आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने संक्रामक रोगों के खिलाफ वैक्सीन विकास को बढ़ावा देने के लिए नए लक्ष्य खोजें।



संक्रामक रोगों की वैक्सीन खोज प्रकिया में होगा अभूतपूर्व परिवर्तन।

नोयडा।

एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा और बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन (बीसीएम -हटसन, यूएसए) के वैज्ञानिकों द्वारा क्लीनीकली रूप से महत्वपूर्ण वैक्सीन लक्ष्यों और एपिटोप्स को ढंूढने के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म विकसित किया गया की जो घातक संक्रामक रोगों जैसे कोविड 19 और चगास रोग की वैक्सीन खोज प्रक्रिया में परिवर्तन ला सकता है। इस शोध का परिणाम यूके की प्रख्यात जर्नल सांइटफिक रिपोर्टस जो कि पबमेड द्वारा प्रकाशित किया गया जिसका शीर्षक ‘‘ आइंडेटिफिकेशन ऑफ वैक्सीन टारगेट्स पैथोजेन एडं डिजाइन ऑफ ए वैक्सीन यूजिंग कंप्यूटेशनल एप्रोचेस (Identification of vaccine targets in pathogens and design of a vaccine using computational approaches) है। एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा कमल रावल इस पेपर के मुख्य लेखक है और  बीसीएम के नेशनल स्कूल ऑफ ट्रापीकल मेडिसिन के डीन प्रोफेसर पीटर होटेज, नेशनल स्कूल ऑफ ट्रापीकल मेडिसिन के को -डीन प्रो मारिया एलेना बोटाजी, बीसीएम के एसोसिएट प्रोफेसर डा उलरिच स्ट्रीच, पेपर के अन्य वरिष्ठ लेखकों में से है। यह आर्टिकल www.nature.com/articles/s41598-021-96863-x पर उपलब्ध है।

इस अवसर पर एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के चांसलर डा अतुल चौहान और एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी।

संक्रामक रोग विश्व में कई लाख लोगों को हर वर्ष मृत्यु प्रदान करते है। इस तथ्य के बावजूद संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने के लिए टीकाकरण एक प्रभावी उपाय है - एक अत्यधिक रोगजनक, आसानी से फैलने वाले कोरोनावायरस के कारण आज संपूर्ण विश्व इस महामारी की चपेट में है। इस वैश्विक आपदा ने न्यूनतम समय सीमा में सुरक्षित और प्रभावी टीके को विकसित करने की कमी को उजागर कर दिया है।

भारत और अमेरिका वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम ने आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित प्लेटफार्म की सफल तैनाती की घोषणा की जो वैक्सीन विकास की प्रकिया को तेज कर सकता है। इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित प्लेटफार्म का विभिन्न 40 रोगजनकों पर सफलता पूर्वक प्रशिक्षण किया गया था जिसमें घातक एसएआरएस - सीओवी -2 (कोविड 19), माइक्रोबैक्टेरियम टयूबरक्लोसिस (टीबी), वाइब्रो कोलेरा ( कोलेरा) एवं प्लामोडियम फाल्सीपारूम (मलेरिया) भी शामिल है।

             एमिटी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा कमल रावल के अनुसार यह मुख्य नवाचार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर रहा है जिससे कई हजार प्रोटीन और जीन को सही लक्ष्य तक पहंुचने के लिए कई सौ मानको को जोड़ा जा सके और इन प्रोटीन का उपयोग करके टीका डिजाइन किया जा सके। साक्ष्य के रूप में हमने बाजार में टीकों सहित कई प्रयोगात्मक रूप से ज्ञात वैक्सीन लक्ष्यों पर अपने प्लेटफार्म का परीक्षण किया। शोधकर्ताओं की टीम उपेक्षित बीमारियों में लंबे समय सेे रूचि रखती है इसलिए आगे बढ़कर एक महत्वपूर्ण रोगजनक के पूरे जीनोम और प्रोटिओम (एक कोशिका में सभी प्रोटीन अनुक्रमों का सेट) का विश्लेषण किया जिसे ट्राइपैनोसेामा कू्रजी (टी कू्रजी) के रूप में जाना जाता है।

           इम्यूनोलॉजी और टीकों के क्षेत्र में काम करने वाले अन्य जीवविज्ञानियों और प्रयोगवादियों की सहायता के लिए डॉ रावल ने एक क्लाउड आधारित सर्वर बनाया है जिसका उपयोग विश्व भर के शोधकर्ताओं द्वारा संभावित वैक्सीन लक्ष्यों के रूप में अपने प्रोटीन और जीन के विश्लेषण के लिए किया जा सकता है। कोविड 19 के डेल्टा वैरिंएंट के उद्भव के मददेनजर टीम उभरते  संक्रामक रोगों के खिलाफ नए टीके विकसित करने के लिए व्यावसायिक पैमाने पर आवेदन के लिए अनुकूलित तैनाती के लिए विभिन्न फार्मास्युटिकल और जैव प्रौद्योगिक कंपनियों के साथ कार्य कर रही है।

बीसीएम के एसोसिएट प्रोफेसर डा उलरिच स्ट्रीच ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम को मान्य करने के लिए टीम ने 40 विभिन्न रोगजनकों से संबंधित 335 से अधिक प्रयोगात्मक रूप से सत्यापित एंटीजन को शॉर्टलिस्ट किया और पाया कि हमारी प्रणाली उचित सटीकता स्तरों के साथ उनमें से अधिकांश की सही भविष्यवाणी कर रही है। इन उदाहरणों में एफडीए द्वारा अनुमोदित /विपणीत टीकों के लक्ष्य भी शामिल है जो इस प्लेटफार्म के पक्ष में मजबूत स्थिति बनाते है। अभी यह बताना जल्दबाजी होगी कि यह रोगियों को कैसे प्रभावित करेगा लेकिन प्रारंभिक आंकड़े बताते है यह प्लेटफार्म कई मायनों में फायदेमंद साबित होगा।

                बीसीएम के नेशनल स्कूल ऑफ ट्रापीकल मेडिसिन के डीन प्रोफेसर पीटर होटेज ने कहा कि सर्वप्रथम हमने 19000 प्रोटीनों के सेट से महत्वपूर्ण 8 प्रोटीनों का चयन किया और उसके बाद इन लक्ष्यों में शीर्ष एपिटोप्स (एक एंटीजन अणु का हिस्सा जिससे एक एंटीबॉडी खुद को जोड़ता है) की पहचान की। इसके बाद हमने चगास रोग के खिलाफ मल्टी एपिटोप वैक्सीन डिजाइन किया। इसके उपरंात जैव सूचना विज्ञान उपकरणों का उपयोग करके परिष्कृत विश्लेषण किया गया ताकि यह पता लगाया जा सके कि प्रस्तावित टीका प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करने मे सक्षम है या नही।

नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॅापीकल मेडिसिन के को -डीन प्रो मारिया एलेना बोटाजी ने कहा कि एक आदर्श टीका लक्ष्य मेजबान प्रोटीन (मानव) के समान नही होना चाहिए ताकि क्रॉस रिएक्शन और बाद के दुष्प्रभावों से बचा जा सके, इसलिए अध्ययन के दौरान इस तरह के डेटा को फिल्टर करने के लिए विशेष ध्यान रखा गया था।

               इस अनुसंधान को यूएसए के क्लेबर्ग फांउडेशन और बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन द्वारा सहयोग और समर्थन किया गया था।