क्षेत्रीय भूवैज्ञानिक मैपिंग पर हुआ सार्थक व्याख्यान।

 


'भूजल की गुणवत्ता' के महत्वपूर्ण विषय पर व्याख्यान 30 मई को।

हिन्दुस्तान वार्ता।मदन साहू 

 छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर की भूगर्भशास्त्र अध्ययन शाला एवं शोध केन्द्र द्वारा भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव तथा विश्व बैंक परियोजना की गुणवत्ता उन्नयन परियोजना के तहत् क्षेत्रीय भूवैज्ञानिक मैपिंग पर डॉ. कृष्णकांत प्रजापति, व्यावहारिक भूगर्भशास्त्र विभाग, डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्व विद्यालय सागर का व्याख्यान आयोजित किया गया। व्याख्यान के प्रारंभ में अध्ययन शाला के अध्यक्ष प्रो. पी.के. जैन ने डॉ. प्रजापति का परिचय दिया एवं स्वागत किया तथा विषय का प्रवर्तन किया। 

डॉ. प्रजापति ने भूवैज्ञानिक मैपिंग में प्रयुक्त होने वाले क्लाइनोमीटर कम्पास, ब्रंटन कम्पास, प्रिज्ममैटिक कम्पास, ऐलीऐड तथा डम्पी लेबिल की कार्यप्रणाली को विस्तार से पी.पी.टी. के माध्यम से समझाया एवं मैपिंग में उपयोग होने वाले आधार मानचित्रों टोपोसीट के पैमाने, प्रकार आदि को विस्तार से समझाया।इस दौरान उन्होंने  बताया कि किस प्रकार सिंगल एवं डबल बीयरिंग द्वारा अपनी लोकेशन ज्ञात कर भूवैज्ञानिक मानचित्र तैयार किये जाते हैं।

 डॉ. प्रजापति ने पेस एवं कम्पास तथा टेप एवं कम्पास विधियों को भी विस्तार से समझाया। इस अतिथि व्याख्यान से एम.एस.सी. द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर के सभी विद्यार्थी लाभान्वित हुए तथा विभाग के अतिथि विद्वान सुश्री आशी जैन, मुमताज जहां, आशिया बानो एवं गुट्टीलाल कुशवाहा उपिस्थत रहे। अंत में सुश्री आशी जैन ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। वहीं प्रो. डॉ. पी. के. जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि 30 मई को प्रो. एम. एस. सिंह, बुन्देलखण्ड विश्व विद्यालय झांसी द्वारा भूजल की गुणवत्ता के महत्वपूर्ण विषय पर व्याख्यान दिया जायेगा।