शहर_ ए_ लखनऊ: ना जाने कितने राज खुद में समेटे हुए।

 




हि वार्ता।लखनऊ(शाश्वत तिवारी)

उनके किस्सों की मिठास लखनऊ ही नहीं मुल्क के कई सूबों में लोगों के होंठों पर बसती है। उर्दू अदब से जुड़े, लखनऊ की रुहेरवां भाई हिमांशु बाजपेई का आज जन्मदिन है। जिन्होंने 

अवध की आत्मा कहीं जाने वाली गंगा-जमुनी तहजीब और नजाकत- नफासत के बारे में उनके कई किस्से लोगों को अवध की तहजीबी रवायतें याद दिलाती है। इसी बेशकीमती मिट्टी से जन्में हिमांशु भाई देश दुनिया में अवध का परचम लहरा रहे हैं। हिमांशु भाई एक बहुत दिलकश ज़हीन मुस्कुराहट के मालिक भी है। वैसे तो मेरी अभी हिमांशु भाई से मुलाकात नहीं हुई। बस फेसबुक और यूट्यूब के जरिए इन्हें जानता व पहचानता हूं। इनकी बातें सुनता हूं। हिमांशु भाई को लखनऊ ने नाम, काम, सम्मान सब दिया। पर कहते है ना कि पहले आप शहर में रहते है और फिर शहर आपमे रहने लगता है। लखनऊ वैसा ही शहर है जो उनमें कही गहरे तक रचा बसा है। कहते है शहर बस इमारतों पर नही बसते, बल्कि शहर एक जिंदा कहानी होते है, जिसे इतिहास के पन्नो में जब खोजते है तो वह कई सुनी अनसुनी दास्ताँ कहने लगता है। वैसे तो लखनऊ को नवाब और कवाब के शहर के रूप में ही लोग अधिक जानते है, पर तहजीब और अदब का यह शहर न जाने कितने खूबसूरत राज खुद में समेटे हुए है। जिससे रूबरू करने की कवायद हिमांशु भाई ने शुरू की।