एमिटी में ‘‘पर्यावरण प्रणालियों के लिए जलवायु मॉडलिंग और रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला का समापन।




हिन्दुस्तान वार्ता।नोयडा

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनंवायरमेंटल सांइसेस द्वारा इंडियन मेटरियोलॉजिकल सोसाइटी के सहयोग से ‘‘पर्यावरण प्रणालियों के लिए जलवायु मॉडलिंग और रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन’’ विषय पर त्रिदिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसका आज समापन हुआ। इस त्रिदिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ रिमोट सेसिंग के निदेशक डा प्रकाश चौहान, नेशनल एटलस एंड थिमेटिक मैप्पिंग ऑरगनाइजेशन के निदेशक डा पृथ्वीश नाग, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनंवायरमेंटल सांइसेस के मार्गदर्शक और एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनंवायरमेंटल सांइसेस की संयुक्त कोआर्डीनेटर डा रेनू धुप्पर द्वारा जानकारी प्रदान की गई। इस कार्यशाला में देश विदेश से वैज्ञानिक, शोधार्थियों, विशेषज्ञों और छात्रों ने हिस्सा लिया ।

त्रिदिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ रिमोट सेसिंग के निदेशक डा प्रकाश चौहान ने संबोधत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण विषय है जो लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है और ऐसे समय मे ंआयोजित यह महत्वपूर्ण कार्यशाला इस क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्तियों को नये विचार और शोध के नये अवसर उपलब्ध करायेगी। डा चौहान ने कहा कि पृथ्वी के बढ़ रहा तापमान हम सभी के लिए चिंता का विषय है चाहे इसका कारण मानव का लालच, औद्योगीकरण आदि जो हो। पिछले 50 वर्षो में वायु मंडल में बृहद परिवर्तन हुआ है और पृथ्वी की उर्जा में बढ़त हुई है। डा चौहान ने कहा कि मानव को हाईड्रोकार्बन आधारित च्रक से बाहर निकलना होगा। बढ़ते परिपेक्ष्य में नये व्यापारिक अवसर और नये तरह की जीवनशैली विकसित हो रही है। इस अवसर पर उन्होनें सैलेटाइट आधारित रिमोट सेसिंग, क्षरण और वनो के घटने में रिमोट सेसिंग का उपयोग, हाईड्रोकार्बन की बजाय सौर और हवा उर्जा का उपयोग, कृषि क्षेत्र में सिंचाई हेतु सहित तापमान में मिथेन की बढ़त आदि में रिमोट सेंसर का उपयोग की जानकारी प्रदान की।

नेशनल एटलस एंड थिमेटिक मैप्पिंग ऑरगनाइजेशन के निदेशक डा पृथ्वीश नाग ने ‘‘ जलवायु परिवर्तन से संभावित व्यवसाय’’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि पृथ्वी पिछले कुछ समय से लगातार गर्म हो रही है जिसका कारण मानव गतिविधियां है। उन्होनें कहा कि जलवायु परिवर्तन से धीरे धीरे ही सही किंतु परिवर्तन हो रहा है और नई व्यापारिक अवसर प्राप्त हो रहे है। उत्पादन, खपत और व्यय के स्वरूप बदल रहे है। जो कंपनिया अपने उत्पादन और व्यापार को जलवायु परिवर्तन के साथ मिलाकर चल रहे है वो विजय प्राप्त कर रहे है। जलवायु परिवर्तन पर सलाहकार और आंतरिक संस्थान शिक्षण समूह अति महत्वपूर्ण व्यक्ति बन रहे है। डा नाग ने मैप्पींग प्राथमिकताओं, ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव, नई तकनीकी और व्यापारिक समीकरण के प्रमुख क्षेत्र जैसे ऑटोमोबाइल, उपयोगिताओं, इंटीग्रेटेड गैस और ऑयल, केमिकल आदि की जानकारी प्रदान की।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनंवायरमेंटल सांइसेस के मार्गदर्शक और एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने संबोधित करते हुए कहा कि आज संपूर्ण विश्व में जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो रही है हमें इस पर नियंत्रण करने के बेहतरीन तरीकों को प्राप्त करना होगा। डा बंद्योपाध्याय ने कहा कि एमिटी में हम प्रकार के कार्यक्रमों द्वारा महत्वपूर्ण विषयो ंपर चर्चा करने और शोध के नये विषय प्रदान करते है।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनंवायरमेंटल सांइसेस की संयुक्त कोआर्डीनेटर डा रेनू धुप्पर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की।

इस त्रिदिवसीय सम्मेलन में एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एनंवायरमेंटल सांइसेस की डा अंबरीना सरदार खान और डा मंजू रावत रंजन भी उपस्थित थी।