फ्लाइटों से वायुप्रदूषण नहीं:सिविल सोसायटी ऑफ आगरा।

 



- सिविल सोसायटी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस मे रखे अहम मुद्दे।

 प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने माना कि टूरिज्म ट्रेड के पनपने के लिये एयर कनेक्टिवी  बहुत ही जरूरी है, काश सरकारें आगरा के परिप्रेक्ष्य में भी  जरूरत की इस महत्‍ता को समझ  सकतीं. सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा  को आशा थी कि आगरा में भी पं.दीन दयाल एयरपोर्ट को योजना का क्रियान्वयन भावी  पी एम के रूप में आगरा में की गयी घोषणा के बाद जरूर हो जायेगा किन्‍तु पी एम के रूप में दूसरा टर्म भी आधा बिताने के बावजूद केंद्र सरकार कुछ भी नहीं करवा सकी. पता नहीं इस समय यह प्रासंगिक लगे या नहीं लेकिन एक सच्चाई है कि बहुजन समाज पार्टी की मायावती सरकार के समय आगरा सिविल एन्‍कलेव को एयरफोर्स परिसर से बाहर लाकर जनपहुंच लायक बनाने के लिए जो कार्रवाई हुई थी उसके बाद के चरण को न तो श्री अखिलेश यादव की सरकार के समय सही प्रकार से आगे बढ़ाने का काम किया गया न हीं बाद में आई डबल इंजन की भाजपा सरकार ने ही.

दरअसल आगरा की आधारभूत जरूरतों को लेकर जो भी कार्य हुए कांग्रेस की एन डी तिवारी सरकार के बाद बसपा की मायावती सरकार तक ही जारी रह सके .

ताज ट्रिपेजियम जोन प्राधिकारण आगरा के एयरपोर्ट प्रोजेकट को क्लीयर क्‍यो नहीं कर सका ,कोर्ट कार्यवाही में पक्षकार के रूप में उ प्र सरकार की रही भूमिका अपने आप में जन विचारणीय है.

उ प्र सरकार सिविल एन्‍कलेव वायुसेना परिसर से बाहर लाये जाने से संबंधित मुकदमे में जब से पक्षकार बनी है,तब से उसकी भूमिका केवल तटस्थ बने रहकर न्यायिक आदेशों के अनुपालन मात्र की ही न रहकर वाद में सक्रिय भागीदार की हो चुकी है।

चूंकि सरकार पक्षकार होने के बावजूद अक्सर जनता का पक्ष या शासन का पक्ष रखने में संकोची रहती हैं ऐसे में जनप्रतिनिधियों की जनपक्ष की प्रबलता मुखर करने में  अधिक जिम्मेदारी होती है  । सिविल सोसायटी की अपेक्षा है कि सरकार वाद में अपनी  बदली भूमिका के अनुरूप अब तक कुछ भी नहीं कर सकी. नहीं आगरा के  जनप्रतिनिधि दायित्व बोध के अनुरूप भूमिका में दिखे ।

विधानमंडल के सदनों में या उनके बाहर जनप्रतिनिधि सही प्रकार से आगरा के एयरपोर्ट की रुकावट के कारणों को उठा ही नहीं सके. पिछले चार साल में  मुख्‍य सचिव नागरिक उड्डयन या अन्‍य उपयुक्‍त सक्षम अधिकारी के साथ बैठक कर एयरपोर्ट संबधी वाद के संबंध में सुझाव और समीक्षा शायद ही कभी देने का अवसर उन्होंने ढूंढा हो.

दरअसल अब तक सिविल एन्‍कलेव के संबंध में सरकार के द्वारा जो भी न्यायालय में कहा या रखा जाता रहा है वह मुकदमे के पक्षकार के रूप में न होकर केवल महज सूचना प्रदाता के रूप में ही है।

फ्लाइटों से वायुप्रदूषण नहीं

जनप्रतिनिधियों को सरकार पर दबाव बनाना चाहिये कि वह सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाये कि हवाई जहाज संचालन से वायु प्रदूषण नहीं बढता। दो मिनिट से भी कम समय में संपन्न होने वाली अपनी ' लैंडिंग और टेक ऑफ'  संबंधित ऑपरेशन के अलावा सिविल एयरक्राफ्ट केवल उस एयर कॉरिडोर में ही उड़ता है जो कि सामान्यतः: 41000 मीटर की ऊंचाई पर चिन्हित है। यह बादलों की ऊंचाई से भी एक हजार मीटर अधिक ऊंचा है और बादल ताज ट्रिपेजियम जोन के अध्ययन या प्रबंधन की सीमा में नहीं आते ।

इस प्रकार आगरा के सिविल एन्‍कलेव के वायुसेना परिसर से बाहर लाये जाने के तमाम प्रयासों को निष्प्रभावी बनाये जाने की कोशिश करने वालों की आशंकाये महज काल्‍पनिक हैं।  कल्‍पाओं के आधार पर समक्ष लाये जाने वाले वादों को न्यायपालिका महत्व नहीं देती जैसा कि फिल्‍म अभिनेत्री जूही चावला के 5G संबंधित वाद (PIL))में कोर्ट के रूख से स्पष्ट है। अत:अगर जनप्रतिनिधि जरा भी गंभीरता से शासन के समक्ष तथ्यपरक जानकारियां रख सके तो सरकार को भी पक्षकार के रूप में उसे न्‍यायालय के समक्ष रखना होगा

