हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा
गुरूद्वारा माईथान पर कीर्तन दरबार ।
शीश दिया पर सि ना उचरी,, धर्म हेतु साका जिन किया शीश दिया पर सिरर न दिया।
श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का 347 वा शहीदी गुरुपर्व, उनसे जुड़े एतिहासिक तथ्य अवलोकन, गुरुद्वारा ,माईथान पर श्रद्धा पूर्ण मनाया।
दरबार साहिब अमृतसर से पधारे भाई सिमरप्रीत सिंह हजूरी रागी ने ।
एक गुरमुख परोपकारी विरला आया।
अर्तार्थ सतगुरु सच्चे पातिशाही अपनी वाणी में फरमान करते है कि दूसरे के लिए परोपकार करने वाले इस धरती में विरले ही होते है जैसे गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने हिन्दू धर्म की रक्षा की खातिर अपने प्राणों का बलिदान दिया।
अपने दूसरे शब्द में उन्होंने
पहिलां मरणं कबूल जीवन की छड आस
का गायन कर संगत को निहाल करेंगे अखंड कीर्तन जत्था के भाई जसपाल सिंह ने
शीश दिया पर सी ना उचरी
का गायन करते हुए कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने शीश तो दिया लेकिन धर्म को नहीं हारा हिन्दू धर्म को बचाने के लिए यह गुरु तेग बहादुर साहिब जी की वडियाई है जिन्होंने पूरे संसार को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया।किसी धर्म को बचाने के लिए ऐसी मिसाल कहीं और नहीं है इसलिए उन्हें हिन्द की चादर कहते है।
भाई हरजोत सिंह ने ..
नर अचेत पाप ते डर रे।
का गायन करते हुए कहा कि ए मनुष्य पाप की राह पर ना चल उनसे दूर रह इन पापो से बचने के लिए प्रभु की शरण में रह।
भाई बृजेंद्र सिंह एवं बीबी अवनीत कौर ने भी अपने कीर्तन से संगत को निहाल किया
ज्ञानी कुलविंदर सिंह जी ने सर्वत के भले की अरदास की ।
इस अवसर पर विशेष रूप से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पुरातन और सबसे छोटे स्वरुप (उर्दू में लिखित) का दर्शन संगत को करवायें गए।
इस अवसर पर प्रधान कंवलदीप सिंह के अलावा,मुख्य सेवा दार पाली सेठी ,समन्वयक बंटी ग्रोवर,कुलविंदर पाल सिंह ,मनमोहन सिंह,सुरेंद्र सिंह सलूजा,हरमिन्दर पाल सिंह,
,बंटी ओबरॉय,परमिंदर सिंह ग्रोवर,राजदीप ,देवेन्द्र सिंह खालसा,लकी कान्दरा वीरेंद्र सिंह ,सरबजीत सिंह,रक्षपाल सिंह ,आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।