नुमाइंदों आगरा मंडल इस वक्त सत्ता पक्ष में है वो सभी लोग अगर अपने स्तर से प्रयास करें तो प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी जो पर्यावरण प्रेमी भी है वे निश्चित रूप से मंडल की मदद करेंगे बिना भ्रष्टाचार के ऐसा हमारा विश्वास है|

हमें अपनी पूर्वजों द्वारा बनाए गए तालाबों की ,कुआं की बावड़ी ,नदी, झरने व अन्य जल स्रोतों का ना केवल उचित रखरखाव करना पड़ेगा बल्कि उनका संरक्षण भी करना पड़ेगा क्योंकि हम लोग अपने स्वार्थ के लिए कुएं,तालाब ,नहर ,नदियां इन सब को पाटकर कंक्रीट के मकान बनाते जा रहे हैं| इसमें कोई दो राय नहीं कि यह एक बड़ा काम है बिना सरकारी मदद के कठिन है लेकिन सरकारी तामझाम के साथ तमाम कागजी कार्यवाही इसे मूर्त रूप नहीं ले पाती है |अतः सामाजिक संगठनों को और समाजिक पर्यावरण प्रेमियों को सरकार के साथ सहयोग करते हुए कम से कम कागजी कार्रवाई के बिना हर शहर के प्रशासन और शासन के साथ मिलकर दबे हुए कुएं , तालाबों और जिन छोटी-छोटी नहरों को पाट दिया है उन सबको पुनर्जीवित करना होगा आप देखिए इनके पुनर्जीवित होते ही हर शहर की आबोहवा पर्यावरण और जल  समस्या से बहुत हद तक छुटकारा मिल जाए |आज भूगर्भ  जल का स्तर में जो जल सूख रहा है उस का स्तर बढ़ाने हेतु हम लोगों को वर्षा के जल को संचयन करने की विधि वाटर हार्वेस्टिंग व्यक्तिगत स्तर पर करनी होगी और सभी सरकारी बिल्डिंग जो कि ज्यादातर अंग्रेजों के जमाने की है उसमें वाटर हार्वेस्टिंग की साठ से सत्तर परसेंट तक की व्यवस्था को हंड्रेड परसेंट में कन्वर्ट करके जल का संचयन करना होगा|सरकार और हर नागरिक को आवश्यकता होने पर ही पानी का उपयोग करे साथ जिस तरह से भूगर्भ से जल का दोहन हो रहा हे उसे रोक ने के लिए आवाज़ उठाये|

गांधी जी - "धरती हरेक की आवश्यकता की पूर्ति करती है, मगर किसी एक के भी लोभ की पूर्ति नहीं कर सकती।" हम इस कथन के भावार्थ को आत्मसात करें, तभी ऐसे दिवसों की सार्थकता है।

राजीव गुप्ता जनस्नेही कलम से 

लोक स्वर आगरा ।

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