ढांचागत योजनाओं को पूरा करवायें

आगरा से संबंधित मंत्री ने आगरा में फ्लाइटें बढाने की मांग तक आगरा की मुश्‍किलें सीमित मानी है, जबकि स्थिति यह है कि ढांचागत जरूरत और जन पहुंच लायक सिविल एन्‍कलेव का होना यहां की अहम आवश्यकताएं हैं। सामान्‍य व्‍यक्ति अपने आधार कार्ड के बूते पर सिविल एयरपोर्ट तक न आ सकता है ,नहीं वहां से लौट सकता है। आगरा का एयरपोर्ट केवल वी आई पी गैस्‍टो -उनके होस्‍टों और चुनिंदा एयरलाइंस के पैसेंजरों की पहुंच तक सीमित है। आगरा के विकास पर खासकर सेवा क्षेत्र की गुणवत्ता व विश्वसनीयता पर सहज पहुंच वाली एयरक नैक्‍टिविटी की कमी का भारी प्रतिकूल असर है।

नागरिक उड्डयन मंत्री आगरा बुलाये जाये

सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा  का मानना है कि नागरिक उड्डयन मंत्री को आगरा आमंत्रित किया जाये जिससे कि उनका ध्‍यान वायु यातायात से संबधित स्‍थानीय की ओर आकर्षित हैं।  

सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा, का मानना है कि नागरिक उड्डयन सेवाओं से संबंधित जन अपेक्षाओं खासकर आम नागरिक उपभोक्ताओं के साथ एविएशन मिनिस्ट्री से संवाद बढ़ाये जाने की जरूरत है । वर्तमान में सिविल एन्‍कलेव के प्रबंधन को लेकर ही प्रबंधन में सुधार को सुझाव देने तक समिति ही बनी हुई है। जिसकी भूमिका जन जानकारी में नहीं आ पा रही है। यू पी सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग को भी नागरिक से सीधा संवाद बनाये जाने का प्रयास करना चाहिये।वर्तमान में माननीय जनप्रतिनिधियों से संपर्क एवं संवाद की प्रतीकात्‍मक व्यवस्था है लेकिन इसका असर राज्‍य सरकार से संबंधित एविएशन सेवाओं पर नहीं पड़ा है।

अगर सिविल एयरपोर्ट को वायुसेना परिसर से बाहर ले जाये जाने की योजना है और उ प्र सरकार की मनसा भी तो अर्जुन नगर गेट पर पैसेंजर लाऊंज बनाये जाने की योजना का क्रियान्वयन करने का कोई औचित्य नहीं है। सरकारी प्रयासों के अनुसार अगर सिविल एन्‍कलेव धनौली शिफ्ट हो गया तो महज दो वित्तीय वर्षों के लिये करोड़ों रुपये खर्च करने का कोई औचित्य नहीं है।  

हम महसूस करते हैं कि सिविल एन्‍कलेव को धनौली में शिफ्ट करने का काम जितनी भी तेजी के साथ संभव हो शुरू कर दिया जाना चाहिये।जिससे कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में ही इसका उद्घाटन करने का अवसर मिल सके।

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अब हुआ रामायण परिपथ एयरकनैक्‍टिविटी समृद्ध

उ प्र में जरूरी और गैरजरूरी हवाई यात्रा संबधी अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार हो रहा है. अब अयोध्‍या के साथ ही ग्रेटर नोएडा में भी स्विट्जरलैंड की फर्म बड़ा निवेश कर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना रही है. इस हवाई अड्डे के बन जाने के बाद रामायण के दोनों पात्रों राम और रावण के जन्‍म स्‍थानों पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट संभव हों जायेंगे. दरअसल जिस प्रकार राम का जन्म अयोध्या में हुआ था ,वैसे ही रावण का गौतम बुद्ध नगर जनपद के बिसरख गांव में हुआ था.वह यहां रहने वाले ऋषि विश्वश्रवा  और उनकी दूसरी पत्नी से जन्मा था.

नोएडा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जरूरत कितनी थी , इसे लेकर तो कुछ भी नहीं कहना है,सरकारों की मर्जी जहां चाहें जो बनवायें किन्तु इतना जरूर कहना है कि एयरपोर्ट के इस प्रोजेक्ट का उदघाटन उस समय हुआ है जबकि दिल्ली -एन सी आर में प्रदूषण की अत्‍यधिक सघनता और खतरनाक स्थिति है.माननीय सुप्रीम कोर्ट तक को इसे कम करवाने के लिये सीधा हस्तक्षेप करना पड रहा है.

इस एयरपोर्ट की कितनी उपयोगिता होगी यह एक अलग मुद्दा है, लेकिन अगर अपनी कृषि और आवासीय जमीन को खोने वाले किसान परिवारों को भी अगर यह नौकरी देने का माध्यम बन सके तो अपने आप में राहतकारी होगा.इस प्रोजेक्ट को अंजाम देने की स्थिति  में पहुंचाने के लिये गौतम बुद्ध नगर के स्थानीय सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा को उनकी क्षमता के लिये पद्मश्री से भी कोई बड़ा सम्मान दिया जा सके तो कम होगा.खास तौर से यह आगरा के जनप्रतिनिधियों के लिये प्रेरक होगा जो कि लम्बी लम्बी राजनैतिक पारियां खेलते रहने के बावजूद अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिये कुछ भी नहीं करवा पाते और सरकारों के द्वारा करवाये जाने वाले रूटीन कार्यों को अपनी उपलब्धि बताते रहे हैं. 

प्रेस वार्ता में श्री शिरोमणि सिंह, श्री अनिल शर्मा, श्री राजीव सक्सेना, श्री राम टंडन, श्री अभिनय प्रसादआदि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट/छाया-असलम सलीमी