एमिटी विश्वविद्यालय में त्रिदिवसीय अंर्तराष्ट्रीय ई सम्मेलन ‘‘ विजिगीषु 2021’’ का शुभारंभ।




नोयडा।हि. वार्ता

छात्रों को एशिया पैसफिक क्षेत्र में भारत के महत्व, वैश्विक स्तर पर हो रहे परिवर्तन, एशिया पैसफिक में वैश्विक शक्ति की जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज द्वारा नेपाल इंस्टीटयूट ऑफ इंटरनेशनल कोअॅापरेशन एडं एंगेजमेंट के सहयोग से ‘’एशिया पैसफिक में हो रहे वैश्विक शक्ति का चित्रण’ विषय पर त्रिदिवसीय अंर्तराष्ट्रीय ई सम्मेलन ‘‘ विजिगीषु 2021’’ का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का शुभारंभ भारतीय विदेश सेवा के सदस्य, राजदूत महामहिम श्री अनिल त्रिगुणयात, नई दिल्ली के नेशनल मैरीटाइम फांउडेशन के महानिदेशक वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान, जेएनयू की स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के पूर्व डीन प्रो अनुराधा चिनॉय, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला, एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, नेपाल इंस्टीटयूट ऑफ इंटरनेशनल कोअॅापरेशन एडं एंगेजमेंट के सहयोगी डा प्रमोद जैसवाल एवं एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की प्रमुख डा नागालक्ष्मी रमन द्वारा किया गया। इस सम्मेलन में 50 से अधिक देश विदेश के संस्थानों से 400 से अधिक प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया।

सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए भारतीय विदेश सेवा के सदस्य, राजदूत महामहिम श्री अनिल त्रिगुणयात ने वर्तमान समय में यह अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन अत्यंत महत्वपूर्ण है। वैश्विक शक्ति एशिया पैशफिक क्षेत्र की ओर बढ़ रही है। यह दशक हम सभी के लिए महत्व का दशक है जिसमें निर्माण और विध्वंस दोनो हो सकता है। महामारी ने विश्व को प्रभावित किया है और हमें चार चुनौतियों से निपटने को सीखाने पर जोर दिया है प्रथम स्वास्थय, द्वितीय भूख की समस्या, तृतीय प्राकृतिक वास जिसमें जलवायु परिवर्तन की समस्या अहम और चतुर्थ उच्च तकनीकी है। किसी भी देश को सफल बनने के लिए चारों की चुनौतियों को समझना होगा। चतुर्पक्षीय सुरक्षा संवाद की क्षमता तभी सार्थक है जब उससे शांती और समृ़ि़द्ध व्याप्त हो। भारत की सदैव आपसी समस्याओं को सुलझाने के लिए संवाद की नीति रही है। महामहिम श्री त्रिगुणयात ने कहा कि भारत ने महामारी से अपनी स्वंय की वैश्विक सप्लाई श्रृखंला विकसित करना आवश्यक है यह सीखा है। उन्होनें अमेरिका की वर्तमान नीति, चीन का प्रभाव, रशिया के बारे में जानकारी प्रदान की।

 नई दिल्ली के नेशनल मैरीटाइम फांउडेशन के महानिदेशक वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान ने कहा कि हर देश के भू - आर्थिक लक्ष्य और गैर भू - आर्थिक लक्ष्य होते है जिसके लिए क्रमश भू - आर्थिक लक्ष्य और गैर भू - आर्थिक लक्ष्य  की प्राप्ति के लिए भू - रणनीति बनाते है। विदेशी नीति, सैन्य शक्ति और कूटनीति पर आधारित होती है। एक देश का सामरिक भूगोल दूसरे के समान होने की उम्मीद नही की जा सकती है। हमने अपने सामरिक भूगोल को ‘‘द इंडो पैसफिक” नाम दिया है। सामरिक अभिसरण केवल साझा हितांें के बारे में नही है जो उनके मूल रूप में केवल लेन देन हो सकता है बल्कि मूल्यों और विचारों को साझा करने क संर्दभ में भी है। श्री चौहान ने समुद्री नीति के बारे में बताते हुए कहा कि हमारा उददेश्य समुद्र आधारित खतरे से भारतीय सीमाओं को सुरक्षित करना है। भारतीय समुद्री पड़ोसी देशों के साथ संबधो में स्थिरता लाना है। उन्होनें कहा कि इंडो पैसफिक में भारत की बृहद रणनीति, सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति और समृद्धि पर आधारित है। उन्होेने अमेरिका समुद्री नीति, जापान, आस्ट्रेलिया, की इंडो पैसफिक नीति के बारे में भी बताया।

जेएनयू की स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के पूर्व डीन प्रो अनुराधा चिनॉय ने संबोधित करते हुए कहा कि एशिया पैसफिक, वर्तमान में विश्व शक्तियों का मुख्य क्षेत्र बन रहा है। उन्होनें विभिन्न क्षेत्र जैसे अमेरिका चीन के मध्य तनाव, भारत के पड़ोसी देशों से संबध, विश्व और एशिया पैसफिक में भारत की भूमिका आदि सहित अफगानिस्तान के हालात पर अपने विचार व्यक्त किये।

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह सम्मेलन छात्रों को एशिया पैसफिक क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों को समझने में सहायक होगा जो विभिन्न परिपेक्ष्यों के प्रभाव को बतायेगा। आपमें से कई छात्र कल विदेश सेवा के अंर्तगत देश का प्रतिनिधित्व करेगें ऐसे में छात्रों को देश की कूटनीति का ज्ञान होना आवश्यक है। उन्होनें कहा कि यह सम्मेलन शोधार्थियों के लिए शोध के नये विषय तलाशने का अवसर प्रदान करेगा। सम्मेलन का मुख्य उदेदश्य ज्ञान प्राप्त करना, शोध के संयुक्त अवसरों को तलाशना और आपसी संबधों का निर्माण करना है।

       एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेलवामूर्ती ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर वृद्धि कर रहा है और महत्वपूर्ण होता जा रहा है। शीघ्र ही हम विश्व की ज्ञान की महाशक्ती बनेगें। भारत के पास सैन्य शक्ति, ज्ञान शक्ति और आर्थिक शक्ति है जो हमें वैश्विक देशों की अग्रणी पंक्ति में खड़ा कर रही है। एमिटी सदैव छात्रों को हर क्षेत्र की आधुनिक जानकारी प्राप्त करने और राष्ट्र निर्माण में सहायक बनने के लिए प्रोत्साहित करता है।

 इस त्रिदिवसीय सम्मेलन का प्रथम सत्र ‘‘ एशिया पैसफिक देशों के मध्य द्विपक्षीय संबध’’ विषय पर आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता जामिया मिल्लिया इस्लामिया के एकेडमिक ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के प्रोफेसर अजय दर्शन बेहरा, सह अध्यक्षता समाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्रालय के डा अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर के एसोसिएट प्रोफेसेर डा वरूण गुलाटी ने की । इस अवसर पर बीएचयू के रिसर्च स्कॉलर श्री गौरव कुमार मिश्रा, जादवपुर विश्वविद्यालय के स्नातकात्तर छात्र श्री अभिज्ञान गुहा, जेएनयू की सुश्री अंशु कुमारी, नेपाल के ़ित्रभुवन विश्वविद्यालय के गौरव भट्टाराई आदि ने अपने विचार रखे। इसके अतिरिक्त एशिया पैसफिक में वैश्विक शक्ति समीकरण पर परिचर्चा सत्र का आयोजन भी किया गया।