एमिटी विश्वविद्यालय में छात्रों को कोविड महामारी से निपटने में अच्छे सहायक कैसे बने की दी जानकारी

 


हिन्दुस्तान वार्ता, नोएडा।अनिल दूबे।

एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी बिजनेस स्कूल और भारत सरकार के मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के महात्मा गांधी नेशनल कांउसिल आॅफ रूरल एजुकेशन के सहयोग से छात्रों को कोविड महामारी से निपटने के दौरान एक अच्छे सहायक में क्या मनोवैज्ञानिक और समाजिक कौशल होने चाहिए इसकी जानकारी प्रदान करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में महात्मा गांधी नेशनल कांउसिल आॅफ रूरल एजुकेशन की प्रशिक्षिका सुश्री कृतिका ने ‘‘ महामारी से निपटना - एक अच्छे सहायक का मनोवैज्ञानिक समाजिक कौशल’’ विषय पर जानकारी प्रदान की। इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में एमिटी बिजनेस स्कूल के शिक्षक और छात्र उपस्थित थे।


कार्यशाला में महात्मा गांधी नेशनल कांउसिल आॅफ रूरल एजुकेशन की प्रशिक्षिका सुश्री कृतिका ने ‘‘ महामारी से निपटना - एक अच्छे सहायक का मनोवैज्ञानिक समाजिक कौशल’’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में कोविड महामारी के दौर ने लोगो चाहे कोविड से प्रभावित हो या ना हो ंके अदंर विभिन्न प्रश्नों और शंकाओ ंको उत्पन्न किया है और उनके किसी की सहायता की आवश्यकता है। ऐसे समय में शिक्षण संस्थान और छात्र एक अच्छे सहायक के रूप में लोगों की सहायता कर सकते है। उन्होनें कहा कि इस कार्यशाला का उददेश्स एक अच्छे सहायक की भूमिका और उसके मनोवैज्ञानिक - समाजिक कौशल की जानकारी प्रदान करके सभी को अच्छा सहायक बनने के लिए प्रोत्साहित करना है। सुश्री कृतिका ने कहा कि हर व्यक्ति की स्वंय की सीमा, क्षमता और मजबूती होती है। मानव सदैव कई भावनाओं से भरा होता है और आपको लोगों को मानसिक सबल प्रदान करना चाहिए। एक अच्छे सहायक के गुणों को बताते हुए कहा कि उसमें समानुभूती का भाव होता है वह केवल समस्या को सुन कर दुख या सहानुभूती प्रकट नही करता। आपके अदंर धैर्य पूर्वक सुनने का गुण भी होना चाहिए, अगर आप सामने वाले व्यक्ति की बात सुनेगें नही तो उसकी सहायता नही कर पायेगें। आपको सदैव सकरात्मकता का भाव रखना चाहिए। सामने वाले व्यक्ती के व्यवहार, भावनाओं, विचारों को पहचाने, विश्वास और सहयोग विकसित करें, प्रोत्साहित करें। उन्हें मन के वैकल्पिक ढांचे के लिए मार्गदर्शन करें, उन्हे सकारात्मक विचार विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करे और आत्मनिर्भर बनाये। अगर कोई परेशानी या चिंतित है तो वह पूरी तरह से तनाव, क्रोध, चिंता से भरा है इसलिए पहले उसकी बातो को पूरी तरह सुनें और उसके बाद सुझाव दे। उनकी समस्या को उनके नजरीए से देखिये और मनोवैज्ञानिक समाजिक मददगार बनें चूकीं आप विशेषज्ञ या चिकित्सक नही है इसलिए उनकी समस्या के निवारण हेतु उन्हे सही व्यक्ति से जोड़े। उन्होने कहा कि मदद करना एक समूह कार्य है, आप टीम बनाकर अधिक प्रभावी ढंग से लोगों की सहायता कर सकते है।

सुश्री कृतिका ने कहा कि कभी भी रोगी के संर्दभ मंें राय ना निर्धारित करें, केवल मानें नही जानकारी की जांच करें। झूठा आश्वासन ना दें और अप्रयोगिक सलाह ना दें। उन्होनें छात्रों को विभिन्न टीमों को निर्माण करके कोविड सहायक बनने की जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि प्रथम आप हाॅस्पीटल मैनेजमेंट टीम का निर्माण कर सकते है और अस्पतालो ंमें मौजूद बेड, वेंटिलेटर, आईसीयू और कोविड वैक्सीन से जुड़ी जानकारी या सूचना प्रदान करने के साथ कोविड वैक्सीन सेंटर पर भीड़ प्रबंधन की जानकारी प्रदान कर सकते है। द्वितीय टीम के अंर्तगत नाॅन हाॅस्पीटल प्रबंधन टीम का निर्माण करके एनजीओं के संर्दभ में जानकारी, कोविड रोगीयों को भोजन वितरण और कोविड हेल्पलाइप नंबर को साझा कर सकते है। तृतीय टीम फैमिली रिलेटेड टीम का निर्माण करके कोविड से प्रभावी व्यक्ती के परिवार को सहयोग प्रदान कर सकते है। चतुर्थ टीम के अंर्तगत आप मेडिकल आवश्यक वस्तुओं जैसे आॅक्सीजन काॅनसटेªटर और दवाओं की उपलब्धता की जानकारी प्रदान कर सकते है और पंचम टीम के अंर्तगत आप कोविड रोगीयों से संचार करके उन्हे भावनात्मक सहयोग, प्रोत्साहन प्रदान कर सकते है। उन्होनें छात्रों को टीम बनाकर, अच्छे सहायक बनने के लिए प्रेरित किया।

इस अवसर पर प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान छात्रों, शिक्षकांे ने कई प्रश्न किये और जवाब भी प्राप्त किये। इस अवसर पर एमिटी बिजनेस स्कूल के छात्र अजातशुत्र डालपाटिया, सुश्री सांची आर्या आदि मौजूद थे।

----------------------------------------------------

अधिक जानकारी के लिए संर्पक करें - अनिल दूबे - 9818671697