पदोन्नति में आरक्षण बिल के लिए आठ लाख आरक्षण समर्थक कार्मिको को लामबंदी आरक्षण समर्थक चलायेंगे जागरूकता अभियान और खोलेंगे पोल

 


प्रेम शर्मा,लखनऊ। 

लोकसभा से पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक संशोधन 117वां बिल पास कराने व उ0प्र0 सरकार द्वारा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 3(7) को 15-11-1997 से बहाल किये जाने के मुद्दे पर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उ.प्र. के संयोजक मण्डल की आज एक आपात बैठक में  जुलाई से चलने वाले लोकसभा के मानसून सत्र में पदोन्नति बिल पास कराने की रणनीति पर चर्चा हुई। सभी 8 लाख आरक्षण समर्थक कार्मिको को लामबंद करने की एक बार फिर तैयारी शरू हो गई है। पदोन्नति में आरक्षण समर्थकों का कहना है कि आज 9 साल से ज्यादा होने को है लोकसभा में पदोनती बिल लंबित है। संघर्ष समिति के नेताओं ने सभी राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों से यह मांग की है कि उनकी पार्टी लोकसभा के आगामी मानसून सत्र के पहले यह स्पष्ट करे कि उनकी पार्टी पदोन्नति बिल पास कराने के पक्ष में है अथवा नहीं। जिससे आरक्षण समर्थक अपनी रणनीति के तहत अपनी कार्ययोजना बनाकर अपने ताकत का एहसास करायें।  

संघर्ष समिति के नेता लगातार अलग-अलग टीम बनाकर दलित सांसदों से मुलाकात कर रहे हैं और पदोन्नति बिल पास कराने के लिये योगदान मांग रहे हैं। उत्तर प्रदेश का आज भी वह काला दिन सभी आरक्षण समर्थको को याद् है जब 2 लाख दलित कर्मोंको को रिवर्ट किया गया था और अब 2022 का चुनाव नजदीक है। इस बार बाबा साहब द्वारा बनायी गयी संवैधानिक व्यवस्था पदोन्नति में आरक्षण पर जो भी मा0 दलित सांसद अपना रूख स्पष्ट नहीं करेगा। उनके खिलाफ आरक्षण समर्थक अपनी रणनीति के तहत उनके लोकसभा क्षेत्र में संवैधानिक आन्दोलन कर जनता को जागरूक करेंगे और उन्हें यह बतायेंगे कि आरक्षित सीट से जीतकर आने के बाद मा0 सांसद जी द्वारा बाबा साहब की संवैधानिक व्यवस्था को बचाने के लिये कोई योगदान नहीं दिया गया और उनकी पोल खोली जायेगी। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उ.प्र. के संयोजक अवधेश कुमार वर्मा, के.बी.राम, डा.रामशब्द जैसवारा, आर.पी. केन, एसपीसिंह अनिल कुमार, अजय कुमार, हरीश चंद्र वर्मा श्याम लाल, अन्जनी कुमार,, सुनील कनौजिया ने कहा कि बहुत जल्द ही संघर्ष समिति संयोजक मण्डल का एक कोर ग्रुप दिल्ली कूच करेगा और वहां पर अपनी लाबिंग को तेज कर पदोन्नति बिल पास कराने की दिशा में केन्द्रीय नेताओं से सहयोग मांगेगा और साथ ही देश के दूसरे राज्यों के दलित सांसदों के सामने भी अपनी व्यथा रखेगा।