एमिटी विश्वविद्यालय में पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव विषय पर वेबिनार का आयोजन।




हि.वार्ता।नोयडा

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनवायरमेंटल, टॉक्सीकोलॉजी, सेफ्टी एवं मैनेजमेंट द्वारा छात्रों, शोधार्थियों को पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थय पर प्रभाव की जानकारी प्रदान करने के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में यूनाईटेड नेशन एनवांयरमेंट प्रोग्राम के भारत कार्यालय के कंट्री हेड श्री अतुल बगाई, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशियन रिर्सच के निदेशक डा एम रवि चंद्रन, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ओजोन सेल के एडिशनल डायरेक्टर श्री आदित्य नारायण सिंह, एनडीटीवी के वरिष्ठ संपादक श्री हिंमाशु शेखर, वर्ल्ड रिर्सोस इंस्टीटयूट के एयर क्वालिटी हेड डा अजय नागपुरे, ग्लोबल एनवांयरमेंट लीडर सिडनी मेलबर्न ब्रिसबेन शेनझेन ब्रिस्टल के एसोसिएट डायरेक्टर प्रो आवेन रिर्चड, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती द्वारा किया गया। इस वेबिनार का संचालन गु्रप एडिशनल प्रो वाइस चांसलर प्रो तनु जिंदल द्वारा किया गया।

वेबिनार में यूनाईटेड नेशन एनवांयरमेंट प्रोग्राम के भारत कार्यालय के कंट्री हेड श्री अतुल बगाई ने संबोधित करते हुए कहा कि हमें मानव स्वास्थय को बेहतर बनाने के लिए पर्यावरण के स्वास्थय को बेहतर बनाना होगा। हम जो भोजन करते है, जल ग्रहण करते है या श्वास लेते है सभी प्रकृति से जुड़े है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में 23 प्रतिशत मृत्यु का कारण प्रदूषण और पर्यावरण से जुड़ी समस्या है। श्री बगाई ने कहा कि रोगों के बढ़ रहे प्रभाव का असर हमारी उत्पादकता और समाजिकता पर भी पड रहा है। हमें प्रकृति और मानव के जुड़ाव को बेहतर तरीके से समझना होगा। हमें मानव स्वास्थय पर पड़ रहे प्रभाव को समझने की आवश्यकता है। हमे एक स्वास्थय दृष्टिकोण अपनाना होगा जिसमें प्रकृति का स्वास्थय, मानव का स्वास्थ्य दोनो शामिल होगा। उन्होनें भारत द्वारा इस संर्दभ में किये जा रहे प्रयासों को बताया। पर्यावरण की गुणवत्ता का विकास हमें रोगों से बचायेगा। प्रदूषण कम करने के कई निवारण है हमें आज से कार्य करना होगा।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशियन रिर्सच के निदेशक डा एम रवि चंद्रन ने ‘‘जलवायु परिवर्तन परिपेक्ष्य में धुवीय रिजन का वर्तमान और भविष्य की स्थिति’’ पर कहा कि जलवायु परिवर्तन और ध्रुवीय संबंध अधिक महत्वपूर्ण है। समुद्री बर्फ का पिघलाव, अत्यधित वर्षा और धुवीय भंवर को बढ़ावा देता है। समुद्री स्तर के बढ़ने, समुद्री स्तर के गर्म होने से मौसम मंे बदलाव आता है। साइक्लोन की तीव्रता बढ़ती है। धुव्रीय रिजन विशेषकर आर्कटिक अन्य क्षेत्रों की तुलना में शीघ्रता से गर्म हो रहा है। डा चंद्रन ने कहा कि जोखिम और अनिश्चितता को बचाने के लिए प्रभावी और शमन नीति की आवश्यकता है।

एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने कहा कि अगर वर्तमान  में किसी पूछे कि विश्व, देश और समाज की सबसे बड़ी समस्या क्या है तो जवाब प्राप्त होगा जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण। एमिटी द्वारा पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन ओर प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक मिशन बनाकर शोध कार्य किया जा रहा है। हम छात्रों में और विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से सभी को जागरूक करते है। आज विश्व के सामने जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है जिसका निवारण प्राथमिकता के आधार पर मिलकर करना होगा।

वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ओजोन सेल के एडिशनल डायरेक्टर श्री आदित्य नारायण सिंह ने कहा कि पिछले 50 छात्रों से जीवाश्म ईंधन का उपयोग जलवायु परिवर्तन का कारण बन रहा हैं। जलवायु परिवर्तन, समाजिक स्वास्थय को प्रभावित कर रहा है। उन्होनें कहा कि ओजोन परत की क्षरण से पैराबैगनी किरणे सीधे पृथ्वी पर आती है और मनुष्य में कई रोग पनपते है वही धरती के तापमान में भी वृद्धि हो रही है। जागरूकता और साझा सहयोग के जरीये पर्यावरण को बेहतर बनाना होगा।

एनडीटीवी के वरिष्ठ संपादक श्री हिंमाशु शेखर ने विभिन्न केस स्टडी जैसे 2018 को केरल बाढ़, 2014 की श्रीनगर बाढ़ के बारे में बताते हुए जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां और महामारी के दौरान आई बाढ़ की दोहरी मार के बारे में जानकारी दी।

वर्ल्ड रिर्सोस इंस्टीटयूट के एयर क्वालिटी हेड डा अजय नागपुरे ने विभिन्न वायु प्रदूषण के प्रकार, पीएम 2.5 का बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव के बारे में बताते हुए कहा कि वायु प्रदूषण मृत्यु का कारण नही बल्कि जोखिम तत्व है।

ग्लोबल एनवांयरमेंट लीडर सिडनी मेलबर्न बिसबेन शेनझेन ब्रिस्टल के एसोसिएट डायरेक्टर प्रो आवेन रिर्चड ने भारत में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को बताते हुए कहा कि योजना के दौरान पर्यावरण संबधित मुददो की अनदेखी, केन्द्रीकरण निर्णय में संस्थागत सहयोग की कमी, जल निकासी संरचना के संचालन और देखरेख मे कमी, हाइड्रोलॉजिक डाटा की कमी, डिजाइन और निमार्ण के मध्य संचार का आभाव आदि है।

इस अवसर पर एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने अतिथियों के साथ विभिन्न विषयों के साथ साझा शोध कार्य की संभावनाओं पर अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन के डा डी के बद्योपाध्याय, गु्रप एडिशनल प्रो वाइस चांसलर प्रो तनु जिंदल ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर 16 सितंबर को ओजोन दिवस पर आयोजित पोस्टर और कविता पाठ प्रतियोगिता में विजयी छात्रों के नामों की घोषणा की गई।