सर्जिकल उपकरणों एवं दवाओं पर अधिक एमआरपी लिखे जाने का ,चैम्बर ने किया विरोध।




सर्जिकल उपकरणों एवं दवाओं पर एमआरपी लिखी जाती है बहुत अधिक। 

मरीजों का होता है शोषण।

चेंबर ने लिखा पत्र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को.

उपकरणों पर वास्तविक कीमत के बराबर ही की जाए एमआरपी अंकित।

डॉ अपने मन मुताविक दवा बिक्रेता एवं टेस्टिंग लैब के लिए न करे विवस। 

जेनेरिक दवाओं को भी प्रेस्क्राइब करना किया जाए अनिवार्य।

एमआरपी पर जीएसटी न लगने के कारण हो रही है अंकित हो रही है अधिक एमआरपी।

पूर्व में एमआरपी  पर लगती थी एक्साइज ड्यूटी जिसके कारण एमआरपी लिखी जाती थी वास्तविक कीमत के बराबर। 

आगरा।हि वार्ता

आज दिनांक 2 अगस्त 2021 को शाम 4:00 बजे चेंबर भवन में चेंबर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें चेंबर के विभिन्न प्रकोष्ठो  के चैरमानों ने भाग लिया। बैठक में उद्योग एवं व्यापर से जुड़े कई अहम् मुद्दों पर चर्चा हुयी। 

चेंबर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि इस बैठक में सदस्यों द्वारा एक अहम् मुद्दा उपकरणों पर अंकित एमआरपी का उठाया और विरोध प्रकट करते हए रोष व्यक्त किया कि सर्जिकल उपकरणों पर एमआरपी वास्तविक कीमत से 10 गुनी अधिक तक लिखी जाती है जिसके कारण मरीजों का बुरी तरह शोषण होता है।  चेंबर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि इस समस्या को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में लाने तथा त्वरित कार्यबाही हेतु चैम्बर से एक पत्र भेजा जा रहा है जिसमें मांग की जा रही है कि सर्जिकल उपकरणों पर एमआरपी वास्तविक कीमत के बराबर ही लिखी जाए क्योंकि इससे मरीजों का शोषण होता है जो सामाजिक अन्याय है। 

इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष मुकेश कुमार अग्रवाल ने अवगत कराया कि सर्जिकल उपकरणों पर एमआरपी 10 गुनी तक लिखी जाती है साथ ही दवाओं पर भी एमआरपी वास्तविक कीमत से बहुत अधिक लिखी जाती है तथा डॉक्टर्स द्वारा अपने हॉस्पिटल से ही दवाएं खरीदने के लिए विवस किया जाता है जिसके कारण उपचार के नाम पर मरीजों का शोषण किया जाता है।  अतः इसे रोकना बहुत जरूरी है।  इस संबंध में उच्च अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया जाए। 

पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल ने  बताया कि वर्तमान में डॉक्टर्स द्वारा मेडिसन खरीदने एवं टेस्टिंग कराने के लिए मरीजों को अपने मन मुताबिक दवा विक्रेताओं एवं लेबोरटरी के लिए ही विवस करना मरीजों व उनके परिवार के लोगों के  साथ अन्याय है। 

उपरोक्त कथन में पूर्व अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल एवं सदस्य मयंक मित्तल, सुनील गर्ग ने सहमति व्यक्त की और यह भी कहा कि जेनेरिक दवाएं सस्ती होती हैं।  सरकार के नियमानुसार डॉ. द्वारा उन्हें अलग कॉलम में अनिवार्य रूप से प्रेस्क्राइब करना चाहिए। इसके विपरीत डॉ जेनरिक दवाओं पर संसय व्यक्त करते हैं और जेनरिक दवाएं प्रयोग करने के लिए मरीज एवं उसके सरंक्षकों के ऊपर छोड़ देते हैं जिससे उनमें संसय व भय उत्पन्न हो जाता है।  

अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि वर्तमन में एक ओर तो उपचारही काफी महंगा है और ऊपर से सर्जिकल उपकरण एवं दवाओं पर वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक एमआरपी अंकित कर मरीजों का शोषण किया जाना बहुत ही अनुचित है, उनके साथ यह सरासर अन्याय है।  अतः सदस्यों द्वारा उठाये गए इस ज्वलंत मुद्दे को सरकार के समक्ष पुरजोर उठाया जाएगा।  यह भी मांग की जाएगी की एमआरपी को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाए जिससे निर्माता कंपनी एमआरपी वास्तविक कीमत के बराबर ही लिखने के लिए विवस हो। 

बैठक में अध्यक्ष मनीष अग्रवाल, उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, उपाध्यक्ष सुनील सिंघल, कोषाध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल, पूर्व अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल -चेयरमैन नागरिक सुविधा शहरी विकास एवं सड़क यातायात प्रकोष्ठ, अमर मित्तल-चेयरमैन जीएसटी प्रकोष्ठ, अनिल वर्मा -चेयरमैन आयकर प्रकोष्ठ, मुकेश अग्रवाल- चेयरमैन औद्योगिक विकास एवं औद्योगिक संस्थान विकास प्रकोष्ठ, श्रीकिशन गोयल- श्रम कल्याण प्रकोष्ठ तथा सदस्यों में सचिन सारस्वत- चेयरमैन सोशल मीडिया, एसएन अग्रवाल- चेयरमैन रेलवे प्रकोष्ठ, सुनील गर्ग चेयरमैन पोस्ट एवं टेलीग्राफ प्रकोष्ठ, नितेश अग्रवाल-चेयरमैन स्थानीय प्रशासन समन्वय प्रकोष्ठ, मुनीश  कुमार गुप्ता -चेयरमैन हैंडीक्राफ्ट्स एंड हैंडलूम डेवलपमेंट प्रकोष्ठ आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।