डा.माथुर और नरेश ,वैक्सीनेशन सेवा में शक्रिय, बने महकमे के हमराह।

 



कोविड टीकाकरण को एक साल पूरा होने पर विशेष...16 जनवरी से ही हुई थी टीकाकरण की शुरुआत।

-कहीं प्यार तो कई जगहों पर फटकार से लोगों के लगवाया जीत का टीका।

-समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास, चला रहे हैं सर्च ऑपरेशन।

हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा, 15 जनवरी 2022

डा.आरसी माथुर और नरेश पारस...यह वह लोग हैं, जिनकी सेवा से वंचित समाज के हर व्यक्ति तक कोरोना की वैक्सीन पहुंच सकी। सड़क से लेकर झुग्गी झोपड़ी तक वंचित समाज के व्यक्तियों तक वैक्सीनेशन कराने की इन दोनों ने ठानी है।

डा.आरसी माथुर एसीएमओ और नरेश पारस चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट हैं। यह दोनों लोग सड़क पर रहने वाले, ठेले वाले, दुकानदार, लोहापीटा आदि से पूछते नजर आते हैं कि उन्होंने कोविड-19 की वैक्सीन लगवाई है या नहीं। दोनों उन हर व्यक्ति को वैक्सीनेशन कराने के लिए प्रयासरत हैं। 

सड़क हो या फिर कब्रिस्तान, डा.माथुर और नरेश पारस ने तलाशी अभियान चलाकर लोगों को कोविड-19 से जंग लड़ने के लिए जीत का टीका लगवाने का प्रयास किया। वंचितों के हक की लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस लंबे समय से ऐसे लोगों के लिए काम कर रहे हैं। जो अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ सकते हैं। इन्हें विशेषकर बच्चों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए जाना जाता है।

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वैक्सीनेशन से मुंह मोड़ने वालों तक बनाई पहुंच।

कोविड के टीकाकरण के लिए एक तरफ जहां वैक्सीनेशन को लेकर तमाम भ्रांतियों को लेकर एक तबका मुंह मोड़ रहा तो ऐसे समय में नरेश पारस ने स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया। जहां उनकी भेंट एसीएमओ डा.आरसी माथुर से हुई। डा. माथुर को यह कार्य बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि ऐसे वंचित लोगों को वैक्सीनेट कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरा सहयोग करेगा। फिर क्या था डॉक्टर माथुर और नरेश पारस ने संयुक्त रूप से सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया।

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समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।

डा.माथुर और नरेश पारस पर लोगों को वैक्सीनेशन कराने की धुन सवार थी। एक एम्बुलेंस को टीका रथ बनाकर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को जोड़ा। टीकाकरण से पहले डा.माथुर और नरेश पारस नाले, रेलवे लाइन तथा सड़क किनारे रहने वाले लोगों के पास पहुंचे। उनसे पूछा गया कि वैक्सीन लगवाई है या नहीं। इस दौरान कुछ लोग भ्रमित करने भी लगे। कुछ लोग डर के कारण वैक्सीन नहीं लगवा रहे थे। उनको इन्होंने प्यार से समझाया, न मानने पर उनको फटकार भी लगाई। कई जगह पुलिस का भी सहयोग लिया तो लोग वैक्सीन लगवाने को तैयार हो गए। यह ऐसे स्थानों पर भी जाने से गुरेज नहीं करते जहां से लोग गुजरना तक नहीं चाहते हैं। भयंकर गंदगी और दुर्गंध के बीच रहने वाले लोगों के पास जाने में अपने आप ही कदम रुक जाते हैं लेकिन यह दोनों सख्श तक उन लोगों के बीच में जाते हैं उनसे बातचीत करते हैं। उनको समझाकर टीकाकरण के लिए तैयार करते हैं। उनकी भ्रांतियों को दूर करते हैं।

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तीन हजार से ज्यादा को लगवा चुके डोज।

अभियान को शुरू करने के साथ ही तेजी से टीकाकरण के आंकड़े बढ़ने लगे। अब तक दो दर्जन से अधिक जगहों पर जाकर लगभग तीन हजार लोगों को जिंदगी की डोज लगवा चुके हैं। यह छुट्टी वाले दिन भी ऐसे स्थानों पर सर्च ऑपरेशन चलाते नजर आते हैं।

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यहां लगवाई वैक्सीन।

कांशीराम आवास योजना, मेहताब बाग के पास झुग्गी झोपड़ी, पंचकुइयां शिक्षा भवन के पास झुग्गी झोपड़ी, पंचकुइयां कब्रिस्तान, अशोकनगर, राज नगर, लोहामंडी, रेलवे लाइन के किनारे के पास झुग्गी झोपड़ी, बोदला सड़क किनारे लोहा पीटा परिवार, कारगिल पेट्रोल पंप के पास झुग्गी झोपड़ियां, खंदारी चौराहे पर रहने वाले लोहा पीटा परिवार, बापू नगर खंदारी बस्ती, नुनिहाई प्रकाश नगर बस्ती, जेपी नगर खंदारी।