दूसरा धर्म धारण करना मृत्यु समान, बल्केश्वर में हो रही श्रीमद भागवत कथा।




हि. वार्ता।आदर्श नन्दन गुप्त

आगराः श्रीमद् भागवताचार्य एक ब्रह्म पं.राकेश शर्मा ने कहा है कि अपना धर्म त्याग कर अन्य धर्म को धारण करना साक्षात मृत्यु तुल्य है। यह ऐसा है जैसे अपने पिता के होते हुए किसी दूसरे को अपना पिता मानना। अतः स्वधर्म पालन से ही भगवद प्राप्ति संभव है।

गुरुवार को पं.राकेश शर्मा, बल्केश्वर में पार्वती घाट के समीप बने सकारात्मक भवन में श्रीमद् भागवत कथा सुना रहे थे।

उन्होंने कहा कि पांच ज्ञानेद्री और पांच कर्मेंद्रियां हैन।।मन इनके अधीन होकर विषय के चिन्तन में उलझता है। फलत: आसक्तियां प्रबल होती है और आसक्तियां प्रबल होने पर कामनाएं बढ़ जाती है। कामनाओ में जब विघ्न  उत्पन्न होता है तो क्रोध की उत्पत्ति होती है। फलत:विवेक शक्ति नष्ट हो जाती है और प्राणी श्रेष्ठ भटक कर अधर्मी बन जाता है। अतः मन को वश में करना चाहिए।

भगवान को प्राप्त करने के लिए किसी अन्य जन्म की आवश्यकता नहीं है। यदि प्राणी चाहे तो जैसे बालक ध्रुव ने पांच वर्ष की अवस्था में ही भगवान को पा लिया उसी प्रकार हम भी भगवान को पा सकते हैं। आवश्यकता है सदगुरू की जो इस कलियुग में मिलना कठिन है। 

 मुख्य यजमान अतुल गुप्ता ने श्रीमद् भागवत पुराण व व्यास पीठ का पूजन किया। मुख्य अतिथि भाजपा नेता राजकुमार गुप्ता ने पूजन करके आरती उतारी।

आरती उतारने वालों में पार्षद अमित ग्वाला, नरेंद्र तनेजा, चंद्रेश गर्ग, वीके अग्रवाल, ममता सिंघल, रिंकू गर्ग, चंद्रभान कहरवार, रमन अग्रवाल, रवि  चावला, सुरेश कंसल,  विनीत अरोरा, नागेंद्र अगवाल, सोनू मित्तल, अतुल गर्ग, कृष्ण कुमार गुड्डू, विकास अग्रवाल, सुधीर अग्रवाल, निशा सिंघल, नीरू शर्मा, कुमकुम उपाध्याय आदि थे।

सकारात्मक फाउंडेशन के अध्यक्ष चंद्रेश गर्ग के अनुसार गुरुवार को श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा है। इस दिन दोपहर 1.30 बजे से शाम पांच बजे तक कथा है